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छुट्टी के दिन अपने पैसे से दिव्यांग पशुओं का इलाज करता है ये डॉक्टर...अब तक 200 जानवरों का कर चुके हैं इलाज

दिव्यांग पशुओं को उनके पैरों पर खड़ा करता एक डॉक्टर. जयपुर के डॉक्टर तपेश माथुर ने अब तक 200 से ज्यादा जानवरों को अपने खर्चे पर प्रोस्थेटिक लिंब लगाया.

हाइलाइट्स
  • फोन करके मांगते हैं मदद

  • दिव्यांग होने के बाद मालिक छोड़ देते हैं

दिव्यांग लोगों को प्रोस्थेटिक लिंब्स यानी कि कृत्रिम हाथ पैर लगाते हुए आपने कई बार देखा होगा. आपने ऐसे कई लोगों की कहानियां सुनी होंगी जिनकी जिंदगी प्रोस्थेटिक लिंब ने बदल कर रख दी. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी दिव्यांग बेजुबान जानवर को प्रोस्थेटिक लिंब का सहारा मिला हो. किसी जानवर को कृत्रिम हाथ पैर लगाते हुए आपने ना शायद कभी देखा होगा और ना कभी सुना होगा लेकिन जयपुर का एक डॉक्टर ने अपने जीवन को इसी मिशन पर लगा दिया है. इनका नाम है डॉक्टर तपेश माथुर. डॉ तपेश ने अब तक 19 राज्यों में  200 से ज्यादा बेजुबान जानवरों को कृत्रिम हाथ पैर लगाए हैं वह भी अपने खर्चे पर. डॉक्टर तपेश एक सरकारी पशु चिकित्सक हैं लेकिन वो कृष्णा लिंब नाम की एक संस्था भी खुद चलाते हैं.

दिव्यांग होने के बाद मालिक छोड़ देते हैं
डॉक्टर तपेश बताते हैं कि जानवरों के मामले में आमतौर पर इंसान बहुत ज्यादा लापरवाह होता है. कई बार कुछ जानवर जैसे कुत्ता या फिर गाय के मालिक समझदार होते भी हैं तो भी उन्हें कई चीजों की जानकारी नहीं होती. अक्सर वही जानवर दिव्यांग हो जाते हैं जिन्हें पहले चोट लगती हैं. उनकी हड्डियां टूटती है लेकिन लंबे वक्त तक उसका इलाज नहीं हो पाता इसलिए वह जानवर दिव्यांग हो जाता है और अधिकतर मामलों में मालिक जानवरों को छोड़ देते हैं. Dr tapesh कहते हैं हमने यह नोटिस किया कि पैर कट जाने के बाद वह जानवर दूसरे जानवरों के साथ मिक्स नहीं हो पाता वह पूरी तरह से अकेला पड़ जाता है जिससे उसकी लाइफ ही कम हो जाती है. वह बताते हैं कि दिव्यांग होने के बाद सबसे ज्यादा गाय पालने वाले होते हैं जो अपनी गायों को गौशाला में मरने के लिए छोड़ देते हैं. कई लोग गाय को रखना चाहते भी हैं तो उन्हे इलाज की जानकारी नहीं होती.

फोन करके मांगते हैं मदद
डॉक्टर तपेश कहते हैं कि कई लोगों को जब यह मालूम होता है कि हम इस तरह का काम कर रहे हैं तो बहुत सारे लोगों के फोन आते हैं. उनको लगता है यह काम तो बहुत आसान होगा लेकिन असल में काम आसान नहीं है. सबसे पहले किसी भी जानवर को प्रोस्थेटिक लिंब्स लगाने के लिए यह जरूरी है कि वह जानवर खड़ा हो पाए जब वह खड़ा होगा तभी हम उसके दूसरे पैर के हिसाब से दिव्यांग पैर की नाप ले पाएंगे. डॉक्टर तपेश एक सरकारी डॉक्टर भी है. 5 दिन वह अपनी ड्यूटी करते हैं और फिर अपनी छुट्टी के 2 दिन वह इन बेजुबान जानवरों के नाम कुर्बान कर देते हैं. डॉक्टर तपेश और उनकी पत्नी शिप्रा इन्हीं दोनों छुट्टियों में बेजुबानों के लिए देश के अलग-अलग राज्य तक भी पहुंचने से नहीं चूकते हैं. डॉक्टर तपेश की पत्नी शिप्रा बताती हैं कि कई बार हमारी कोशिश फेल भी हो जाती है हम परेशान भी होते हैं लेकिन फिर भी हिम्मत नहीं हारते.