
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) एक अनोखा डिवाइस तैयार कर रहा है जिसका इस्तेमाल करके पानी और मिट्टी की गुणवत्ता का पता लगाया जा सकता है. इसका उद्देश्य एक ऐसा उपकरण विकसित करना है जिसे कोई भी व्यक्ति संचालित कर सके और मिट्टी में भारी धातुओं का पता लगा सके. रिसर्च टीम ने इस उपकरण के लिए प्रोविशनल पेटेंट (Provisional Patent) दायर किया है.
आईआईटी मद्रास के धातुकर्म और सामग्री इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीराम के.कल्पथी और तिजू थॉमस की रिसर्च टीम डिवाइस बनाने की परियोजना का नेतृत्व कर रही है. श्री कल्पथी ने कहा कि यह उपकरण किसानों को ऐसी जानकारी देगा, जिससे वह तय कर सकते हैं कि वह किस फसल की खेती कर सकते हैं और उनकी मिट्टी उसके लिए कितनी अनुकूल है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में मिट्टी और पानी के नमूनों का परीक्षण किया जा रहा है.
पानी में भारी धातुओं का पता लगाने में जुटी रिसर्च टीम
वर्तमान में चल रहा रिसर्च में कॉपर, सीसा और कैडमियम (पीपीएम स्तर में) के लिए उच्च रिज़ॉल्यूशन क्षमताओं की पहचान करने के साथ-साथ विशिष्ट धातुओं का पता लगाने पर केंद्रित है. इसलिए रिसर्च टीम रामेश्वरम में एक मंदिर के टैंकों से एकत्र किए गए पानी के नमूनों का परीक्षण कर रही है. उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य है अगले 3-5 वर्षों में प्रौद्योगिकी को क्षेत्र के वातावरण में मान्य और प्रदर्शित किया जाएगा"
लोगों को दूषित पानी से मिलेगी मुक्ति
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार, देश में अनुमानित 36,000 ग्रामीण बस्तियों में पीने का पानी फ्लोराइड, आर्सेनिक और भारी धातु प्रदूषण से प्रभावित है. इस तरह के प्रदूषण से न केवल कृषि उपज कम होती है बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. इस डिवाइस के बाद लोगों को दूषित पानी से मुक्ति मिलेगी.
गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें.