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IL 38 Aircraft: रिपब्लिक डे परेड में पहली और आखिरी बार दिखाई देगा IL-38 विमान, जानिए क्यों रहा भारत के लिए खास

IL-38 Aircraft Specifications: आईएल 38 टोही विमान को साल 1977 में इंडियन नेवी में कमीशन किया गया था. लगातार 44 साल तक देश की सेवा करने के बाद जनवरी साल 2022 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया.

आईएल 38 टोही विमान पहली और आखिरी बार रिपब्लिक डे परेड में शामिल होगा (Photo/ANI) आईएल 38 टोही विमान पहली और आखिरी बार रिपब्लिक डे परेड में शामिल होगा (Photo/ANI)

रिपब्लिक डे पर कार्यक्रमों की जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं. कर्तव्य पथ पर इस खास मौके पर इस बार 50 विमान हिस्सा लेंगे. ये मौका नौसेना के आईएल-38 विमान के लिए विशेष होगा. आईएल-38 पहली बार गणतंत्र दिवस के परेड में हिस्सा लेगा. इतना ही नहीं, इस विमान के लिए ये खास इसलिए भी है कि शायद ये आखिरी बार रिपब्लिक डे परेड में शामिल होगा. आईएल-38 एसडी विमान नौसेना का एक टोही विमान था, जिसने करीब 44 साल तक देश की सेवा की. 17 जनवरी 2022 को आईएल 38एसडी विमान सेवामुक्त हो गया है. इस विमान ने विदाई से पहले 7 घंटे की उड़ान भरी थी. चलिए आपको इस विमान की खासियत बताते हैं.

1977 में हुआ था कमीशन-
आईएल-38 एक टोही विमान था, जिसका इस्तेमाल समंदर में खोजी और बचाव अभियान में किया जाता था. भारतीय इन्वेंट्री में ये सबसे पुराना टोही विमान था. जिसकी मदद से कई खोजी अभियान को पूरा किया गया. साल 1978 में एयर इंडिया जंबो के मलबे के पता लगाने में इस विमान में अहम भूमिका निभाई थी. इस विमान को साल 1977 में रियर एडमिरल एमके रॉय ने इंडियन नेवी में कमीशन किया गया था.

आईएल 38 की खासियत-
ये विमान आईएनएएस315 क्वाड्रन का हिस्सा थे. जिसे विंग्ड स्टैलियन्स भी कहते हैं. शुरुआत में इस क्वाड्रन में 3 इल्युशिन 38 विमान थे. लेकिन बाद में इसमें 2 और विमानों को शामिल किया गया. इन विमानों ने नेवी को आधुनिक समुद्री टोही और फिक्स्ड-विंग एंटी-सबमरीन वारफेयर क्षमता से लैस किया.
पनडुब्बी का पता लगाने के लिए इस विमान में बर्कुट-38 सिस्टम, एपीएम-60 या एपीएम-73 मैग्रोटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता था. आईएल-38 विमान कई तरह के सोनोब्यूज को ले जा सकता था और गिरा सकता था. इस विमान में रेडियो और डेटालिंक सिस्टम मौजूद था. 

क्यों खास रहा टोही विमान-
IL 38SD विमान इल्युशिन आईएल-18 विमानवाहक का उन्नत वर्जन था. इसका इस्तेमाल सर्विलांस, खोजी और बचाव अभियानों में किया गया. इसके अलावा इसको पनडुब्बी और जहाजों को मार गिराने के लिहाज से बनाया गया था. आईएल 38 लंबे समय तक चलने वाला और पर्याप्त ऑपरेटिंग रेंज वाला और सभी मौसम में काम करने वाला विमान था.
इस टोही विमान का इस्तेमाल साल 1978 में उस वक्त किया गया था, जब एयर इंडिया जंबो विमान मुंबई से उड़ान भरने के बाद लापता हो गया था. आईएल 38 की मदद से उस विमान के मलबे की तलाश की गई थी. साल 1996 में Winged Stallions ने बिना किसी हादसे के 25 हजार घंटे की उड़ान पूरी की थी. लेकिन साल 2002 में दो आईएल-38 विमान हवा में आपस में टकरा गए थे. इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई थी.

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