

बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी पार्टियां जनता को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे कर रही है. एनडीए और राजद नेता एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. हर पार्टी चुनाव जीतने के लिए दम भर रही है. माना जा रहा है कि एनडीए ने सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है.
सूत्रों के अनुसार, एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है. एनडीए लोकसभा चुनाव के फॉर्मूलों के आधार पर ही सीटों का बंटवारा करेगी. इस फॉर्मूले के आधार पर जेडीयू 243 सीटों में से 102-103 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. वहीं बीजेपी 101-102 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. बाकी बची सीटों का बंटवारा लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के बीच होगा.
बिहार चुनाव में हर बार परिवारवाद का जिक्र ज्यादा होता था. इस बार बिहार में परिवारवाद से ज्यादा दामादवाद का जिक्र हो रहा है. इस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने तंज कसा है. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार जाए भाड़ में लेकिन नेताओं के बच्चों को पद मिलना चाहिए. रामविलास पासवान के दामाद, अशोक चौधरी के दामाद और जीतन राम मांझी के दामाद को आयोग में जगह मिली है.
बिहार में दामादवाद
बिहार में होने वाले इस साल विधानसभा चुनाव से पहले परिवारवाद की जगह अब दामादवाद का जिक्र ज्यादा हो रहा है. बिहार में कई बड़े-बड़े नेताओं और मंत्रियों के बेटे-बेटियां राजनीति में हैं. उनमें से कई मंत्री, विधायक और सांसद हैं लेकिन इस बार चुनावी मौसम दामादों के लिए बड़ा खुशनुमा बना हुआ है.
अगर आप किसी बड़े नेता के दामाद है तो आपका भी बंपर ऑफर निकल सकता है. आप भी किसी आयोग, निगम या परिषद में जगह पा सकते हैं. जिस तरीके से इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के विभिन्न आयोग, निगम और परिषद में बड़े-बड़े नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के दामादों को तरजीह दी है, उसको लेकर लगातार विवाद चल रहा है.
आखिर नीतीश कुमार की ऐसी क्या मजबूरी थी कि इस बार धड़ल्ले से बड़े-बड़े नेताओं के दामाद पर वो इतनी मेहरबान हो गए. विभिन्न आयोग निगम और परिषदों में उन्हें जगह दे दी गई है. नीतीश कुमार जो हमेशा से ही परिवारवाद के सख्त विरोधी रहे थे. उन्हें आखिर क्यों इस बार परिवारवाद और खासकर इस बार चुनाव से पहले दामादवाद नजर नहीं आ रहा है.
नीतीश कुमार का दामादों को प्रसाद
चुनावी मौसम में इस बार 3 नेताओं की बल्ले-बल्ले हो गई है. इसमें केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और चिराग पासवान समेत बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी शामिल हैं. जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को अनुसूचित जाति आयोग में उपाध्यक्ष के पद से नवाजा गया है. वहीं स्वर्गीय रामविलास पासवान के दामाद और चिराग पासवान के जीजा मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष बनाया गया है. बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल को बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद का सदस्य बनाया गया है.
देवेंद्र मांझी- जीतन राम मांझी का दामादवाद
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आयोग में दामादों पर मेहरबानी की सबसे ज्यादा चर्चा जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी को लेकर हो रही है. जीतन राम मांझी खुद केंद्र सरकार में मंत्री है. दूसरी तरफ उनकी बहू दीपा मांझी इमामगंज सीट से विधायक है. अब दामाद जी को अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष बना दिया गया है.
मृणाल पासवान- चिराग पासवान का परिवारवाद
जीतन राम मांझी के बाद केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की भी चर्चा हो रही है. चिराग पासवान खुद इस समय नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं. उनके जीजा अरुण भारती पार्टी के सांसद हैं. नीतीश कुमार की मेहरबानी से अब स्व. रामविलास पासवान के दामाद और चिराग पासवान के जीजा मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष बना दिया गया है.
सायन कुणाल- अशोक चौधरी के दामाद
दामाद की इस लिस्ट में तीसरा नाम बिहार सरकार के वरिष्ठ मंत्री और नीतीश कुमार के करीबी अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल का है. अशोक चौधरी खुद नीतीश सरकार में बड़े ओहदे के मंत्री हैं. उनकी बेटी शांभवी चौधरी चिराग पासवान के पार्टी से सांसद है. नीतीश कुमार ने अब अशोक चौधरी के दामाद सायन कुणाल को बिहार राज्य धार्मिक न्यायाधीश परिषद का सदस्य बना दिया है.
नीतीश कुमार इस बार जिस तरीके से दामादों पर मेहरबान हुए हैं, उसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. तेजस्वी यादव ने कहा, इतनी ज्यादा कवायद करने से अच्छा था कि नीतीश कुमार अलग से जमाई आयोग बनाकर सभी दामादों को उसी में एडजस्ट कर लेते. एक बात तो साफ है, नीतीश कुमार ने जिस तरीके से विभिन्न नेताओं के दामाद को आयोग निगम और परिषदों में एडजस्ट किया है. उसके बाद वह इन लोगों के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना समाप्त हो गई है.