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DJB Infrastructure Charges: पानी का नया मीटर लगवाना पड़ सकता है महंगा! दिल्ली जल बोर्ड ने बढ़ाया इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज, जान लें आप पर कैसे पड़ेगा असर 

ये इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज कॉलोनियों की कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग है. हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज के बढ़ने की वजह से निवासियों और कम्युनिटी लीडर्स ने आलोचना शुरू कर दी है. उनके मुताबिक, ये अलग से आर्थिक बोझ है.

Water Supply (Representative Image/PTI) Water Supply (Representative Image/PTI)
हाइलाइट्स
  • अलग-अलग कैटेगरी के लिए है चार्ज 

  • लोग कर रहे हैं आलोचना 

नया जल मीटर लेना आपको महंगा पड़ सकता है. दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज को बढ़ा दिया है. ए और बी-कैटेगरी की कॉलोनियों में पानी के लिए प्रति वर्ग फुट लागत 231 रुपये से बढ़ाकर 243 रुपये और सीवर के लिए 138.92 रुपये से बढ़ाकर 145.87 रुपये कर दी गई है. यह कदम, इस साल 1 अप्रैल से प्रभावी है. संशोधित दरें कॉलोनियों की कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग है. 

अलग-अलग कैटेगरी के लिए है चार्ज 

अगर आप भी नया पानी का मीटर लगवाने वाले हैं तो ये महंगा पड़ने वाला है. कैटेगरी के हिसाब से चार्जेज भी अलग-अलग हैं. सी-कैटेगरी की कॉलोनियों के लोगों निवासियों के लिए, पानी के लिए प्रति वर्ग फुट लागत 173.65 रुपये से बढ़कर 182.33 रुपये और सीवर के लिए 104.19 रुपये से बढ़कर 109.40 रुपये हो गई है. डी-कैटेगरी की कॉलोनियों में पानी के लिए रेट 115 रुपये से बढ़ाकर 121 रुपये और सीवर के लिए 69 रुपये से बढ़ाकर 73 रुपये कर दी गई हैं. 

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लोग कर रहे हैं आलोचना 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज के बढ़ने की वजह से निवासियों और कम्युनिटी लीडर्स ने आलोचना शुरू कर दी है. उनके मुताबिक, ये अलग से आर्थिक बोझ है. मॉडल टाउन रेजिडेंट्स सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी संजय गुप्ता इसे जबरन वसूली का एक रूप बताते हैं. एसोसिएशन ने इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज को कंट्रोल करने वाले नियमों को चुनौती देते हुए दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति के सामने एक याचिका दायर भी की है.
  
और क्या हैं नियम?

डीजेबी के ऑर्डर के मुताबिक, अगर कोई चार मंजिला इमारत बनती है तो 200 वर्ग मीटर से बड़े भूखंडों के लिए पुराने पानी के कनेक्शन को फिर से खोलने से पहले इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज  देना होगा.  हालांकि, इस प्रावधान का विरोध कई लोगों ने किया है. इसके अलावा, ई, एफ, जी और एच के रूप में जिन कॉलोनियों को बांटा गया है उनमें भी चार्ज में बढ़ोतरी देखी जाएगी, जो लगभग 5 रुपये प्रति वर्ग फुट की वृद्धि होगी.   

कॉलोनियों को बांटना 2004 से शुरू किया गया

गौरतलब है कि दिल्ली नगर निगम (MCD) के तहत नगर निगम वैल्यूएशन कमेटी (MVC) ने उनकी बुनियादी ढांचे की जरूरतों के आधार पर कॉलोनियों को बांटना 2004 से शुरू किया गया है. यह बंटवारा, जिसे बाद में 2015 में दिल्ली राजस्व विभाग ने अपनाया, प्रॉपर्टी टैक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज को निर्धारित करने के आधार के रूप में काम करता है.

कई लोगों का कहना है कि पानी की गुणवत्ता, सीवरेज निपटान में ठोस सुधार की जरूरत के लिए ये चार्ज बढ़ाना जरूरी है.