Bilaspur Train Accident
Bilaspur Train Accident छत्तीसगढ़ में बिलासपुर रेल हादसे के दौरान ग्राम गतौरा के युवाओं ने जो साहस और मानवता दिखाई, वह पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है. कटोरा गांव के रहने वाले सोनू बघेल और उनके पिता बैसाखू बघेल अपने दोस्तों कमलेश पात्रे, सोदान पात्रे, भैरव निषाद, जितेन्द्र गेन्डले और संतोष के साथ उस समय घटनास्थल पर पहुंचे, जब लोग हादसे की भयावहता से सहमे हुए थे.
हादसे के फौरन बाद पहुंचे ग्रामीण-
इन सभी युवाओं ने ट्रेन के डिरेल होते ही दूर से घटना देख ली थी. वे बिना देर किए मौके पर पहुंचे और घायलों की मदद शुरू कर दी. ट्रेन के डिब्बे क्षतिग्रस्त हो चुके थे, यात्री अंदर फंसे थे और चीख-पुकार मची हुई थी. इस स्थिति में सोनू बघेल और उनके साथियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना यात्रियों को बाहर निकालना शुरू किया. जिनकी हालत गंभीर थी, उन्हें आसपास के वाहनों से अस्पताल भेजा गया.
मासूम को बचाने की कोशिश-
राहत कार्य के दौरान उन्हें एक दो साल का मासूम बच्चा मिला, जो मलबे में फंसा था. बच्चे के पेट में लोहे का बड़ा टुकड़ा धंसा हुआ था. सोनू बघेल और उनके दोस्तों ने मिलकर उसे बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन बिना उपकरणों के यह संभव नहीं हो पाया. बाद में जब बचाव दल मौके पर पहुंचा, तो उन्होंने बच्चे को बाहर निकाला, पर उसकी स्थिति बेहद नाजुक थी.
सोशल मीडिया बना मदद का जरिया-
घायलों की पहचान और उनके परिजनों तक जानकारी पहुँचाने के लिए इन युवाओं ने अपने मोबाइल से फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए. उनकी इस कोशिश से कई परिवारों को अपने परिजनों की जानकारी मिली और अस्पतालों में उपचार के लिए मदद भी तेजी से पहुंची.
'रियल हीरो' कहे गए कटोरा के युवा-
रेलवे और प्रशासनिक टीम को घटनास्थल तक पहुँचने में समय लगा, लेकिन तब तक सोनू बघेल, कमलेश पात्रे, सोदान पात्रे, भैरव निषाद, जितेन्द्र गेन्डले और संतोष ने मिलकर कई जिंदगियां बचा लीं. स्थानीय लोगों और अधिकारियों ने इन सभी युवाओं के साहस की जमकर सराहना की है. ग्राम कटोरा के ये सातों साथी आज बिलासपुर रेल हादसे के 'असली हीरो' बन गए हैं, जिन्होंने विपत्ति की घड़ी में निस्वार्थ भाव से मानवता की सच्ची मिसाल पेश की.
(मनीष शरण की रिपोर्ट)
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