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सफेद चादर में लिपटा चमोली, जमी देवताल झील, सेना के जवान ठंड में भी डटे

बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने हाल ही में भारत-चीन सीमा तक जाने वाले एकमात्र बॉर्डर रोड को खोल दिया है. इसके बाद धीरे-धीरे स्थानीय लोग और पर्यटक इनर लाइन परमिट लेकर देवताल सरोवर तक पहुंचने लगे हैं.

 white blanket of snow at Devtal white blanket of snow at Devtal

उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के पास स्थित पवित्र देवताल झील इन दिनों पूरी तरह बर्फ की आगोश में है. अक्टूबर की शुरुआत में हुई भारी बर्फबारी के बाद से यह झील जमी हुई है और अब तक नहीं पिघली है. चारों ओर बर्फ की मोटी परत जमी है, जबकि पूरा इलाका सफेद चादर ओढ़े नजर आ रहा है. इस मनमोहक दृश्य ने न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि पर्यटकों का भी दिल जीत लिया है.

देवताल तक जाने वाले रास्ते पर जमी बर्फ
बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने हाल ही में भारत-चीन सीमा तक जाने वाले एकमात्र बॉर्डर रोड को खोल दिया है. इसके बाद धीरे-धीरे स्थानीय लोग और पर्यटक इनर लाइन परमिट लेकर देवताल सरोवर तक पहुंचने लगे हैं. बर्फीली ढलानों से गुजरते हुए लोग झील के दर्शन के साथ यहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले रहे हैं. दिवाली के बाद से यहां का माहौल बेहद खास हो गया है.

जवानों को बांटी जा रही मिठाइयां
यहां आने वाले लोग आईटीबीपी और भारतीय सेना के जवानों से मिलते हैं और मिठाइयां बांटकर उनका हौसला बढ़ाते हैं. कई श्रद्धालु झील के किनारे पूजा-अर्चना करते और स्नान करते दिख रहे हैं. कार्तिक महीने में देवताल सरोवर में स्नान-दर्शन का विशेष धार्मिक महत्व माना जाता है, इसलिए इस ठंड में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

 white blanket of snow at Devtal

कड़ाके की ठंड, पानी पिघलाकर काम चला रहे जवान
देवताल झील समुद्र तल से करीब 18,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां इन दिनों तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे चला जाता है. झील के साथ-साथ सभी छोटे-बड़े जलस्रोत भी जम चुके हैं. ऐसे हालातों में तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों को पीने के लिए बर्फ पिघलाकर पानी तैयार करना पड़ता है. कई बार उन्हें पानी को गर्म करके उपयोग में लेना पड़ता है.

धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम
देवताल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों के लिए भी यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं. यहां की बर्फ से ढकी वादियां, सूरज की किरणों से झिलमिलाती झील और शांत वातावरण पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं. इस साल अक्टूबर में हुई शुरुआती बर्फबारी ने ऊंचाई वाले इलाकों को नई ताजगी दी है.

--कमलनयन सिलोड़ी की रिपोर्ट