
गुजरात पुलिस ने साइबर अपराध के खिलाफ दोहरी सफलता हासिल की है. जिसमें धोखाधड़ी के शिकार नागरिकों को 5.51 करोड़ से अधिक की राशि वापस दिलाई गई है. साथ ही 804 करोड़ के अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है.
गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि पुलिस ने गुजरात के नागरिकों की मेहनत की कमाई को लूटने वाले साइबर ठगों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है. स्टेट साइबर क्राइम सेल के अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देते हुए, हर्ष संघवी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ गुजरात पुलिस के काम की राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना हुई है.
ठगी के पैसे करवाए वापस
एक बड़े मामले में, वडोदरा के एक वरिष्ठ नागरिक को प्रतिष्ठित बीमा कंपनियों के नाम पर भारी मुनाफे का वादा करके ठगा गया था. जिसके खाते को फ्रीज कर पुलिस ने 4.91 करोड़ की राशि को नागरिकों को वापस दिलाने में मदद की.
एक अन्य मामले में, अहमदाबाद की एक वरिष्ठ महिला को नकली पुलिस अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट किया गया. उन्हें ड्रग मामले में फसाने की धमकी दी गई, और स्काइप पर 12 दिनों तक नज़रबंद रखकर 48 लाख की धोखाधड़ी की गई थी. ये रकम भी पुलिस ने वापस करवाई है.
इसके अलावा, पुलिस ने "रॉकक्रीक" नामक एक नकली ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से एक परिवार से ठगी गई 12.70 लाख की धनराशि भी रिकवर करवाई है.
कैसे दिया जाता अपराध को अंजाम
अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क पर कार्रवाई के संबंध में हर्ष संघवी ने बताया कि गुजरात पुलिस ने दुबई, वियतनाम और कंबोडिया से संचालित बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. यह गिरोह आम नागरिकों को डेढ़ से दो प्रतिशत कमीशन का लालच देकर उनके बैंक खाते और सिम कार्ड प्राप्त करता था. जिसके बाद उनका इस्तेमाल देशभर में साइबर धोखाधड़ी करने में करता था.
800 करोड़ से ऊपर की हुई ठगी
इस गिरोह ने देशभर में 1549 अपराध किए हैं और अनुमानित 804 करोड़ की ठगी की है, जिसमें से गुजरात में 141 अपराधों में 17.75 करोड़ की धोखाधड़ी शामिल है. इस कार्रवाई में सूरत से 10 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. उनके पास से बरामद सामान अपराध की गंभीरता को दर्शाता है, जिसमें 65 मोबाइल फोन, 447 डेबिट कार्ड, 529 बैंक खाता किट, 686 सिम कार्ड और 16 पीओएस मशीनें शामिल हैं.
नागरिकों को दी अहम जानकारी
गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने नागरिकों से "साइबर सुरक्षा कवच" अपनाने की अपील करके कहा कि किसी भी साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने के "गोल्डन ऑवर" यानी पहले घंटे के भीतर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करना बेहद ज़रूरी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में "डिजिटल गिरफ्तारी" जैसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है और ऐसे फर्जी कॉल्स से डरने की ज़रूरत नहीं है.