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India Census 2027: देश में 2027 में होगी जनगणना, कैसे होती है गिनती? कौन करता है ये काम, जानिए पूरी जानकारी

भारत में जनगणना का का इंतजार खत्म होने जा रहा है. 2027 में भारत में जनगणना होगी. इस बार जनगणना दो चरणों में होगी. पहले फेज में लद्दाख समेत चार राज्यों में पहले जनगणना होगी. उसके बाद पूरे देश में जनगणना होगा.

Census of India (Photo Credit: Getty) Census of India (Photo Credit: Getty)
हाइलाइट्स
  • देश में 2027 में होगी जनगणना

  • भारत में दो फेज में होगी ये जनगणना

  • जनगणना हर 10 साल में होती है

देश में काफी लंबे समय से जनगणना नहीं हुई थी. साल 2027 में जनगणना होगी. इसको लेकर गृह मंत्रालय ने सोमवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस नोटिफिकेशन के मुताबिक, लद्दाख समेत चार पहाड़ी राज्यों में जनगणना अक्टबर 2026 में होगी. देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च 2027 से जनगणना की जाएगी.

देश में आखिरी बार जनगणना साल 2011 में हुई थी. भारत में हर साल जनगणना 10 साल बाद होती है. इस तरह से जनगणना 2011 में होनी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से जनगणना में देरी हो गई. अब सरकार ने जनगणना की प्रोसेस शुरू कर दी है. इस बार जनगणना दो फेज में होगी. पहले फेज में चार पहाड़ी राज्यों में होगी. कुछ महीनों के बाद बाकी देश में भी जनगणना होती है.

जनगणना खत्म होने में लगभग 21 महीने का समय लगेगा. जनगणना में पूरे देश भर से पॉपुलेशन समेत कई सारे आंकड़े जुटाए जाएंगे. इस काम में लाखों कर्मचारी जुटेंगे. बताया गया है कि इस बार जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी कराई जाती है. भारत में जनगणना कैसे होती है और क्यों जरूरी है? आइए इस बारे में जानते हैं.

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क्या है जनगणना?
जनगणना जैसे कि नाम से ही पता चल रहा है कि देश में रहने वाले लोगों की गिनती की जाती है. जनगणना में देश की आबादी के बारे में तो पता लगाया ही जाता है. इसके अलावा धर्म, जाति, मातृभाषा, साक्षरता, शिक्षा का स्तर, इकॉनोमी के बारे में भी जानकारी जुटाई जाती है. कुल मिलाकर जनगणना सिर्फ लोगों की गिनती पता करना नहीं होता है. ये देश का सही आईना होता है. इसी के आधार पर सरकार योजनाएं और नीतियां तैयार करती हैं.

जनगणना क्यों है जरूरी?
जनगणना देश के लिए बहुत जरूरी है. इसके आधार पर कई पॉलिसी बनाई जाती हैं. केन्द्र सरकार राज्य और जिलों को आबादी के आधार पर ही अनुदान देती है जैसे- सब्सिडी और राशन. शिक्षा से लेकर ग्रामीण विकास तक मंत्रालय स्कूलों, पीएचसी और किसी दूसरे प्रोजेक्ट्स के लिए जनगणना का ही सहारा लेते हैं. जनगणना सीधे तौर पर नीति और राजनीति को प्रभावित करती है. इसी जनगणना से निकली आबादी के अनुसार, लोकसभा और विधानसभा सीटें भी तय होती है.

योजनाओं को जमीनी स्तर पर लाने के लिए सरकार जनगणना के डेटा का ही इस्तेमाल करती है. भारत में आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी. 2025 में भी हमारा देश 2011 के जनगणना के सहारे चल रहा है. भारत 14 साल पुराने डेटा पर काम कर रहा है. सभी नीति और योजनाएं 2011 के आंकड़ों के आधार पर ही बनाई जा रही हैं. 2011 की जनगणना में भारत की आबादी 121 करोड़ थी. 2025 तक भारत की पॉपुलेशन में काफी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है. 

कैसे शुरू हुई जनगणना?
भारत में सबसे पहले जनगणना अंग्रेजों के राज में हुई थी. साल 1830 में हेनरी वाल्टर ने ढाका शहर की जनगणना करवाई थी. भारत में पहली बार आधिकारिक जनगणना 1872 में हुई थी. 10 साल बाद 1881 में पूरे देश में अच्छी तरह से जनगणना हुई. तब से हर 10 साल में देश में जनगणना कराई जाती है. 1891 की जनगणना में जाटों और राजपूतों को जाति के रूप में दर्ज किया गया. 1931 की जनगणना आखिरी जनगणना थी जब जाति को भी एक पैरामीटर के रूप में माना गया था. उस समय देश में 225 भाषाओं को रिकॉर्ड किया गया था. साथ में देश में 4147 जातियों के बारे में जानकारी मिली थी. 

