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Delhi Court Unique Punishment: हाथ ऊपर करके खड़े हो जाओ... दिल्ली कोर्ट का अनोखा पनिशमेंट! बेल बॉन्ड में देरी हुई तो जज ने दी सजा

चार आरोपियों में से एक, कुलदीप, ने तो 11:40 बजे तक भी बेल बॉन्ड जमा नहीं किया. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और उसे दो हफ्ते की जुदा सजा सुनाई. हालांकि, दोपहर 12:48 बजे कुलदीप के वकील ने कोर्ट को बताया कि बेल बॉन्ड और स्योरिटी तैयार है. इसके बाद जज ने कुलदीप को 10,000 रुपये के पर्सनल बॉन्ड और स्योरिटी बॉन्ड पर जमानत दे दी.

Judge Unique Punishment Judge Unique Punishment

दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसने सबको हैरान कर दिया! कोर्ट ने उन लोगों को कड़ी फटकार लगाई, जो बार-बार समय बर्बाद करते हैं और आदेशों की अवहेलना करते हैं. जज सौरभ गोयल ने एक मामले में चार आरोपियों को अनोखी सजा दी- पूरे दिन कोर्ट खत्म होने तक हाथ उठाकर खड़े रहने का आदेश! इतना ही नहीं, एक आरोपी को तो दो हफ्ते की जेल भी सुनाई गई. 

क्या है पूरा मामला?
दिल्ली की द्वारका कोर्ट में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास सौरभ गोयल एक शिकायत मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस मामले में चार आरोपी-कुलदीप, राकेश, उपासना और आनंद शामिल थे. कोर्ट ने पहले सुनवाई में इन आरोपियों को बेल बॉन्ड जमा करने का आदेश दिया था. लेकिन सुनवाई के दिन सुबह 10 बजे से 11:40 बजे तक, दो बार बुलाए जाने के बावजूद, इन लोगों ने बेल बॉन्ड जमा नहीं किए. जज सौरभ गोयल ने इसे कोर्ट की अवमानना माना और सख्त कार्रवाई की.

जज ने कहा, “पिछली सुनवाई में बेल बॉन्ड जमा करने का आदेश दिया गया था. इतने समय तक इंतजार करने और दो बार बुलाने के बाद भी बॉन्ड जमा नहीं किए गए. यह कोर्ट का समय बर्बाद करना और आदेश की अवहेलना है.” कोर्ट ने चारों आरोपियों को IPC की धारा 228 के तहत कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया. सजा के तौर पर उन्हें पूरे दिन कोर्ट खत्म होने तक हाथ उठाकर खड़े रहने का आदेश दिया गया.

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कुलदीप को मिली जेल की सजा
चार आरोपियों में से एक, कुलदीप, ने तो 11:40 बजे तक भी बेल बॉन्ड जमा नहीं किया. कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और उसे दो हफ्ते की जुदा सजा सुनाई. हालांकि, दोपहर 12:48 बजे कुलदीप के वकील ने कोर्ट को बताया कि बेल बॉन्ड और स्योरिटी तैयार है. इसके बाद जज ने कुलदीप को 10,000 रुपये के पर्सनल बॉन्ड और स्योरिटी बॉन्ड पर जमानत दे दी. कोर्ट ने बेल बॉन्ड को स्वीकार करते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया.

कोर्ट की सख्ती का संदेश
जज सौरभ गोयल ने अपने फैसले में साफ किया कि कोर्ट का समय बहुत कीमती है, और इसे बर्बाद करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती. यह अनोखी सजा न केवल आरोपियों के लिए सबक है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए चेतावनी है जो कोर्ट के आदेशों को हल्के में लेते हैं. इस फैसले ने सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी है. लोग इसे “कोर्ट की अनोखी डांट” और “सजा का नया अंदाज” कह रहे हैं.