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भारत का Vice President कैसे चुना जाता है? आसान शब्दों में जानें उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया और नियम

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव है. इस बार का चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं. दिल्ली की राजनीति से लेकर संसद तक यह चुनाव नीतिगत और रणनीतिक फैसलों पर असर डाल सकता है.

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भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया है. साल 2025 में मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख और प्रक्रिया की घोषणा कर दी है.  तो चलिए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं, कौन वोट करता है, प्रक्रिया क्या होती है और इस बार चुनाव की पूरी समयसीमा क्या है.

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की समयसीमा (Timeline)

  • चुनाव अधिसूचना जारी होने की तारीख: 7 अगस्त 2025
  • नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि: 21 अगस्त 2025
  • नामांकन पत्रों की जांच: 23 अगस्त 2025
  • नाम वापस लेने की आखिरी तारीख: 26 अगस्त 2025
  • वोटिंग और परिणाम घोषित करने की तारीख: 9 सितंबर 2025

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं, बल्कि एक विशेष इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) द्वारा किया जाता है. इस कॉलेज में शामिल होते हैं:

  • लोकसभा (Lower House) के निर्वाचित सदस्य
  • राज्यसभा (Upper House) के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य
  • भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभा के सदस्य शामिल नहीं होते, जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में होते हैं.

उम्मीदवार के लिए योग्यता (Eligibility Criteria)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी है:

  1. वह भारत का नागरिक हो
  2. उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो
  3. वह राज्यसभा के सदस्य बनने के योग्य हो
  4. उसके खिलाफ कोई आपराधिक दोष सिद्ध न हो
  5. नामांकन के लिए उसे कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक (सेकंडर) की आवश्यकता होती है, जो संसद सदस्य हों

वोटिंग प्रक्रिया कैसी होती है?

  • चुनाव गोपनीय मतदाता प्रणाली (Secret Ballot) के तहत किया जाता है.
  • यह अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के आधार पर होता है.
  • प्राथमिकता वोटिंग (Preferential Voting) का उपयोग किया जाता है- यानी सांसद अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों की प्राथमिकता तय करते हैं (1, 2, 3... आदि).

वोटिंग आंकड़े और जीत का गणित

  • वर्तमान में लोकसभा में 543 और राज्यसभा में 245 सदस्य हैं (233 निर्वाचित + 12 मनोनीत).
  • यानी कुल 788 सांसदों में से लगभग 782 सदस्य वोटिंग में भाग लेते हैं (कुछ पद रिक्त हो सकते हैं).
  • किसी भी उम्मीदवार को जीतने के लिए 391 या उससे अधिक वैध वोट चाहिए.
  • एनडीए (NDA) के पास फिलहाल लगभग 422 वोटों का समर्थन है, जिससे वह बहुमत में है.

चुनाव आयोग की भूमिका
पूरे चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India) करता है. यह आयोग अधिसूचना जारी करता है, नामांकन की जांच करता है और चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करता है. मतदान संसद भवन परिसर में ही कराया जाता है.

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल और भूमिका
-उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है.

-वह भारत के राज्यसभा का सभापति (Chairman of Rajya Sabha) होता है.

-राष्ट्रपति के न रहने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका भी निभा सकता है.

अगर कोई उम्मीदवार निर्विरोध चुना जाए तो?
अगर केवल एक ही उम्मीदवार वैध रूप से नामांकन दाखिल करता है और बाकी सभी नामांकन खारिज या वापस ले लिए जाते हैं, तो उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है और मतदान की जरूरत नहीं पड़ती.

क्यों है उपराष्ट्रपति का चुनाव खास?
दरअसल, यह न केवल संवैधानिक प्रक्रिया है बल्कि राजनीतिक समीकरणों की भी परीक्षा होती है. विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अपने उम्मीदवार खड़े कर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करते हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव है. इस बार का चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं. दिल्ली की राजनीति से लेकर संसद तक यह चुनाव नीतिगत और रणनीतिक फैसलों पर असर डाल सकता है.