

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक घटना ने सास-बहू के झगड़ों और तकरारों को पूरी तरह बदल दिया है. बीनम देवी और उनकी बहू पूजा की अविश्वसनीय कहानी ने साबित कर दिया कि रिश्तों में ममता और त्याग भी किसी चमत्कार से कम नहीं.
किडनी में हो गया था संक्रमण
पूजा के पति अश्वनी ने बताया कि उनकी पत्नी की तबीयत बेटी के जन्म के बाद अचानक बिगड़ गई थी. जांच में पता चला कि पूजा की दोनों किडनियों में गंभीर संक्रमण फैल गया है. डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि जान बचाने का एकमात्र रास्ता किडनी ट्रांसप्लांट है.
परिवार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि किडनी देगा कौन. अश्वनी ने बताया कि पहले उन्होंने पूजा की मां से बात की क्योंकि ग्राफ अच्छा मैच होने की उम्मीद थी, लेकिन पूजा की मां ने यह कदम उठाने से मना कर दिया.
सास ने दी बहू की किडनी
इस पर बिना किसी हिचकिचाहट के अश्वनी की मां वीनम देवी ने कदम बढ़ाया. उन्होंने कहा, “जान बचानी है तो किडनी देनी होगी.” अश्वनी भावुक होते हुए कहते हैं, “मैं सोचता हूं कि ऐसी मां सबको मिले.” वीनम देवी की यह सोच केवल बहू के प्रति ममता ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए जीवनदान साबित हुई.
पूजा की मां ने किडनी देने से मना किया
पूजा ने कहा, “जब मुझे तत्काल किडनी की जरूरत थी और मैंने अपनी मां से बोला तो उन्होंने मना कर दिया. लेकिन हमारी सास ने बिना कुछ सोचे-समझे अपनी किडनी दान कर दी. आज मैं केवल उन्हीं की वजह से अपनी बेटी के साथ हूं.”
पूरे गांव में मनाया गया जश्न
लखनऊ के एक निजी अस्पताल में 13 सितंबर को यह ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हुआ. यह ऑपरेशन न केवल पूजा की जान बचाने में कामयाब रहा, बल्कि सास-बहू के रिश्ते को भी एक नया आयाम दिया. जब वीनम देवी स्वस्थ होकर गांव लौटीं, तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. गांव वालों ने उनके स्वागत में फूलों की बारिश की और घर-घर मिठाई बांटी.
मिसाल बन गया त्याग और ममता का रिश्ता
बीनम देवी के इस त्याग और ममता ने पूरे गांव वालों का दिल जीत लिया. हर कोई उनके इस कदम को सलाम कर रहा है. यह कहानी साबित करती है कि रिश्तों में सच्ची ममता और निस्वार्थ प्रेम किसी भी तरह की तकरार या सदियों पुराने ढर्रे को बदल सकता है.
-अंकित मिश्रा की रिपोर्ट
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