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तेजस के 83 विमानों में लगेगा AESA रडार , अब उड़ेगी चीन और पाकिस्तान की नींद

16 तेजस एमके 1ए विमान इजरायली ईएलएम 2052 एईएसए रडार से लैस होंगे और बाकी स्वदेशी AESA रडार से लैस होंगे. शेषगिरी ने कहा ‘रडार का ट्रायल पहले ही दो तेजस लड़ाकू विमानों के साथ-साथ हॉकर सिडली 800 एग्जीक्यूटिव जेट पर 250 घंटे से ज्यादा समय तक किया जा चुका है.

AESA रडार को Su-30 MKI विमान के राडार कोन के साथ-साथ MiG-29 K लड़ाकू विमानों पर लगाया जाएगा AESA रडार को Su-30 MKI विमान के राडार कोन के साथ-साथ MiG-29 K लड़ाकू विमानों पर लगाया जाएगा
हाइलाइट्स
  • AESA रडार 95% स्वदेशी है

  • इसमें केवल एक इंपोर्टेड सबसिस्टम है

स्वदेशी रूप से विकसित रडार  एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन अरै (AESA)वायुसेना में शमिल होने वाली है. AESA के भारतीय सेना में शामिल होते ही भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो जाएगा जिनके पास एक फोर्स मल्टिप्लायर है. फोर्स मल्टिप्लायर एक तरह कि मिसाइल है, जो  इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, लंबी दूरी की तय करने और गाइडेड गोलाबारूद का मुकाबला कर सकता है. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (LRDE) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डी शेषगिरी ने कहा कि AESA रडार 95% स्वदेशी है. इसमें केवल एक इंपोर्टेड सबसिस्टम है. यह मिसाइल 100 किमी से ज्यादा की सीमा पर आकाश में 50 निशानों को ट्रैक करने में सक्षम है. 

MiG-29 K में लगाया जाएगा ये रडार 

शेषगिरी ने बताया कि ,AESA रडार को Su-30 MKI विमान के राडार कोन के साथ-साथ भारतीय सेना के वाहक-आधारित MiG-29 K लड़ाकू विमानों पर लगाया जाएगा. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक शेषगिरी ने बताया कि  ‘ एलआरडीई ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ तेजस एमके I ए पर रडार के प्रमुख इंटीग्रेटर होने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें बीईएल के अलावा चार विक्रेता सबसिस्टम्स के सप्लायर हैं.’

तेजस के सभी 83 विमानों में लगेंगे यह रडार

16 तेजस एमके 1ए विमान इजरायली ईएलएम 2052 एईएसए रडार से लैस होंगे और बाकी स्वदेशी AESA रडार से लैस होंगे. शेषगिरी ने कहा ‘रडार का ट्रायल पहले ही दो तेजस लड़ाकू विमानों के साथ-साथ हॉकर सिडली 800 एग्जीक्यूटिव जेट पर 250 घंटे से ज्यादा समय तक किया जा चुका है. फोर्स मल्टीप्लायर के साथ राडार को  इसी महीने एक ट्रायल उड़ान भरेगा.  अभी तक अमेरिका, यूरोपीय संघ, इज़राइल और चीन के पास AESA रडार क्षमता है.’

चीन के लड़ाकु विमान को देगा टक्कर

IAF से  संचालित राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र  ने पहले ही सफल प्रदर्शन परीक्षणों के बाद रडार को हरी झंडी दे दी है. इससे पहले, भारत अपने लड़ाकू विमानों के साथ-साथ स्वदेशी हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली वाले विमानों पर प्राथमिक राडार का इस्तेमालकर रहा था. फरवरी 2019 में  अगर भारतीय लड़ाकों के पास इंटरसेप्टिंग लड़ाकू विमानों पर एईएसए राडार लगे होते तो बालाकोट हमले में पाकिस्तानी वायु सेना की जवाबी कार्रवाई इस्लामाबाद के लिए और भी घातक हो जाती. एईएसए रडार  हवा से हवा में भी मार कर सकती है , जिसकी मारक क्षमता 120 किमी से ज्यादा है, इसके अलावा  लंबी दूरी पर दागे गए  गोला-बारूद का भी मुकाबला कर सकता है.  यह रडार चीन  J20 लड़ाकू विमानों को टक्कर देता है.