
भारत में कुल 17,726 रजिस्टर्ड पायलट हैं, जिनमें से महिला पायलटों की संख्या 2,764 है. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वुमेन एयरलाइन पायलट के अनुसार, विश्व स्तर पर लगभग 5 प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं. वहीं भारत में महिला पायलटों की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक है, जोकि दुनियाभर में फीमेल पायलट्स की तुलना में काफी ज्यादा है. नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्य मंत्री वीके सिंह ने सोमवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में ये जानकारी दी.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महिला पायलटों का प्रतिशत अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित अधिकांश पश्चिमी देशों की तुलना में दोगुना है. हालांकि, इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन ने हाल ही में सरकार की एयर इंडिया पर महिला पायलटों के साथ सक्रिय रूप से भेदभाव करने का आरोप लगाया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, एसोसिएशन ने कहा कि अपग्रेडेशन लिस्ट में कुछ महिला पायलटों के नाम शामिल नहीं हैं या कुछ ऐसी महिला पायलटों के नाम शामिल हैं, जिन्हें छुट्टी यात्रा रियायत (LTC) जैसे देय सेवा लाभों को देने से इनकार कर दिया गया. जिसकी वजह से उनकी वरिष्ठता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.
युवा स्कूली छात्राओं पर खास ध्यान
राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा कि वुमेन इन एविएशन इंटरनेशनल (WAI)- इंडिया चैप्टर देश भर में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, उद्योग और प्रमुख महिला विमानन पेशेवरों के सहयोग से कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है. जिसमें विशेष रूप से युवा स्कूली छात्राओं पर खास ध्यान दिया जाता है. एक प्रेस रिलीज के अनुसार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय और उससे जुड़े संगठनों ने देश में पायलटों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं.
इनमें भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पांच हवाई अड्डों पर नौ नए उड़ान प्रशिक्षण संगठनों को पुरस्कार पत्र जारी करना, रेगुलेटर डीजीसीए में अप्रूवल प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण और उड़ान प्रशिक्षकों का सशक्तिकरण शामिल हैं. इन उपायों से FTO में उड़ान के घंटे और प्रतिवर्ष जारी किए जाने वाले वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसों की संख्या में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है. इससे महिला पायलटों सहित पायलट बनने की चाहत रखने वाले युवाओं को फायदा मिलेगा.