Kargil War martyr Praveen Kumar
Kargil War martyr Praveen Kumar कारगिल युद्ध में कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए. हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के प्रवीण कुमार भी इन्हीं वीर सैनिकों में से एक थे. गांव सुनहाणी के रहने वाले प्रवीण ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की थी. कारगिल विजय दिवस के मौके पर प्रवीण कुमार की शाहदत से आज भी परिजनों की आंखें नम हो जाती हैं. लेकिन प्रवीण की शहादत पर उनकी पत्नी किरण कुमार आज भी नाज करती हैं. वहीं शहीद प्रवीण कुमार की बेटी निशा कुमारी भी अपने पिता की शहादत पर नाज करती हैं. बेटी निशा भी पिता की तरह सेना में भर्ती होना चाहती हैं.
वहीं शाहिद प्रवीण कुमार की पत्नी किरण कुमारी ने बताया कि जब उन्हें अपने पति की शहादत का पता चला तो वह चक्कर खाकर गिर गई थीं. वे कहती हैं कि उनके पति की कमी कभी भी पूरी नहीं हो सकती है. लेकिन उनकी शहादत पर वे आज भी फक्र करती हैं कि उनके पति ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है.
बेटी भी जाना चाहती है सेना में
वहीं शहीद प्रवीण कुमार की बेटी निशा कुमारी ने बताया कि उसमें वह बहुत छोटी थी जब उनके पिता ने शहादत पाई थी. लेकिन आज वह अपने पिता की शहादत पर नाज करती हैं. उन्होंने बताया कि वह बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती हैं.
शुरू से ही देश सेवा करना चाहते थे प्रवीण
गौरतलब है कि शहीद प्रवीण कुमार का जन्म 21 जून, 1970 को माता सत्या देवी एवं पिता स्व. ईश्वर दास के घर गांव सुन्हाणी, तहसील बड़सर, जिला हमीरपुर में गरीब परिवार में हुआ था. प्रवीण ने अपनी पढ़ाई सीनियर सेकेंडरी स्कूल कुल्हेडा से की. प्रवीण कुमार शुरू से ही देश की सेवा करना चाहते थे. वे 26 अक्टूबर 1990 को 21 साल की उम्र में 13 जेक राइफल्स में भर्ती हो गए थे. 28 साल की उम्र में शहीद प्रवीण कुमार का विवाह किरण कुमारी से हुआ. विवाह के 2 साल बाद ही प्रवीण कुमार को 6 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध में वीरगति प्राप्त हुई. तब बेटी केवल एक साल की थी.
(अशोक राणा की रिपोर्ट)