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दिल्ली में अब पानी की जिम्मेदारी भी प्राइवेट कंपनियों के हाथ, जानिए नया मॉडल कैसे काम करेगा?

दिल्ली में 15,600 किमी लंबा जल वितरण नेटवर्क है. इनमें से करीब 2,800 किमी पाइपलाइन 30 साल से ज्यादा पुरानी है. 29 लाख जल कनेक्शन ही हैं, जबकि आबादी 2.15 करोड़ से ज़्यादा है

Delhi Water System Delhi Water System
हाइलाइट्स
  • प्रत्येक जोन में एक निजी ऑपरेटर को नियुक्त किया जाएगा.

  • लगभग 31.6 लाख लोगों को होगा फायदा

दिल्ली जल बोर्ड ने पानी और सीवेज सेवाओं को बेहतर करने के लिए एक नए और खास प्रोजेक्ट का ऐलान करने जा रही है. इस योजना के तहत दिल्ली को 8 जोन में बांटकर निजी कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, ठीक वैसे ही जैसे बिजली वितरण कंपनियां काम करती हैं.

दिल्ली जल बोर्ड की ये नई योजना क्या है?
नई नीति के तहत, दिल्ली को 8 जल-सेवा जोन में बांटा जाएगा, प्रत्येक जोन में एक निजी ऑपरेटर को नियुक्त किया जाएगा.
प्रत्येक ऑपरेटर जल आपूर्ति, सीवेज नेटवर्क, बिलिंग, मरम्मत और गैर-राजस्व जल (NRW) को कम करने की जिम्मेदारी संभालेगा. दिल्ली जल बोर्ड जल स्रोतों की खरीद, शुद्धिकरण और थोक वितरण का कार्य करता रहेगा, साथ ही निजी ऑपरेटरों की निगरानी करेगा..

इस मॉडल को लागू करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
दिल्ली सरकार के जल मंत्री प्रवेश वर्मा के मुताबिक इस मॉडल को लागू करने का उद्देश्य है 50–52% जल बर्बादी को नियंत्रित करना और 24x7 जल आपूर्ति सुनिश्चित करना. ‘एक ज़ोन, एक ऑपरेटर’ मॉडल को बिजली वितरण कंपनियों की तर्ज पर डिजाइन किया गया है, जिससे जिम्मेदारियों का केंद्रीकरण और सेवा में जवाबदेही सुनिश्चित हो सके.

निजी ऑपरेटर किन-किन कामों की जिम्मेदारी संभालेंगे?

  • जल आपूर्ति का प्रबंधन

  • सीवेज नेटवर्क की देखरेख

  • मरम्मत और रख-रखाव

  • बिलिंग और कलेक्शन

  • गैर-राजस्व जल (NRW) को कम करना


दिल्ली की मौजूदा जल आपूर्ति व्यवस्था की क्या स्थिति है?
योजना की शुरुआत वजीराबाद जोन से होगी, जहां लगभग 31.6 लाख लोगों को बेहतर जल सेवाएं प्रदान की जाएंगी.. दिल्ली में वर्तमान में 15,600 किमी का जल वितरण नेटवर्क है, जिसमें से करीब 2,800 किमी पाइपलाइन 30 वर्ष से अधिक पुरानी है. वर्तमान में दिल्ली जल बोर्ड के पास सिर्फ 29 लाख जल कनेक्शन हैं, जबकि शहर की आबादी 2.15 करोड़ से अधिक है. इतना ही नहीं बिलिंग प्रणाली में कई खामियां बनी हुई हैं.

-सुशांत मेहरा की रिपोर्ट