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अंग्रेजों के काल में आखिरी जनगणना 1941 में हुई थी. आजादी के बाद भी भारत में जनगणना चलती रही है.1948 में जनगणना अधिनियम लागू किया गया. इसके तहत देश में समय-समय पर जनगणना करना अनिवार्य कर दिया गया. आजाद भारत में पहली जनगणना 1951 में हुई. 1951 की जनगणना के अनुसार, उस समय देश की आबादी 36.10 करोड़ से ज्यादा थी. उस समय देश की साक्षरता दर 16.67% थी.

10 साल में जनगणना
हर 10 साल में देश में जनगणना होती रही. 1991 में जम्मू और कश्मीर को जनगणना से बाहर रखा गया. राज्य के डेटा को धार्मिक समुदाय के डेटा के आधार पर अनुमान लगाया गया था. इस जनगणना में पता चला था कि देश में  49,736 लोग संस्कृत बोलते. 1991 की जनगणना के अनुसार, देश की आबादी बढ़कर 83.85 करोड़ से ज्यादा हो गई. 2001 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई.

देश में आखिरी बार जनगणना 2011 में हुई थी. पहली बार देश में बायोमेट्रिक इन्फार्मेशन जुटाई गई. पहली बार भारत और बांग्लादेश ने एक साथ बॉर्डर पर जनगणना की. भारत ने 2011 में पहली बार ट्रांसजेंडर को आबादी की एक अलग कैटेगरी के रूप में गिना. 2011 में पहली बार डिजिटल जनगणना की गई थी. इसमें कागज का इस्तेमाल नहीं किया गया था. 2011 की जनगणना करने में सरकार के 2,200 करोड़ रुपए खर्च हुए थे.

जनगणना कैसे की जाती है?
भारत में पहली बार ऐसा होगा, जब 10 साल के बाद जनगणना नहीं होगी. इस बार जनगणना 16 साल बाद 2027 में होगी. भारत में जनगणना की देखरेख गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त करते हैं. जनगणना दो फेज में होती है, हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन और जनसंख्या गणना.  इसे पूरा करने में कई महीनों का समय लगता है.

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जनगणना को पूरा करने के लिए 30 लाख कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा. इसमें से गणना करने वाले ज्यादातर लोग स्कूल टीचर होंगे. इसके अलावा जिला और उप-जिला स्तर पर जनगणना में मदद करने वाले 1.20 लाख ट्रेनर होते हैं. इन कर्मचारियों को घर-घर जाकर जानकारी जुटानी होती है. ये लोग सरकार की तरफ से मिले पहचान पत्र साथ लेकर चलते है. ये कर्मचारी लोगों से सवाल पूछते हैं. मिले जवाबों को फॉर्म में भरते जाते हैं. इस तरह से डेटा इकट्ठा होता जाता है.

फेज 1: हाउस लिस्टिंग 
जनगणना का ये पहला फेज लोगों की गिनती को लेकर नहीं है. इस फेज में घरों की गिनती और घर में रहने की स्थिति के बारे में जानकारी ली जाती है. जनगणना करने वाले कर्मचारी हर बिल्डिंग में जाते हैं. लोगों से उनके आवास के प्रकार, पानी का सोर्स, शौचालय की पहुंच, खाना पकाने का ईंधन, बिजली, टीवी और गाड़ी जैसी तमाम संपत्ति को  वाहन के स्वामित्व जैसी संपत्तियों को नोट करते हैं. ये डेटा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने में मदद करता है.

फेज 2: जनसंख्या गणना
फेज 2 में देश में रहने वाले हर शख्स की गिनती की जाती है. जनगणना करने वाले कर्मचारी इस फेज के लिए अपने साथ सवालों से भरा एक फॉर्म होता है. इसमें व्यक्ति से जुड़े कई सारे सवाल होते हैं. इसमें नाम, आयु, लिंग, वैवाहिक स्थिति, धर्म और मातृ भाषा, शैक्षणिक योग्यता, रोज़गार और व्यवसाय, विकलांगता की स्थिति, माइग्रेशन का इतिहास और अनुसूचित जाति/जनजाति की स्थिति से जुड़े कई सवाल होते हैं.

इन दोनों फेज के होने के बाद महीनों की मेहनत का नतीजा सामने आएगा. देश में आबादी समेत अन्य चीजों से जुड़ी नई जानकारियां मिलेंगी. इसके आधार पर ही देश में नीति और योजनाएं बनेंगी. साथ ही इसके आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन शुरू हो सकता है. देश में कई सारी सीटें बढ़ने की संभावना है. साल 2027 में जनगणना होने के बाद अगली जनगणना 10 साल बाद 2035 में होगी.