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UP Election 2022: जानिए मुलायम सिंह की 40 साल पुरानी लव-स्टोरी, जिसका दर्द आज भी सह रहे हैं अखिलेश

मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई. इस बारे में अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें शुभकामनाएं. लेकिन कहा जा रहा है कि अखिलेश को आज अपने पिता की प्रेम कहानी का दर्द मिल रहा है. जी हां, प्रेम कहानी. मुलायम सिंह यादव और उनकी दूसरी पत्नी साधना यादव की प्रेम कहानी राजनैतिक गलियारों की मशहूर लव स्टोरीज में से एक है.    

Sadhna and Mulayam Singh Yadav Sadhna and Mulayam Singh Yadav
हाइलाइट्स
  • खुद से 20 साल छोटी साधना को मुलायम ने दिया दिल

  • अखिलेश थे इस बात से नाखुश

उत्तर प्रदेश की राजनीति के बारे में जानने के लिए देश के सभी कोनों से लोग बेकरार रहते हैं. क्योंकि देश के सबसे बड़े राज्य की राजनीति है ही इतनी दिलचस्प. अब देखिये न कहां दो दिन पहले तक बीजेपी के नेताओं के पार्टी छोड़कर सपा में शामिल होने के डंके बज रहे थे. 

और अब हाल ही में पूरा खेल पलट गया. जब मुलायम सिंह यादव की छोटी बहु अपर्णा यादव सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई. इस बारे में अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें शुभकामनाएं. लेकिन कहा जा रहा है कि अखिलेश को आज अपने पिता की प्रेम कहानी का दर्द मिल रहा है. 

जी हां, प्रेम कहानी. मुलायम सिंह यादव और उनकी दूसरी पत्नी साधना यादव की प्रेम कहानी राजनैतिक गलियारों की मशहूर लव स्टोरीज में से एक है.    

खुद से 20 साल छोटी साधना को दिया दिल: 

मुलायम सिंह यादव और साधना की प्रेम कहानी आज से 40 साल पहले शुरू हुई. साल था 1982 और यह दौर था जब उत्तर प्रदेश की राजनीती में बदलाव हो रहा था. राज्य के पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेता के रूप में मुलायम सिंह यादव उभर रहे थे. 

कहते हैं कि उस जमाने में मुलायम सिंह यादव के चाहने वालों की कमी नहीं थी. उनकी दिल जीत लेने वाली मुस्कान ने न सिर्फ राजनेताओं को बल्कि बहुत ही लड़कियों को भी अपना दीवाना बनाया हुआ था. मुलायम सिंह 43 साल के थे और राजनैतिक कार्यक्रमों में बहुत एक्टिव थे. 

दूसरी तरफ औरैया जिले के बिधूना की रहने वाली साधना गुप्ता भी राजनीती में कदम रख चुकी थीं. 23 साल की साधना की मुलाक़ात एक राजनैतिक कार्यक्रम के दौरान ही मुलायम सिंह से हुई. वह पार्टी की एक आम सी कार्यकर्ता थीं, लेकिन पहली ही मुलाकात में उन्होंने मुलायम के दिल में अपनी जगह बना ली. 

मुलायम ने अखिलेश से मिलाया था: 

कहते हैं कि साल 1982 से 1988 तक साधना और मुलायम का प्यार परवान चढ़ता रहा. लेकिन मुलायम सिंह के खास अमर सिंह के अलावा इस प्रेम कहानी के बारे में किसी और को नहीं पता था. साधना भी शादीशुदा थीं और उनके पति का अपना बिज़नेस था. 

लेकिन 1988 में वह अपने पति से अलग हो गई थीं और उनके बेटे प्रतीक का जन्म भी हो चुका था. यह वही साल था जब मुलायम सिंह यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने की कगार पर खड़े थे. उसी समय मुलायम ने 15 साल के अखिलेश को पहली बार साधना से मिलवाया था. 

लेकिन अखिलेश को साधना हमेशा से नापसंद रहीं. और उन्होंने हमेशा यही चाहा कि उनके पिता साधना के साथ अपने रिश्ते को कोई नाम न दें. घर में मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी और मां मूर्ति देवी को भी उनके प्रेम प्रसंग की खबर थी लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा. 

बताते हैं कि साधना ने उनकी मां मूर्ति देवी के इलाज के दौरान उनकी खूब सेवा की थी. एक बार तो एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन देने लगी तो उन्होंने उसे रोक दिया था. इस बात ने मुलायम को बहुत प्रभावित किया.

2003 में दिया पत्नी का दर्जा: 

साधना और मुलायम सिंह यादव का रिश्ता 1982 से बरकरार था. लेकिन मुलायम सिंह यादव ने कभी भी इसे जग-जाहिर नहीं होने दिया. हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1994 में उन्होंने साधना से शादी कर ली थी. क्योंकि उस साल प्रतीक गुप्ता के स्कूल के एड्रेस कॉलम में मुलायम सिंह यादव का एड्रेस था. 

साल 2000 में प्रतीक के गार्जियन के रूप में उनका नाम दर्ज हुआ. लेकिन 2003 में अपनी पहली पत्नी मालती देवी के देहांत के बाद मुलायम सिंह ने साधना को अपनी पत्नी होने का दर्जा दिया. और फिर साल 2007 में मुलायम ने अपने खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति वाले केस में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया. जिसमें उन्होंने लिखा था, ‘मैं स्वीकार करता हूं कि साधना गुप्ता मेरी पत्नी और प्रतीक मेरा बेटा है.’ 

अखिलेश थे इस बात से नाखुश: 

हालांकि अखिलेश इस बात से नाखुश थे. वह कभी भी साधना को अपनी या अपने पिता की ज़िंदगी में नहीं चाहते थे. लेकिन साधना को पत्नी का दर्जा मिलने के बाद एक और सवाल खड़ा हुआ कि क्या अब सपा के दो उत्तराधिकारी होंगे? 

लेकिन 2012 में मुलायम सिंह ने इलेक्शन जीतने के बाद कमान अखिलेश यादव को सौंप दी. तब से अखिलेश ही सपा का चेहरा हैं. पर ये खबरें हमेशा आती रहीं कि साधना अपने बेटे को पार्टी का चेहरा बनाना चाहती थीं. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. और अब प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने पर हर कोई यही कह रहा है कि क्या अखिलेश अब परिवार को संभाल नहीं पा रहे हैं?