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बेसहारा को सहारा दे रहे हैं जसकीरत, अब तक 163 बिछड़ों को परिवार से मिला चुके हैं, 4 साल से कर रहे ये नेक काम

यमुनानगर के रहने वाले जसकीरत सिंह बेसहारा लोगों के लिए एक सहारे की तरह है. जो लोग अपने परिवार से बिछड़ गए हैं, जसकीरत सिंह उन्हें मिलवाने का काम कर रहे हैं.

बेसहारा को सहारा दे रहे हैं जसकीरत बेसहारा को सहारा दे रहे हैं जसकीरत
हाइलाइट्स
  • जसकीरत भी बेसहारा लोगों का रखते हैं ध्यान

  • 163 लोगों को परिवार से मिला चुके हैं

अपनों की सेवा तो सभी करते हैं, लेकिन जो दूसरों और परायों की सेवा निस्वार्थ भाव से करें ऐसे तो बहुत कम लोग होके हैं. यमुनानगर के 33 साल के सरदार जसकीरत सिंह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे हैं. जसकीरत सिंह ने अपनों से बिछड़े और बेसहारा लोगों के लिए जीवन लगा दिया है. वो लगभग 4 सालों में करीब 168 परिवार से बिछड़े लोगों को वापिस घर भेज चुके है.

बेसहारा लोग

जसकीरत भी बेसहारा लोगों का रखते हैं ध्यान
ऊपर की तस्वीर में जिन लोगों को आप देख रहे हैं वे सब बेसहारा है या फिर अपने घरों से बिछड़ गए हैं. इन सभी लोगों का एक ही आश्रय और ठिकाना है जसकीरत सिंह का परिवार. जो निस्वार्थ भाव से दिन-रात इनकी सेवा में लगा हुआ है. जसकीरत का पूरा परिवार इन सभी बेसहारा लोगों के लिए उनके भोजन चिकित्सा की व्यवस्था करते हैं. फिर उनके परिवार की तलाश करते हैं, और जब परिवार मिल जाता है तो परिवार को सौंप देते हैं.

4 साल से निस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं जसकीरत
जसकीरत का पूरा परिवार एक मिशन की तरह यमुनानगर के गांव मगरपुर में पिछले 4 सालों से इस निस्वार्थ मिशन के तहत काम कर रहा है. जसकीरत ने बताते हैं कि जब वो स्कूल जाते थे, तो रास्ते में उन्हें कई ऐसे लोग दिखते थे, जो सड़क के किनारे बेसहारा होकर रहते थे. उस वक्त से जसकीरत इन लोगों की मदद करना चाहते थे, लेकिन तब वह छोटे थे, सो उन्हें थोड़ा डर भी लगता था. लेकिन जैसे-जैसे वो बड़े हुए और उनमें समझ आने लगी. उन्होंने ऐसे लोगों से मिलना शुरू किया. उन्हें पता चला कि ये सब लोग अपने परिवार से सामाजिक, आर्थिक या फिर मानसिक रूप से अलग हो चुके हैं, और दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. 

163 लोगों को परिवार से मिला चुके हैं
जसकीरत बताते हैं कि करीबन 4 साल पहले जब उन्होंने अपनी मां को निराश्रित लोगों की सेवा करते देखा तो इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए काम करना शुरू कर दिया. फिर देखते ही देखते इन असहाय लोगों की आश्रम में संख्या बढ़ने लगी. जसकीरत सिंह ने बताया कि अभी तक 163 लोगों को परिवार से मिला चुका है इसमें 40 महिलाएं थी. इसके अलावा जिन लोगों का कोई परिवार नहीं उन्हें इस आश्रम में आश्रय भी मिला है. फिलहाल इस आश्रम में 102 ऐसे लोग हैं, जिनका कोई परिवार नहीं है. इस लोगों को आश्रम में समय पर भोजन मिलता है, उनकी साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है, साथ ही उन्हें दवा दी जाती है.

अब पुलिस भी कर रही मदद
साल 2018 में जसकीरत ने "नि आसरे दा आसरा"  सोसाइटी बनाकर आश्रम शुरू किया. फिर ऐसे लोग जो किसी बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें उपचार के बाद परिवार से मिलाना शुरू कर दिया. जब कोई व्यक्ति अपने परिवार से मिलता तो जसकीरत के परिवार को काफी खुशी मिलती है. वो खुद को भावुक होने से रोक नहीं पाते. बिछड़ने वाले लोग हरियाणा, बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, केरल के रहने वाले थे. अब इस काम में उनके साथ उस जिले के पुलिस अधिकारी भी मदद करते हैं और जो लोग अपनों से बिछड़ गए हैं उन्हें ट्रेस और मिलवाने में मदद करते हैं. यमुनानगर के क्राइम इंचार्ज जगजीत सिंह ने कहा कि अभी तक वह पिछले 5 से 6 महीने में 58 बिछड़े लोगों को ट्रेस करके उनके परिवार वालों से मिला चुके हैं.