Hemil Parikh
Hemil Parikh
कौन कहता है आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों....
क्रिकेट के शौकीन हेमिल पारीख ने ट्रेन हादसे में अपना एक पैर और दाएं हाथ की दो उंगलियां गंवा दी थी. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने अंदर के जज़्बे को जिंदा रखा. उनके तीन सपने हैं, वो अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना चाहते हैं, अपने फेवरेट डांसर ऋतिक रोशन के साथ डांस करना चाहते हैं और विश्व की सबसे ऊंची चोटी, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करना चाहते हैं. भले ही उन्होंने अपना एक पैर खो दिया हो लेकिन फिर भी पूरी लगन के साथ इन सपनों को पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं. गुड न्यूज टुडे की टीम ने कभी ना हार मानने वाले हेमिल पारीख से बात की.
दूसरे को बचाने की कोशिश में खुद हुए हादसे का शिकार
हेमिल ने हमारी टीम से खुद के साथ हुए हादसे का जिक्र किया और भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि 18 मार्च 2009 की तारीख उन्हें हमेशा याद रहेगी. उस समय वो सिर्फ 22 साल के थे. वो लोकल ट्रेन से अपने ऑफिस जा रहे थे. उन्होंने सहारे के लिए बोगी को पकड़ा हुआ था. भीड़ में खड़ा एक आदमी अचानक अपना संतुलन खोने लगा और बोगी के किनारे आ गया. वह नीचे गिरने ही वाला था कि हेमिल ने उनको अंदर खींच लिया. लेकिन इसके बाद हेमिल अपना संतुलन खो बैठे और नीचे गिर गए. उनका एक पैर और दाहिना हाथ ट्रेन के नीचे आ गया.
हेमिल ने गुड न्यूज टुडे को बताया, “मैं उस दर्द को नहीं भूल सकता, जब डॉक्टर मेरे शरीर से लटके हुए मांस को काट रहे थे और रूई मेरी हड्डी को छू रही थी. वह सब असहनीय था. लेकिन उस क्षण से मैंने खुद को मजबूत किया. मैंने खुद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखना शुरू कर दिया, जो मैं बनना चाहता था. मैं क्रिकेटर बनना चाहता था. मैं खुद सोच रहा था कि गेंदबाजी कर पाऊंगा या नहीं, मेरे दाहिने हाथ में चोट लग गई है, लेकिन मैं बाएं हाथ से गेंदबाजी करता हूं, ठीक है, मैं गेंदबाजी कर पाऊंगा और उस कल्पना में मैं सारे दर्द भूल गया”.
प्रोस्थेटिक लेग के साथ मैराथन में लिया भाग
हेमिल पारीख को कृत्रिम अंग लगाया गया. उन्होंने हार नहीं मानी और जमकर मेहनत की. इतका नतीजा भी सामने आया. हेमिल ने मैराथन में भी हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने अभ्यास में बहुत मदद की.
उन्होंने गुड न्यूज टुडे से बातचीत के दौरान कहा, “मुझे याद है, उन्होंने मुझे उस मैदान के 3 चक्कर लगाने के लिए कहा था, जिसमें हम अभ्यास करते हैं. मुझे पहले लगा कि यह नहीं हो पाएगा और एक राउंड के बाद मेरे पैर से खून बहने लगा. तब मेरे पिता ने मुझसे कहा था कि यही वह दर्द है, जो तुम्हें मजबूत बनाएगा”. इस ट्रेनिंग के दौरान हेमिल मेजर डी पी सिंह के संपर्क में आए, जो ‘चैलेंजिंग वंस’ नाम का एक एनजीओ चलाते थे. मेजर डी पी सिंह ने कारगिल युद्ध के दौरान अपना एक पैर गंवा दिया था. हेमिल ने बताया, “मेजर साहब का एक मंत्र था जिसने मुझे मैराथन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. वो था - "I might be slow, but I will keep my flow, I will not stop until I reach the top".
ऑफिस जाने से पहले और आकर करते हैं प्रैक्टिस
हेमिल का लक्ष्य अपने देश के लिए खेलना है. हादसे के बाद वो अब तक 26 मैच खेल चुके हैं और 87 विकेट भी ले चुके हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 6 ओवरों में 32 रन देकर 6 विकेट है. हेमिल आने वाले एक टूर्नामेंट में ऑलराउंडर के तौर पर राज्य को रिप्रेजेंट करने वाले हैं. इन 26 मैचों में उन्होंने तीन बार 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार जीता है. टाइम मैनेजमेंट के सवाल पर उन्होंने बताया कि “मुझे अपना घर चलाने के लिए सुबह में काम करना पड़ता है. इसलिए काम और खेल दोनों में सामंजस्य बनाने में कई दिक्कतें आती हैं. मैं दिन में दो बार क्रिकेट का अभ्यास कर रहा हूं, सुबह 5 से 8 बजे तक प्रैक्टिस करता हूं. रात 11 बजे घर पहुंचता हूं”.
दिव्यांग प्रीमियर लीग के ट्रायल में लेंगे हिस्सा
हेमिल ने बताया कि वो दिव्यांग प्रीमियर लीग के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले हैं. इस ट्रायल में सेलेक्ट हो जाने के बाद वो मुंबई आइडियल्स की तरफ से खेलेंगे. यह लीग दुबई के शारजाह में होने वाली है और इसमें 6 टीमें हिस्सा लेंगी. यह लीग हेमिल के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए हेमिल के लिए इंडियन टीम का रास्ता खुल सकता है. उन्होंने बताया कि वो क्रिकेट के अलावा तलवारबाजी, एयर राइफल शूटिंग और शॉटपुट की भी ट्रेनिंग ले रहे हैं.
हर चुनौती के लिए रहना चाहिए तैयार
हेमिल को पर्वतारोहण का भी शौक है. उन्होंने महाराष्ट्र की कलसुबाई चोटी पर चढ़ाई की है. वो जल्द ही महाराष्ट्र के रायगढ़ और मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटी धूपगढ़ पर चढ़ाई करने वाले हैं. हेमिल का सपना एवरेट फतह करने का है. हेमिल का मानना है कि हमें आगे का सोच कर घबराना नहीं चाहिए और बेझिझक होकर पहला कदम उठाना चाहिए. कभी भी कुछ भी हो सकता है, इसलिए हमें हर चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए.