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अस्पताल के बाहर भी निभाई अपनी जिम्मेदारी....बस में सफर कर रहे युवक के लिए फरिश्ता बनीं ये नर्स....सीपीआर देकर बचाई जान

बुधवार की रात 8 बजे के करीब, 31 वर्षीय लीजी होली क्रॉस अस्पताल, कोट्टियम में छह घंटे की शिफ्ट के बाद कोल्लम के वडक्केविला में घर वापस जा रही थी. वह तिरुवनंतपुरम-कोल्लम फास्ट पैसेंजर बस में सवार हुई थी. जैसे ही बस परक्कुलम पहुंच रही थी, एक व्यक्ति की हालत खराब हो गई. आगे की सीट पर बैठी लिजी जब तक आदमी की सीट पर पहुंची, तब तक वह गिर चुके थे.

लिजी ने तुरंत युवक की नाड़ी की जांच की और महसूस किया कि नाड़ी (पल्स) रुक गई है. लिजी ने तुरंत युवक की नाड़ी की जांच की और महसूस किया कि नाड़ी (पल्स) रुक गई है.
हाइलाइट्स
  • बस में व्यक्ति को आया कार्डियक अरेस्ट 

  • लीजी के लिए यह पहला अनुभव 

  • ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीपीआर में किया जाना चाहिए प्रशिक्षित 

डॉक्टर और नर्स भगवान का रूप होते हैं, इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता. जहां डॉक्टर अस्पताल में मरीजों की गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं वहीं नर्सें उनकी पूरे मन से देखभाल करती हैं. लेकिन केरल की एक नर्स ने अस्पताल के बाहर भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है. एक नर्स की सूझबूझ से केरल के एक युवक की जान बच गई. नर्स लिजी एम एलेक्स ने चलती बस में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) किया, जिसने 28 वर्षीय राजीव की जान बचाने में काफी मदद की. 

बस में व्यक्ति को आया कार्डियक अरेस्ट 

बुधवार की रात 8 बजे के करीब, 31 वर्षीय लीजी होली क्रॉस अस्पताल, कोट्टियम में छह घंटे की शिफ्ट के बाद कोल्लम के वडक्केविला में घर वापस जा रही थी. वह तिरुवनंतपुरम-कोल्लम फास्ट पैसेंजर बस में सवार हुई थी. जैसे ही बस परक्कुलम पहुंच रही थी, एक व्यक्ति की हालत खराब हो गई. कंडक्टर ने लीजी और घबराते हुए यात्रियों से पूछा कि क्या किसी के पास पानी है, लेकिन उस वक्त किसी के पास भी पानी नहीं था. आगे की सीट पर बैठी लिजी जब तक आदमी की सीट पर पहुंची, तब तक वह गिर चुके थे. लिजी ने तुरंत युवक की नाड़ी की जांच की और महसूस किया कि नाड़ी (पल्स) रुक गई है. बिना समय गंवाए, उसने अन्य यात्रियों के साथ राजीव को बस के फर्श पर लिटा दिया और उसे सीपीआर देना शुरू कर दिया.

लीजी के लिए यह पहला अनुभव 

“व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट हुआ था. केवल सीपीआर देना और बस को नजदीकी अस्पताल ले जाना ही सही फैसला था”, लीजी ने कहा. वह तब तक सीपीआर देती रही जब तक कि बस नजदीकी अस्पताल नहीं पहुंच गई और मरीज को अस्पताल में ट्रॉली में ले जाया गया. उन्हें अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा भर्ती किया गया और थोड़े समय में उनकी पल्स वापस आ गई. लिजी ने कहा, “मैं वहां थी और मैंने वही किया जो मुझे करना था. हम अस्पताल में सीपीआर करते हैं लेकिन अस्पताल के बाहर मैंने अपने करियर में पहले कभी नहीं किया.” 

ज्यादा से ज्यादा लोगों को सीपीआर में किया जाना चाहिए प्रशिक्षित 

उन्होंने आगे कहा, “यह उन क्षणों में से एक था जब मुझे अपने पेशे पर वास्तव में गर्व महसूस हुआ.” उन्हें लगता है कि सीपीआर एक जीवन कौशल है और ज्यादा लोगों को इसमें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. पिछले 12 साल से अस्पताल में नर्स के तौर पर काम कर रही लीजी ने कहा, 'इस तरह की आपात स्थिति में यह किसी व्यक्ति की जान बचा सकता है. वह व्यक्ति युवा था. उसका आगे एक लंबा जीवन है. मुझे खुशी है कि मैं उसकी मदद कर सकी.”