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मलेशिया ने खत्म की Mandatory Death Penalty, जानिए और किन देशों में है ये कानून 

Mandatory Death Penalty: मलेशिया सरकार ने मैनडेटरी डेथ पेनाल्टी यानी अनिवार्य मृत्युदण्ड की सजा को खत्म करने का फैसला किया है. वैसे अभी भी कई देश ऐसे हैं जहां मृत्युदण्ड की सजा अनिवार्य रूप से दी जाती है. आइए जानते हैं उन देशों के बारे में.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • भारत में मृत्युदंड का प्रावधान है लेकिन यह अनिवार्य नहीं है

  • मलेशिया में ड्रग्स की तस्करी कर रहे 905 अपराधियों को दी गई मौत की सजा

मलेशिया सरकार ने 10 जून को एक बयान जारी करते हुए कहा कि वह मृत्युदंड की सजा को पूरी तरह से खत्म करने जा रही है. इसके लिए कानून में संशोधन किया जाएगा. एक बार जैसा ही यह कानून प्रभाव में आ गया उसके  बाद से अपराधियों को सजा-ए मौत न देकर अन्य वैकल्पिक सजा दी जाएगी. बता दें कि मलेशिया में ज्यादातर ड्रग अपराधियों को मौत की सजा दी गई है. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार फरवरी 2022 तक मौत की सजा पाने वाले एक हजार अपराधियों में से 905 अपराधी ड्रग्स की तस्करी कर रहे थे. अगर बात भारत की करें तो भारत में मृत्युदंड का प्रावधान है. लेकिन यह किसी भी अपराध में अनिवार्य नहीं है. यानी वैकल्पिक अन्य सजा भी दी जा सकती है. ऐसे में चलिए समझते हैं कि मृत्युदंड क्या है और किन देशों में मृत्युदंड अनिवार्य रूप दिया जाता है. 

अनिवार्य मृत्युदंड क्या है (What Is Mandatory Death Penalty)

मलेशिया में कुछ अपराधों में अपराधियों को अनिवार्य रूप से मौत की सजा दी जाती है. जज के पास अन्य सजा देने का विकल्प नहीं है. जैसे कि मर्डर, बलात्कार और आतंकवादी गतिविधि में शामिल अपराधियों को अनिवार्य रूप से मौत की सजा दी जाती है. मलेशियाई सरकार ने 2018 में भी अनिवार्य मृत्युदंड को समाप्त करने की बात कही थी लेकिन उस समय इसे लागू नहीं कर पाई. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार  मलेशियाई सरकार ने अनिवार्य मृत्युदंड को खत्म कर अन्य वैकल्पिक दंड की समीक्षा करने वाली सिफारिश पेश की है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कब कानून में संशोधन किया जाएगा.

किन देशों में मृत्युदंड की सजा अनिवार्य है

अगर कुछ अपवादों और कुछ विशेष अपराधों को छोड़ दें तो अधिकांश देशों में मृत्युदंड की सजा के विकल्प में आजीवन कारावास या अन्य वैकल्पिक सजा देने का प्रावधान है. वहीं कुछ इस्लामी देश ऐसे भी हैं जहां ईशनिंदा यानी धर्म और आस्था के खिलाफ अपमानजनक शब्द बोलने पर अनिवार्य रूप से मौत की सजा दी जाती है.


पाकिस्तान के एक अदालत ने साल 1991 में ईशनिंदा करने पर अनिवार्य रूप से मौत की सजा दी थी. पाकिस्तान के इस फैसले ने उसे ईरान और सऊदी अरब से भी सख्त बना दिया था. आकड़ों के अनुसार सऊदी अरब और ईरान में मौत की सजा ज्यादा दी जाती है लेकिन वहां के जजों के पास सजा को कम करने या अन्य सजा देने का भी विकल्प है. जिस तरह से मलेशिया में ड्रग्स केस में पकड़े गए अपराधियों को अनिवार्य रूप से मृत्यदंड देने का प्रावधान है वैसे ही दक्षिण पूर्व एशिया के देशो में भी मौत की सजा दी जाती है. सिंगापुर में ड्रग्स बनाने से लेकर उसके आयात और निर्यात पर भी सजा देने का प्रावधान है. हालांकि अनिवार्य मौत की सजा बहुत अधिक मात्रा में ड्रग्स की तस्करी और किसी की हत्या कर देने पर दी जाती है.

मानवाधिकार विशेषज्ञ क्या कहते हैं 

2022 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के विशेषज्ञों ने कहा कि ड्रग्स से जुड़े अपराधों के लिए मौत की सजा अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है. उनका कहना है कि जिन देशों ने अनिवार्य मृत्युदंड को अब तक खत्म  नहीं किया है वे इसे केवल सबसे गंभीर अपराधों से जुड़े केसों में ही मृत्यदंड की सजा दें. जैसे कि मर्डर. यह जानबूझकर किया गया सबसे गंभीर अपराध है. ऐसे में मौत की सजा दी जा सकती है लेकिन ड्रग्स केस में यह लागू नहीं होता.