Representational Image (Photo: Flickr)
Representational Image (Photo: Flickr) बढ़ती महंगाई के बीच सरकार 30 सितंबर की समय सीमा के बाद भी, 3-6 महीनों के लिए भारत के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त सूखा राशन प्रदान करना जारी रख सकती है. क्योंकि, चीन में मंदी का माहौल और इसका असर ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ सकता है. आपको बता दें कि यह योजना, अप्रैल 2020 में कोविड -19 महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए शुरू की गई थी.
मार्च 2022 में इस योजना को छठी बार आगे बढ़ाया गया था, और यह अगले महीने समाप्त होने वाली है. हालांकि, सरकार गरीबों के लिए इस "जीवन-समर्थन" योजना का विस्तार करने पर विचार कर रही है. क्योंकि कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के विनाशकारी प्रभाव अभी खत्म नहीं हुए हैं.
दुनिया का सबसे बड़ा फूड सिक्योरिटी प्रोग्राम
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है, जो दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा (Food Security) कार्यक्रम है. द हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने हाल ही में स्टॉक की स्थिति की समीक्षा की है, और पाया कि इस योजना को आगे बढ़ाया जा सकता है.
PMGKAY लाभार्थियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्यान्न के अपने सामान्य कोटे के अलावा प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो मुफ्त राशन मिलता है. एनएफएसए के तहत, देश की लगभग 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी को अत्यधिक रियायती खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है. पीएमजीकेएवाई ने मुश्किल समय में अर्थव्यवस्था की मदद की है.
कम हुई लोगों की उधार लेने की संभावना
8 जून को, वैश्विक सलाहकार KPMG और Kfw की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) ने लोगों की खाद्य पदार्थों में 76% की कटौती करने की संभावना को कम कर दिया है, और महामारी के दौरान पैसे उधार लेने की संभावना को 67% कम कर दिया. मार्च 2020 में शुरू की गई PMGKY योजनाओं में मुफ्त भोजन (PMGKAY), रसोई गैस और नकद सब्सिडी शामिल हैंय
अधिकारियों का कहना है कि पीएमजीकेएवाई योजना को एक या दो तिमाहियों तक बढ़ाया जा सकता है जब तक कि महंगाई और कम नहीं हो जाती. बता दें कि प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल, PMGKAY के विस्तार पर निर्णय लेता है. अगर इस योजना को एक तिमाही के लिए बढ़ाया जाता है तो सरकार को लगभग ₹40,000 करोड़ खर्च करने पड़ सकते हैं. अब तक इस योजना पर 30 सितंबर, 2022 तक अनुमानित व्यय लगभग ₹3.40 लाख करोड़ है.