
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया है. साल 2025 में मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख और प्रक्रिया की घोषणा कर दी है. तो चलिए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं, कौन वोट करता है, प्रक्रिया क्या होती है और इस बार चुनाव की पूरी समयसीमा क्या है.
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 की समयसीमा (Timeline)
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं, बल्कि एक विशेष इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) द्वारा किया जाता है. इस कॉलेज में शामिल होते हैं:
उम्मीदवार के लिए योग्यता (Eligibility Criteria)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए जरूरी है:
वोटिंग प्रक्रिया कैसी होती है?
वोटिंग आंकड़े और जीत का गणित
चुनाव आयोग की भूमिका
पूरे चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी भारत का चुनाव आयोग (Election Commission of India) करता है. यह आयोग अधिसूचना जारी करता है, नामांकन की जांच करता है और चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करता है. मतदान संसद भवन परिसर में ही कराया जाता है.
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल और भूमिका
-उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल का होता है.
-वह भारत के राज्यसभा का सभापति (Chairman of Rajya Sabha) होता है.
-राष्ट्रपति के न रहने की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका भी निभा सकता है.
अगर कोई उम्मीदवार निर्विरोध चुना जाए तो?
अगर केवल एक ही उम्मीदवार वैध रूप से नामांकन दाखिल करता है और बाकी सभी नामांकन खारिज या वापस ले लिए जाते हैं, तो उसे निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है और मतदान की जरूरत नहीं पड़ती.
क्यों है उपराष्ट्रपति का चुनाव खास?
दरअसल, यह न केवल संवैधानिक प्रक्रिया है बल्कि राजनीतिक समीकरणों की भी परीक्षा होती है. विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों अपने उम्मीदवार खड़े कर राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करते हैं.
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव है. इस बार का चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि नए राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं. दिल्ली की राजनीति से लेकर संसद तक यह चुनाव नीतिगत और रणनीतिक फैसलों पर असर डाल सकता है.