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Inspiring: लंदन से की फाइनेंस में मास्टर्स, फिर नौकरी छोड़कर लौट आए वतन, यहां शुरू किया डेयरी फार्म, अब लडेंगे पार्षद का चुनाव

लखनऊ के रहने वाले प्रवीन मिश्रा विदेश की नौकरी छोड़कर अपने वतन लौट आए ताकि देश के लिए कुछ कर सकें. पहले उन्होंने जॉब छोड़कर अपना डेयरी फार्म शुरू किया और अब वह पार्षद का चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

Praveen Mishra (Photo: LinkedIn) Praveen Mishra (Photo: LinkedIn)
हाइलाइट्स
  • निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किया नामांकन

  • शुरू किया अपना डेयरी फार्म

पिछले कुछ सालों में भारत की तस्वीर काफी ज्यादा बदली है. एक समय था जब लगभग हर युवा विदेश में जाकर पढ़ना और फिर वहीं बसना चाहता था. लेकिन आज बहुत हद तक स्थिति बदल रही है. आज के युवा अपने देश में रहकर अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं. वहीं, कुछ युवा तो ऐसे भी हैं जो विदेशों से नौकरियां छोड़कर अपने देश वापस लौट रहे हैं ताकि अपनों के साथ मिलकर कुछ कर सकें. कुछ ऐसी ही कहानी है लखनऊ के प्रवीन मिश्रा की. 

यूके में केंट विश्वविद्यालय से फाइनेंस में मास्टर्स करने वाले प्रवीन सालों पहले वहां की नौकरी को छोड़कर अपने वतन लौट आए. अपने शहर में खुद का डेयरी व्यवसाय किया और अब शहर के लोगों के मुद्दों को हल करने की चाह में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में पार्षद के पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. 

निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में किया नामांकन
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 34 वर्षीय प्रवीन मिश्रा ने रविवार को राजीव गांधी (2) वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया और वादा किया है कि निर्वाचित होने पर वह बेहतर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम), अच्छी सड़कों, जलभराव के समाधान के लिए काम करेंगे और अपने वार्ड में नागरिकों की शिकायतों का प्रभावी निवारण करेंगे. 

प्रवीन के पिता एक हैं और मां गृहिणी. उनका जन्म देवरिया में 1989 में हुआ था. वह 10 साल की उम्र में परिवार के साथ लखनऊ आ गए. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा देवरिया में की और छठी से 12वीं तक की पढ़ाई सीएमएस गोमती नगर में की. मिश्रा फिर 2007 में बीकॉम करने के लिए क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलोर गए और उसके बाद, उन्होंने 2011 में केंट विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (यूके) से फाइनेंस में मास्टर्स किया. 

यूके में तीन साल की नौकरी 
पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने एक निजी बैंक में एक सलाहकार के रूप में काम किया. केंट में कैंटरबरी शहर में रहते थे और यह जगह बेहतर नागरिक सुविधाओं के साथ-साथ बहुत सुंदर थी. साफ-सुथरी सड़कें और उनपर बागवानी सब कुछ अच्छा था. वहां उन्होंने तीन साल तक काम किया. लेकिन उन्हें हमेशा लगता था कि काश वह भारत में होते. इसलिए वह 2015 में दिल्ली लौट आए और यहां करीब दो साल तक लोन सिंडिकेटर के रूप में काम किया. 

हालांकि, समाज के लिए कुछ अलग तरीके से करने की चाहत ने उन्होंने फाइनेंस की नौकरी छोड़ दी और 2017 में डेयरी व्यवसाय शुरू करने और खेती करने के विचार से लखनऊ आ गए. उन्होंने कहा कि वह लंदन में इस पेशे की ओर तब आकर्षित हुआ जब उन्होंने देखा कि वहां गांवों में रहने वाले लोग इस काम के लिए समर्पित हैं.

शुरू किया अपना डेयरी फार्म
लखनऊ पहुंचने के बाद, मिश्रा ने गोमतीनगर के एक गांव में अपनी 10 एकड़ की पैतृक भूमि पर चार गायों के साथ एक फार्म हाउस और एक डेयरी शुरू की. उनकी डेयरी के पास बनाए गए आश्रय में अब 100 गायें हैं. साथ ही उन्होंने 2019 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी भी पूरी की. मिश्रा अब अपनी पत्नी अनामिका और एक साल के बेटे के साथ शहर में अच्छी तरह से सेटल हैं. 

हालांकि, यहां उन्होंने देखा कि कैसे मानसून के दौरान सड़क के किनारे कचरा नालियों को जाम कर देता है, जिसके कारण पानी जम भरने लगता है. उन्होंने घर पर कचरे को अलग करने और इसे ठीक से निपटाने के बारे में जागरूकता अभियान चलाया. उन्होंने लोगों को यह भी सिखाया कि गायों को सड़कों पर छोड़ने के बजाय उनके बूढ़े होने पर उनकी देखभाल कैसे की जाए. उन्होंने कई बार लखनऊ नगर निगम के सामने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का मुद्दा उठाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.

फिर, उन्होंने फैसला किया कि इसे सुधारने के लिए उन्हें सिस्टम का हिस्सा बना पड़ेगा. मेरे पास दो विकल्प थे - एक सरकारी अफसर बनने का या राजनीति में शामिल होने का. मैंने राजनीति में शामिल होने को चुना और एलएमसी में पार्षद पद का चुनाव लड़ने का फैसला किया.