
क्या आप तैयार हैं उस 'महायज्ञ' के लिए, जो भारत की हर गली, हर घर, हर इंसान की कहानी बताएगा? जी हां, भारत सरकार ने ऐलान कर दिया है कि 2027 में देश की अगली जनगणना होगी. यह जनगणना सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि आपके और हमारे देश के भविष्य का ब्लूप्रिंट होगी.
भारत सरकार ने Census Act, 1948 के तहत 2027 में होने वाली जनगणना का ऐलान कर दिया है. यह स्वतंत्र भारत की 8वीं जनगणना और कुल मिलाकर 16वीं जनगणना होगी. इस बार यह दो चरणों में होगी, जो इसे पहले से कहीं ज्यादा व्यापक और रोचक बनाती है.
पहला चरण (HLO - हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन) में हर परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति, और सुविधाओं का ब्योरा लिया जाएगा. यानी, आपके घर में कितने कमरे हैं, बिजली-पानी की सुविधा है या नहीं, और आपकी संपत्ति का क्या हाल है, ये सब दर्ज होगा.
दूसरा चरण (PE - पॉपुलेशन एन्यूमरेशन) में हर इंसान की जिंदगी की कहानी लिखी जाएगी. आपकी उम्र, शिक्षा, नौकरी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, संस्कृति, और हां, इस बार जाति गणना भी होगी! जी हां, यह पहली बार है जब जनगणना में जाति का डेटा भी शामिल किया जाएगा, जो इसे और भी चर्चा का विषय बना रहा है.
कब और कहां होगी जनगणना?
इस बार जनगणना का शेड्यूल भी खास है. ठंड से जूझने वाले इलाकों में यह पहले शुरू होगी. 1 अक्टूबर 2026 से लद्दाख और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और उत्तराखंड के बर्फीले इलाकों में जनगणना शुरू हो जाएगी. बाकी देश के लिए 1 मार्च 2027 से यह महायज्ञ शुरू होगा. यानी, चाहे आप पहाड़ों की वादियों में हों या मैदानी शहरों में, जनगणना का यह कारवां हर घर तक पहुंचेगा!
जनगणना का मेगा ऑपरेशन
क्या आप जानते हैं कि इस जनगणना को पूरा करने के लिए कितने लोग दिन-रात मेहनत करेंगे? सरकार ने 34 लाख प्रगणक और पर्यवेक्षक तैनात करने की योजना बनाई है. साथ ही, 1.3 लाख जनगणना अधिकारी इस मिशन को लीड करेंगे. यह कोई छोटा-मोटा काम नहीं, बल्कि भारत जैसे विशाल देश की हर सांस को गिनने का महा-अभियान है.
मोबाइल ऐप और स्व-गणना का जलवा
2027 की जनगणना में टेक्नोलॉजी का तड़का भी होगा. इस बार पहली बार मोबाइल ऐप के जरिए डेटा जमा किया जाएगा. यानी, प्रगणक अब कागज-कलम लेकर नहीं, बल्कि स्मार्टफोन और टैबलेट के साथ आपके दरवाजे पर दस्तक देंगे. और सबसे मजेदार बात? आप चाहें तो स्व-गणना भी कर सकते हैं! जी हां, सरकार एक ऐसा पोर्टल लॉन्च करेगी, जहां आप खुद अपनी और अपने परिवार की जानकारी भर सकते हैं. लेकिन हां, डेटा की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा. डेटा संग्रह, प्रेषण और भंडारण के लिए कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं, ताकि आपकी निजी जानकारी किसी गलत हाथ में न जाए.
जनगणना सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है. ये भारत की हकीकत दिखाता है. कितने लोग शिक्षित हैं? कितने बेरोजगार हैं? कितने घरों में बिजली-पानी है? कितने लोग शहरों में पलायन कर रहे हैं? ये सारे सवालों के जवाब जनगणना देती है. सरकार की योजनाएं, बजट, और विकास के रोडमैप इसी डेटा के आधार पर बनते हैं. और अब, जाति गणना के साथ, यह और भी गहराई से भारत की सामाजिक तस्वीर को उजागर करेगी.
(इनपुट- जितेंद्र बहादुर)