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ई रिक्शा दिल्ली में कर रहे हैं 120 करोड़ की बिजली चोरी! जानिए कैसे लगा रहे हैं सबको चूना और बन रहे हैं खतरा

दिल्ली की सड़कों पर ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. आज की तारीख में इनकी अनुमानित संख्या लगभग 1.6 लाख है, लेकिन जानकारों की माने तो इनमें से महज करीब 50,000 ही पंजीकृत हैं.

E-Rickshaw E-Rickshaw
हाइलाइट्स
  • कैसे काफी मुश्किल है ऐसी चोरी को कंट्रोल के प्रयास

  • सिर्फ बिजली चोरी नहीं, सुरक्षा का भी बड़ा संकट

दिल्ली की सड़कों पर ई-रिक्शा की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. आज की तारीख में इनकी अनुमानित संख्या लगभग 1.6 लाख है, लेकिन जानकारों की माने तो इनमें से महज करीब 50,000 ही पंजीकृत हैं. पर्यावरण के लिए यह स्वच्छ और किफायती परिवहन तो है, लेकिन इसके साथ प्राइवेट डिस्कॉम्स के लिए एक गंभीर मसला भी सामने आ रहा है और वो बिजली चोरी और सुरक्षा संबंधी खतरे से जुड़ा है.

एक सर्वे के जरिए डिस्कॉम्स ने पता लगाया है कि दिल्ली में लगभग 60% ई-रिक्शा बिजली चोरी में शामिल हैं, जिससे शहर में 15-20 मेगावाट की बिजली बर्बाद हो रही है, और इसका वार्षिक आर्थिक बोझ लगभग 120 करोड़ रुपये का है. डिस्कॉम के अधिकारी कहते हैं कि परंपरागत बिजली चोरी से अलग यह ऐसी चोरी का एक नया रूप है.

सिर्फ बिजली चोरी नहीं, सुरक्षा का भी बड़ा संकट
ई-रिक्शा अपने आप में खतरनाक नहीं हैं, लेकिन गैरकानूनी तरीके से बिजली चोरी कर उनके चार्जिंग से जुड़ी समस्या काफी गंभीर है. खुले बिजली के तार, नकली या खराब क्वालिटी की बैटरियां अक्सर शॉर्ट सर्किट और आग लगने का कारण बनती हैं. खासकर बच्चों के लिए ये खुले तार बहुत खतरनाक होते हैं. इसके अलावा, एक ही जगह पर बड़े पैमाने पर गैरकानूनी चार्जिंग से बिजली नेटवर्क पर दबाव बढ़ता है, जिससे अन्य उपभोक्ताओं को भी दिक्कत होती है. कई बार तो ऐसी लापरवाही की वजह से होने वाली घटनाएं जानलेवा बन जाती हैं.

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कैसे चलता है गैरकानूनी चार्जिंग का कारोबार
अधिकतर चोरी करने वाले ई-रिक्शा स्थानीय माफिया के नियंत्रण में हैं, जो ड्राइवरों से 200-300 रुपये रोजाना चार्जिंग के लिए लेते हैं. यह चार्जिंग अक्सर रात में होती है और अवैध रूप से डी़डीए, नगर निगम या पुरातत्व विभाग की खाली पड़ी जमीन पर की जाती है. माफिया खुद कई ई-रिक्शा मालिक होते हैं और बिजली चोरी करके अतिरिक्त खतरा पैदा करते हैं.

कैसे काफी मुश्किल है ऐसी चोरी को कंट्रोल के प्रयास
विद्युत विभाग और डिस्कॉम ने साथ मिलकर राजधानी दिल्ली में 4,000 से अधिक कानूनी कनेक्शन दिए हैं और इ-रिक्शा के लिए सुरक्षित चार्जिंग हब बनाए हैं. साथ ही, नेटवर्क सिक्योरिटी, कवर्ड केबल और निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ इलाकाई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. दिल्ली विद्युत नियामक आयोग, डीईआरसी ने ई-रिक्शा के लिए प्रति यूनिट 4.50 रुपए की विशेष टैरिफ भी जारी की है. हालांकि, ज़मीन की कमी के कारण वैध चार्जिंग स्टेशन लगाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. डिस्कॉम्स का कहना है कि इसके लिए MCD, DDA, फ्लड डिपार्टमेंट जैसे संस्थानों के सहयोग की जरूरत है. सभी संबंधित एजेंसियों को मिलकर समन्वित योजना बनानी होगी ताकि बिजली चोरी और उससे जुड़ी सुरक्षा समस्याओं को प्रभावी रूप से रोका जा सके.

ई-रिक्शा बिजली चोरी वाला एरिया
पूर्वी/मध्य दिल्ली: मंडावली, मिंटो रोड, सीलमपुर, यमुना विहार, शास्त्री पार्क, करावल नगर, मुस्तफाबाद, नंद नगरी, करोल बाग, कीकरवाला (पटेल नगर), जामा मस्जिद

दक्षिणी दिल्ली: संगम विहार, जामिया, बाटला हाउस, कालकाजी, तुगलकाबाद, सराय काले खां, दक्षिणपुरी, गोविंद पुरी

पश्चिमी दिल्ली: रघुबीर नगर, टैगोर गार्डन, पूर्वी सागरपुर, मादीपुर, नांगलोई, पश्चिम विहार, मटियाला, महावीर एन्क्लेव

उत्तरी दिल्ली: केशवपुरम, सिविल लाइंस, मुखर्जी नगर, रोहिणी, बवाना और नरेला