
प्रधानमंत्री मोदी गुजरात दौरे पर हैं. यहां उन्होंने देश को बड़ा तोहफा दिया. उन्होंने डीसा में बनने वाले एयर फ़ोर्स स्टेशन की नींव रखी. वायु सेना का ये एयरबेस देश के पश्चिमी हिस्से की सुरक्षा के लिए काफ़ी अहम होगा. दुश्मन अब भारत पर टेढ़ी नज़र करने से पहले 100 बार सोचेगा. इस एयरबेस के शुरू होते ही वहां लड़ाकू विमानों की लंबी कतार लग जाएगी, जो पल में जवाब देने के लिए सक्षम होंगे. बता दें कि ये एयरबेस पाकिस्तान की सीमा के बेहद करीब है. कहा जा रहा है कि ये एयरफोर्स स्टेशन देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा.
फास्ट ट्रैक मोड में किया जाएगा काम
इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि वो इस इलाक़े में एयरबेस बनाने के लिए करीब 2 दशकों से कोशिश कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब वो गुजरात के सीएम बने थे, तभी इस एयरफ़ोर्स स्टेशन के लिए ज़मीन दे दी गई थी. अब पीएम ने खुद अपने हाथों से इसका शिलान्यास किया. बता दें कि ये एयरफोर्स स्टेशन प्रधानमंत्री मोदी का सपना है. इसलिए इसे बनाने में फास्ट ट्रैक मोड में काम किया जाएगा. ये एयरबेस 21 महीनों में तैयार हो जाएगा.
वायुसेना की बढ़ेगी ताकत
ये एयरबेस काम करने लगेगा तो वायुसेना के हाथ में बड़ी ताकत लग जाएगी. वहां लड़ाकू विमानों के लिए काफी आसानी होगी. रिस्पॉन्स टाइम घट जाएगा, एयर डिफ़ेंस का क्षेत्र मजबूत होगा. कहा जा रहा है कि इस एयरबेस पर बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर को भी तैनात किया जाएगा. वायुसेना के विमानों से पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर भी रखी जा सकेगी.
वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी ने कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में ख़ुद को लगातार मजबूत कर रहा है. गांधीनगर में डिफेंस एक्स्पो भी इसकी एक उदाहरण है. जहां सिर्फ भारतीय डिफ़ेंस कंपनियां ही हिस्सा ले रही हैं.
एयरबेस की खासियत
गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा में बनने वाला ये नया एयरबेस 4,500 एकड़ में फैला है और ये अंतर्राष्ट्रीय सीमा से महज 130 किलोमीटर की दूरी पर है.
पाकिस्तान से नजदीक होने के लिहाज से वायु सेना का ये एयरबेस काफी महत्वपूर्ण है. इस एयरबेस से देश की सैन्य ताकत भी पहले से काफी ज्यादा बढ़ जाएगी.
इस एयरबेस के 2024 तक तैयार होने की संभावना है और जब ये पूरी तरह से तैयार हो जाएगा तो देश के तीन राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की सुरक्षा में काफी मदद मिलेगी.
खास बात ये है कि इस एयरबेस का रनवे नई पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवाजाही को संभालने के लिए सक्षम होगा.चूंकि डीसा एक फॉरवर्ड एयरबेस है. इसलिए कहा जा रहा है कि एयर फोर्स अपने फ्रंट लाइन लड़ाकू विमानों को यहां तैनात करेगा.ताकि दुश्मन के विमानों को रोका जा सके. डीसा एयरबेस एक तरह से उड़ान भरने वाले दुश्मन के फाइटर जेट को रोकने के लिए दीवार का काम भी करेगा. वैसे रूस-यूक्रेन युद्ध ने भी दुनिया भर में समीकरण बदल कर रख दिए हैं. ऐसे में भारत ने भी अपने स्वदेशी अभियान को तेज कर दिया है.