
Engineers Turned Farmers
Engineers Turned Farmers एक आम सी कहावत है कि ऐसा कोई काम नहीं जिसे इंजीनियर नहीं कर सकते. और बहुत हद तक इस बात को आज कई इंजीनियर्स ने साबित भी किया है. आज बहुत से इंजीनियर्स अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रहे हैं. खासकर कि खेती में.
आज बहुत से युवा इंजीनियरिंग की अच्छी पढ़ाई करने के बाद या अपनी हाई-फाई नौकरी छोड़कर जैविक खेती या हाइड्रोपोनिक्स खेती कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि वे खेती से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं. आज Engineer's Day के मौके पर हम आपके बता रहे हैं कुछ ऐसे इंजीनियर्स के बारे में जो आज सफल और प्रगतिशील किसान हैं.
अभिषेक धामा

दिल्ली में पल्ला गांव के रहने वाले 28 वर्षीय अभिषेक धामा ने 2014 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. हालांकि, पढ़ाई के बाद नौकरी करने की बजाय उन्होंने खेती के अपने पारिवारिक व्यवसाय को संभालने का फैसला किया. क्योंकि वह फिटनेस के प्रति हमेशा से सजग थे और केमिकल फार्मिंग के सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव को जानने के बाद उन्होंने जैविक खेती करने की ठानी. आज वह सब्जियों और कुछ कमर्शियल क्रॉप जैसे स्टीविया आदि की मल्टी क्रॉपिंग करके हर महीने लाखों में कमा रहे हैं.
अजय नायक

गोवा स्थित अजय नायक सब्जियों की गुणवत्ता में होने वाली लगातार गिरावट से परेशान थे और बहुत सारे शोध के बाद उन्होंने लेटेट्रा एग्रीटेक लॉन्च किया. यह भारत का पहला इनडोर वर्टिकल हाइड्रोपोनिक्स फार्म है, जो खेती के लिए मिट्टी के बजाय पोषक तत्वों से भरपूर पानी का उपयोग करता है. खेती से पहले तक, अजय ने आईटी सेक्टर में 10 से अधिक वर्षों तक काम किया है. आज वह अपनी इस इनोवेटिव खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
अभिषेक सिंघानिया

अभिषेक सिंघानिया को अपने पिता की बीमारी के चलते मौका मिला कि वह जैविक खाद्य पदार्थों पर शोध करें. उन्होंने रसायनिक खेती और जैविक खेती के फर्क को समझा. इसके बाद उन्होंने खुद खेती करने का फैसला किया. आज वह अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर, सस्टेनेबल तरीकों से जैविक खेती कर रहे हैं. और अच्छा कमा रहे हैं. साथ ही, वह अपने आसपास के किसानों को सिखाने और प्रशिक्षित करने के लिए भी करते हैं.
एस शिवगणेश

राजस्थान में एक परमाणु ऊर्जा स्टेशन में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में ढाई साल तक काम करने के बाद, एस शिवगणेश केरल-तमिलनाडु सीमा पर मीनाक्षीपुरम में अपने पैतृक गांव लौट आए. और आज भी इस इंजीनियर को इस फैसले पर पछतावा नहीं है. उन्होंने गांव लौटकर जैविक खेती शुरू की. आज उनके एमएसआर फार्म के लिए राज्य सरकार का प्रतिष्ठित केरा केसरी पुरस्कार मिल चुका है और वह अच्छी आमदनी कमा रहे हैं.