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संस्कृति मंत्रालय की पहल पर ASI ने शुरू की पुराने किले पर सबसे बड़ी खोज...पांडवों और महाभारत से जुड़े सक्ष्यो को जुटाने होगा प्रयास

संस्कृति मंत्रालय की पहल पर ASI ने पुराने किले पर सबसे बड़ी खोज शुरू की है. इस दौरान पांडवों और महाभारत से जुड़े सक्ष्यो को जुटाने का प्रयास किया जा रहा है.पिछले दो Excavation में 2500 साल तक का इतिहास सामने आ चुका है.इससे पहले 2013 और 2017 में पुराने किले में खोज हुई थी.

दिल्ली पुराना किला दिल्ली पुराना किला

कहते हैं इतिहास की झलक कई बार जमीन की गहराई में मिलती है. शायद यही वजह है जब भी जमीन की परतों को आप हटेंगे आपको नए इतिहास की झलक देखें को मिलेगी , दिल्ली के पुराने किले के साथ भी यही फलसफा है. कहते है ये वो किला है जिसने दिल्ली के इतिहास को बनाया और उसे बिगड़ते हुए देखा भी. इस किले में ना जाने कितनी सदियों की परछाई की दरक आज भी फैली है. इस बार इस रहस्य और सच को सामने लाने का जिम्मा भारतीय पुरातत्व विभाग ने उठाया है जो महाभारत की इस झलक को लोगो के सामने लाएगा जिसके बारे में सिर्फ कहानियां कही जाती हैं.

2500 साल का इतिहास आ चुका है सामने
हर बात जो बीत गई वो इतिहास, हर कहानी जो गुजर गई जो इतिहास, और इस इतिहास को नए जमाने में आम लोगो के सामने लाने की पहल को आप खोज का नाम देते है. दिल्ली के पुराने किले 1954  से लेकर अब तक करीब 4 बार एक्सकेवेशन हो चुका है. हर बार सवाल सिर्फ इतना था की ये पांडवो का वही प्राचीन किला है जो इंद्रप्रस्थ में पांडवो ने बनवाया था. इस बार एएसआई ने जिम्मेदारी ली है. ये खोज पुराने किले के अंदर उस स्थान पर का रही है जहां पर अब तक सबसे जायदा ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं. ये वही जगह है जहा पर 2017 में की गई खोज में तांबे के सिक्के हैं. अब तक करीब 2500 साल का इतिहास सामने आ चुका है. अब उम्मीद है इस रहस्य को सामने लाने की जो सीधे इस जगह को पांडवो की कर्मभूमि हस्तिनापुर और सिनोली से जोड़ेगा भारतीय पुरातव विभाग के निदेशक वसंत स्वर्णकार कहते हैं. ये खोज कई मायने में दिल्ली इतिहास को प्रमाणित करेगी, अब तक हमने कई सभ्यताओं के रंग को इसके देखा है अब आगे की खोज से नया नजरिया सामने आ सकता है 

खुल सकते हैं कई नए राज
दिल्ली के इस पुराने किले के भीतर कई सभ्यताएं दफ्न हैं. किले के भीतर दस मीटर तक की पुरातात्विक खुदाई के दौरान मौर्यकाल, कुषाणकाल, गुप्त काल से लेकर मुगलकाल तक की सभ्यताओं के कई अवशेष मिलते हैं जिससे पता चलता है कि प्रागैतिहासिक काल से लेकर आधुनिक काल तक की सभ्यताएं यहां बसती रही हैं. पहले जब भी पुरातात्विक खुदाई की गई उसमें इस बात के सबूत मिले कि कई प्राचीन सभ्यताओं ये स्थान जुड़ा हुआ है जिनसे इस बात को बल मिला है कि ये कभी पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी. एएसआई की कोशिश है की इस नई खोज में ये तय किया जाए आखिर पुराने किले की जमीन की मिट्टी के साथ कौन सी संस्कृति के अवशेष जुड़े हुए है , अभी ये कार्य करीब 100 मीटर के दायरे में किया जा रहा है , इस स्थान पर करीब 100 लोगो की टीम इस मुहिम में जुड़ें है. असल में खोज का उद्देश्य ये ही है अब तक चली आ रही कहानियों से पर्दा हटाया जाए.

क्या है उद्देश्य?
इतिहासकार अमित राय जैन भी ये मानते है कि इस खोज से महाभारत से जुड़े रहस्य से पर्दा हट सकता है ,असल में ASI हस्तिनापुर में भी एक्सकेशन कर रही है इसलिए सिनौली, हस्तिनापुर और अब पुराना किला ये वो पुरात्व दृष्टि से वो जगह है कही न कही एक दूसरे से जुड़ाव रखती है और इस खोज से ये स्पष्ट हो जाएगा. इस खोज को 4 चरणों में बांटा गया है. पहले चरण में ये कोशिश की जाएगी की आखिर अब तक जो मिला है उसका पुरानी संस्कृति से क्या मेल है? दूसरा जिस उम्मीद से ये नया प्रयास किया जा रहा है उसका उद्देश्य ये ही है की कुछ ऐसा मिले जो दिल्ली के इतिहास की कहनी ही बदल दे और सच को नई तरह से पेश करे.