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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को Paytm ने बताया फेक, FASTag से नहीं हो सकता Person to Person ट्रांजैक्शन

FASTag Scam पर वायरल हो रहे वीडियो को Paytm ने फेक बताया है. कंपनी ने ट्विटर के जरिए जानकारी दी है कि फास्टैग से कोई कंपनी या बिजनेस ही ट्रांजैक्शन कर सकता है. इसमें दो व्यक्तियों के बीच को लेन-देन नहीं हो सकता है.

Paytm Fastag (Photo: Paytm) Paytm Fastag (Photo: Paytm)
हाइलाइट्स
  • FASTag वाहनों पर लगाया गया एक टैग है

  • यह इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन के लिए इस्तेमाल होता है

इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि लोग FASTag स्कैनर से लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. व्हाट्सएप, ट्विटर और फेसबुक पर फैल रहे वायरल वीडियो में आरोप लगाया गया है कि कुछ लोग इनबिल्ट स्कैनर वाली स्मार्टवॉच का उपयोग कर रहे हैं, जो कार पर लगे फास्टैग स्टिकर को स्कैन कर सकता है. 

और इस कारण FASTag खाते, जो ग्राहकों के बैंकों या पेटीएम जैसे ई-वॉलेट से जुड़ा हुआ है, से पैसे काट लिए जाएंगे. हालांकि, Paytm ने अपने सोशल मीडिया पेज पर एक बयान जारी करते हुए जानकारी दी है कि वीडियो में फर्जी दावे किए गए हैं. 

क्या है FASTag

भारत में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन की सुविधा के लिए फास्टैग काफी आम हो गया है. FASTag वाहनों पर लगाया गया एक टैग है और NPCI (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) और NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा शासित 23 बैंकों द्वारा संचालित है. इसे रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करके टोल कलेक्शन सिस्टम के लिए पेश किया गया था. 

सरकार ने टोल प्लाजा पर भुगतान के लिए सभी कमर्शियल और व्यक्तिगत चार पहिया वाहनों के लिए FASTag अनिवार्य कर दिया है. यह नियम फरवरी 2021 में लागू हुआ था. 

Paytm का क्या कहना है?

Paytm ने सीधे तौर पर स्पष्ट किया कि वीडियो फेक है और FASTag तकनीक से समझौता नहीं किया जा सकता है. ट्विटर पर, कंपनी ने कहा, "एक वीडियो पेटीएम फास्टैग के बारे में गलत सूचना फैला रहा है जो गलत तरीके से स्मार्टवॉच को फास्टैग स्कैन करते हुए दिखाता है. एनईटीसी (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन) दिशानिर्देशों के अनुसार, फास्टैग भुगतान केवल अधिकृत व्यापारियों द्वारा शुरू किया जा सकता है, टेस्टिंग के कई राउंड के बाद ऑनबोर्ड किया जा सकता है.

पेटीएम FASTag पूरी तरह से सुरक्षित है." एनपीसीआई ने भी एक बयान जारी किया है और कहा है कि ये दावे "निराधार" हैं.