scorecardresearch

Success Story: कृषि विज्ञान केंद्र से सीखा हुनर, लोगों को लाईं साथ और बनीं एक सफल उद्यमी.. आज है करीब 70 लाख का टर्नओवर, जानें पूजा शर्मा की कहानी

हरियाणा के छोटे से गांव की रहने वाली पूजा शर्मा ने अपनी अलग पहचान बनाई है. कभी वे आंगनवाड़ी में नौकरी करती थी, लेकिन वे आज एक सफल उद्यमी बन चुकी हैं. साथ ही उन्होंने अपने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर 'क्षितिज' नाम का सेल्फ-हेल्प ग्रुप बनाया है.

हरियाणा के गुरुग्राम जिले के छोटे से गांव चंदू की रहने वाली पूजा शर्मा आज ग्रामीण उद्यमशीलता की मिसाल बन चुकी हैं. खेती की बदहाली और 2,500 रुपये की नौकरी छूटने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. संघर्षों से भरी उनकी यह यात्रा आज 70 लाख रुपये सालाना टर्नओवर वाले ब्रांड तक पहुंच चुकी है.

पूजा का बचपन खेतों में बीता. संयुक्त संपत्ति के बंटवारे और भूजल स्तर गिरने के कारण खेती करना मुश्किल हो गया. पति की मामूली आमदनी से परिवार चलाना कठिन था. मजबूरी में उन्होंने एक एनजीओ के लिए आंगनवाड़ी में 2,500 रुपये मासिक वेतन पर काम शुरू किया. हर दिन 5 किलोमीटर का सफर और 5 रुपये का ऑटो किराया देना भी उनके लिए चुनौती बन गया. डेढ़ साल बाद जब यह प्रोजेक्ट बंद हुआ, पूजा फिर बेरोजगार हो गईं.

गाय के दूध से आत्मनिर्भरता की ओर
हार न मानते हुए पूजा ने एक गाय खरीदी और दूध बेचने का काम शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी गायों की संख्या बढ़ाई और परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया. लेकिन पूजा की नजरें इससे भी आगे थीं. वह कुछ बड़ा करना चाहती थीं.

‘भुने सोया नट्स’ से मिली नई राह
एक दिन पूजा को कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), शिकोहपुर में आयोजित भुने सोया नट्स बनाने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में पता चला. आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि वह ऑटो का किराया भी नहीं दे सकती थीं. तब केवीके ने उनका किराया वहन किया और पूजा ने सप्ताह भर का प्रशिक्षण पूरा किया.

प्रशिक्षण के बाद पूजा ने कुछ अन्य महिलाओं के साथ मिलकर छोटी-छोटी बचत को जोड़ते हुए ‘क्षितिज सेल्फ-हेल्प ग्रुप’ की स्थापना की. 2013 में अपने पुराने घर में उन्होंने भुने सोया नट्स की यूनिट शुरू की. धीरे-धीरे इस छोटे प्रयास ने रूप लिया ‘क्षितिज मिलेट्स प्राइवेट लिमिटेड’ का.

मिलेट्स से मिली नई उड़ान
सिर्फ सोया नट्स से ज्यादा लाभ न मिलने पर पूजा ने मिलेट्स (बाजरा, ज्वार, रागी) पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने अपनी मां और दादी की पारंपरिक रेसिपीज़ को आधुनिक रूप देकर 70 से अधिक उत्पाद बनाए. जैसे कुकीज, लड्डू, बिस्किट और नमकीन स्नैक्स. उनके ब्रांड ‘मिलेट मॉम’ के उत्पाद अब फ्लिपकार्ट और मीशो जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिकते हैं. आज उनकी कंपनी का टर्नओवर 70 लाख रुपये से अधिक है.

पूजा शर्मा का उद्यम सिर्फ आर्थिक सफलता नहीं, बल्कि स्थानीय किसानों के लिए वरदान साबित हुआ है. हरियाणा भारत का तीसरा सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक राज्य है. पूजा इन किसानों से सीधे बाजरा खरीदकर उन्हें स्थिर आय का स्रोत प्रदान करती हैं. खासकर उन इलाकों में जहां पानी की कमी है.

महिला सशक्तिकरण की मिसाल
2017 में एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज की मदद से पूजा और उनकी टीम ने आधुनिक मशीनों और कुकी मेकिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया. आज वह 25 महिलाओं के साथ काम कर रही हैं और अब तक 3,000 से अधिक महिलाओं को स्नैक्स और कुकीज बनाने का प्रशिक्षण दे चुकी हैं. पूजा शर्मा अब कृषि विश्वविद्यालयों में गेस्ट लेक्चरर के रूप में आमंत्रित की जाती हैं. उनकी कहानी ग्रामीण महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद बन चुकी है.