scorecardresearch

साइबर ठगी कम करने के लिए बड़ा कदम! अब हर काम में सिर्फ 'भारतीय समय' होगा अनिवार्य, जानिए कैसे रुकेगा क्राइम!

यह नियम सिर्फ बड़े सिस्टम्स के लिए नहीं, बल्कि आपके और हमारे लिए भी बड़ा बदलाव लाएगा! सोचिए, जब आप ऑनलाइन पेमेंट करेंगे, तो वह पूरी तरह सुरक्षित होगा. बिजली का बिल सटीक आएगा, कोई गलत चार्ज नहीं!

Indian Standard Time (Photo/Unsplash) Indian Standard Time (Photo/Unsplash)

क्या आपने कभी सोचा कि आपका मोबाइल, टीवी, या बिजली का बिल गलत समय की वजह से गड़बड़ हो सकता है? अब तैयार हो जाइए, क्योंकि भारत सरकार एक ऐसा सुपरहिट फैसला लेने जा रही है, जो पूरे देश की घड़ियों को एक ही लय में चला देगा! केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने ऐलान किया है कि जल्द ही भारतीय मानक समय (IST) हर कानूनी, व्यावसायिक, डिजिटल और प्रशासनिक काम के लिए अनिवार्य होगा. यानी, अब न ट्रेन लेट होगी, न ऑनलाइन पेमेंट में गड़बड़ी, और न ही साइबर ठगों का डर! 

'एक राष्ट्र, एक समय' होगा भारत का नया मंत्र
प्रल्हाद जोशी ने बुधवार को नई दिल्ली में एक राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में इस गेम-चेंजर फैसले का ऐलान किया. उन्होंने कहा, "हम जल्द ही लीगल मेट्रोलॉजी (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 को लागू करेंगे. इसके बाद, भारत में हर काम- चाहे वह ऑनलाइन शॉपिंग हो, बिजली बिल हो, या रेलवे का टाइमटेबल सिर्फ भारतीय मानक समय (IST) के हिसाब से होगा." इसका मतलब है कि अब कोई विदेशी समय स्रोत जैसे GPS की जरूरत नहीं! यह है 'एक राष्ट्र, एक समय' का मास्टरप्लान, जो भारत को समय के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाएगा.

जोशी ने पत्रकारों से कहा, "हम इन नियमों को जल्द लागू करेंगे. सटीक तारीख बाद में तय होगी, लेकिन यह क्रांति अब दूर नहीं!" यह कदम न सिर्फ तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आम आदमी की जिंदगी को भी आसान और सुरक्षित बनाएगा.

सम्बंधित ख़बरें

विदेशी समय स्रोतों का खतरा, अब खत्म!
आज के डिजिटल दौर में, अगर आपकी घड़ी का समय गड़बड़ हो, तो क्या होगा? ऑनलाइन पेमेंट फेल, ट्रेनों का समय गड़बड़, और साइबर ठगों का हमला! अभी तक भारत में कई सिस्टम विदेशी समय स्रोतों, जैसे GPS, पर निर्भर हैं. लेकिन इन स्रोतों में साइबर हमले, जैसे स्पूफिंग और जैमिंग, का खतरा रहता है. इससे समय की गलतियां, डिजिटल गड़बड़ियां, और जांच में दिक्कतें हो सकती हैं.

जोशी ने बताया, "हमारा टाइम डिसेमिनेशन प्रोजेक्ट इस पुरानी समस्या का स्थायी समाधान है. यह भारत में IST को आधिकारिक और कानूनी समय के रूप में स्थापित करेगा." इसका मतलब है कि अब हर डिजिटल लेनदेन, बिजली बिल, और ट्रेन का समय एकदम सटीक होगा. यह प्रोजेक्ट CSIR-NPL और ISRO के साथ मिलकर चलाया जा रहा है, जो इसे और भी भरोसेमंद बनाता है.

आम आदमी के लिए क्या है खास?
यह नियम सिर्फ बड़े सिस्टम्स के लिए नहीं, बल्कि आपके और हमारे लिए भी बड़ा बदलाव लाएगा! सोचिए, जब आप ऑनलाइन पेमेंट करेंगे, तो वह पूरी तरह सुरक्षित होगा. बिजली का बिल सटीक आएगा, कोई गलत चार्ज नहीं! ट्रेन और बसें समय पर चलेंगी, और साइबर अपराधों का डर भी कम होगा. उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, "अब तक हम समय के लिए विदेशी स्रोतों पर निर्भर थे. लेकिन अब हमने समय के पूरे सिस्टम को भारतीय बना लिया है."

इसके लिए देश में पांच रीजनल रेफरेंस स्टैंडर्ड लैबोरेट्रीज (RRSLs) बनाई जा रही हैं- अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद, और गुवाहाटी में. इनमें एटॉमिक क्लॉक्स और सुरक्षित प्रोटोकॉल जैसे NTP (नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल) और PTP (प्रिसिजन टाइम प्रोटोकॉल) का इस्तेमाल होगा. ये सिस्टम मिलीसेकंड से लेकर माइक्रोसेकंड तक की सटीकता देंगे. यानी, अब समय में एक सेकंड की भी गलती नहीं होगी!

साइबरसुरक्षा और राष्ट्रीय गौरव
निधि खरे ने बताया कि विदेशी समय स्रोतों पर निर्भरता से साइबरसुरक्षा के कई खतरे थे. लेकिन IST के जरिए अब समय की पूरी ट्रेसेबिलिटी सुनिश्चित होगी. इससे न केवल डिजिटल सिस्टम्स की विश्वसनीयता बढ़ेगी, बल्कि भारत की राष्ट्रीय समय संप्रभुता भी मजबूत होगी. यह कदम वित्तीय बाजारों, बिजली ग्रिड, टेलीकॉम, और परिवहन जैसे क्षेत्रों में भी क्रांति लाएगा.

बुधवार को हुई कॉन्फ्रेंस में टेलीकॉम, बैंकिंग, और रेलवे जैसे क्षेत्रों से 100 से ज्यादा स्टेकहोल्डर्स ने हिस्सा लिया और इस फैसले का समर्थन किया. यह प्रोजेक्ट 2018 से चल रही अंतर-मंत्रालयी कोशिशों का नतीजा है.