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SCO Explained: बिलावल भुट्टो के साथ इन देशों के नेता भी होंगे शामिल, जानिए क्या है SCO, भारत-पाकिस्तान के लिए क्यों है जरूरी

जिस वक्त SCO बना था, उस वक्त भारत को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था. लेकिन उस समय भारत ने इसमें शामिल है. फिर चीन ने पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्या बनाने की मुहिम शुरू कर दी.

बिलावल भुट्टो के साथ इन देशों के नेता भी होंगे शामिल, जानिए क्या है SCO बिलावल भुट्टो के साथ इन देशों के नेता भी होंगे शामिल, जानिए क्या है SCO
हाइलाइट्स
  • 1991 में बना था संगठन

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी SCO मीटिंग में हिस्सा लेने गोवा पहुंचे हैं. बिलावल का भारत दौरा दोनों देशों के लिए बेहद खास है. इस मीटिंग की खूब चर्चा हो रही है. 20 अप्रैल को पुंछ में हुए आतंकी हमले के 14 दिन बाद बिलावल का ये दौरा और भी खास है.

इन देशों के लीडर होंगे शामिल
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में चीनी विदेश मंत्री किन गैंग, रूस के सर्गेई लावरोव भी शामिल हो रहे हैं. हालांकि इस बैठक में जयशंकर और भुट्टो के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी या नहीं, ये अभी साफ नहीं है. गोवा में चीन, पाकिस्तान, भारत और रूस के विदेश मंत्रियों के एक मंच पर आने की वजह से SCO संगठन चर्चा में है.

कब और क्यों बना SCO?
1991 में सोवियत यूनियन कई हिस्सों में टूट गया. इसके बाद रूस के पड़ोसी देशों के बीच बाउंड्री तय नहीं होने की वजह से सीमा विवाद शुरू हो गया. ये विवाद जंग का रूप न ले, इसके लिए रूस को एक संगठन बनाने की जरूरत महसूस हुई. दरअसल उस वक्त रूस को इस बात का भी डर था कि चीन अपनी सीमा से लगे सोवियत यूनियन के सदस्य रहे छोटे-छोटे देशों की जमीन कहीं कब्जा न कर ले. ऐसे में रूस ने 1996 में चीन और पूर्व सोवियत देशों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया. इसका ऐलान चीन के शंघाई शहर में हुआ, इसलिए संगठन का नाम- शंघाई फाइव रखा गया है. शुरुआत में इस संगठन के 5 सदस्य देशों में रूस, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान शामिल थे. धीरे-धीरे जब इन देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ गए तो इसे एक अंतरराष्ट्रीय संगठन का रूप दिया गया. 2001 में इन पांच देशों के साथ एक और उजबेकिस्तान ने जुड़ने का ऐलान किया, जिसके बाद इसे शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी SCO नाम दिया गया.

SCO का मुख्य उद्देश्य क्या है?
SCO देशों को वैसे तो सीमा विवाद सुलझाने के उद्देश्य से बनाया गया था. लेकिन अब इसका मकसद सोशल ईविल को खत्म करना है. जैसे- अलगाववाद, आतंकवाद, धार्मिक कट्टरपंथ. रूस को लगता था कि उसके आसपास के देशों में कट्टरपंथी सोच न बढ़े. अफगानिस्तान, सऊदी अरब और ईरान के करीब होने की वजह से ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में आतंकी संगठन पनपने भी लगे थे, जैसे- IMU यानी इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान में HUT. ऐसे में SCO के जरिए रूस और चीन ने इन तीन तरह के शैतानों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी.

भारत के शामिल होने की क्या है वजह?
जिस वक्त SCO बना था, उस वक्त भारत को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था. लेकिन उस समय भारत ने इसमें शामिल है. फिर चीन ने पाकिस्तान को इस संगठन का सदस्या बनाने की मुहिम शुरू कर दी. इससे रूस को संगठन में चीन के बढ़ते इससे रूस को संगठन में चीन के बढ़ते दबदबे का डर लगने लगा. तब जाकर रूस ने भारत को भी इस संगठन में शामिल होने की सलाह दी.