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Mandal Commission: मंडल कमीशन के हिसाब से बैकवर्ड जातियों में कौन आ सकता है? पूरा पैरामीटर समझिए

मंडल कमीशन ने ओबीसी आरक्षण के लिए सोशल-एजुकेशनल और इकोनॉमिक क्राइटेरिया तय किया था. इसके लिए 11 प्वाइंटर तय किए गए थे. इसके लिए कुल 22 नंबर थे. इसमें से जिन जातियों ने 11 अंक हासिल किए. उनको पिछड़ा घोषित किया गया.

Reservation Reservation

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे की मांग को फडणवीस सरकार ने मान ली है. फडणवीस सरकार ने 8 में से 5 मांगों को मान लिया है. ओबीसी आरक्षण का मुद्दा हमेशा से सियासत में काफी अहम रहा है. आज कई जातियां खुद को ओबीसी में शामिल करने की मांग उठाती रहती हैं. हालांकि इसका आधार इतिहास, परंपरा या संख्या बल होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मंडल कमीशन के हिसाब से बैकवर्ड जातियों में कौन शामिल हो सकता है? मंडल कमीशन ने बहुत डिटेल्ड सोशल-एजुकेशनल-इकोनॉमिक प्वाइंट्स बताए हैं. जिसके आधार पर जातियों को ओबीसी में शामिल किया गया था.

मंडल कमीशन का क्राइटेरिया-
मंडल कमीशन ने ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए 11 क्राइटेरिया तय किए थे. जिसके लिए कुल 22 नंबर दिए गए थे. इसमें से जिन जातियों ने 50 फीसदी अंक यानी 11 नंबर हासिल किए. उनको ओबीसी आरक्षण दिया गया था.

कमीशन ने जाति/वर्ग को पिछड़ा घोषित करने के लिए 3 क्राइटेरिया तय किए थे. इसमें सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक क्राइटेरिया शामिल थे. इसमें सोशल क्राइटेरिया में 4 प्वाइंट, एजुकेशनल क्राइटेरिया में 3 प्वाइंट और इकोनॉमिक क्राइटेरिया में 4 प्वाइंट दिए गए थे.

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सोशल क्राइटेरिया के 4 प्वाइंट-
मंडल कमीशन ने ओबीसी आरक्षण पाने के लिए जो सोशल क्राइटेरिया तय किया था, उसमें 4 प्वाइंट थे. चलिए उनके बारे में बताते हैं.

  1. ऐसी जातियां या वर्ग, जिनको सामाजिक तौर पर पिछड़ा माना जाता है.
  2. जो जातियां या वर्ग अपनी आजीविका के लिए मुख्य रूप से शारीरिक श्रम पर निर्भर हैं.
  3. वो जातियां या वर्ग, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में स्टेट एवरेज से कम से कम 25 फीसदी ज्यादा महिलाएं और 10 फीसदी ज्यादा पुरुष 17 साल से कम उम्र में शादी करते हैं. जबकि शहरी क्षेत्रों में स्टेट एवरेज से कम से कम 10 फीसदी ज्यादा महिलाएं और 5 फीसदी ज्यादा पुरुष 17 साल से कम उम्र में विवाह करते हैं.
  4. वो जातियां या वर्ग, जिसमें काम करने को लेकर महिलाओं की भागीदारी राज्य औसत से कम से कम 25 फीसदी अधिक है.

 
एजुकेशनल क्राइटेरिया-
मंडल कमीशन ने ओबीसी आरक्षण पाने के लिए एजुकेशन क्राइटेरिया भी तय किया था. इसमें 3 प्वाइंट थे. चलिए उनके बारे में बताते हैं.

  1. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें 5-15 साल आयु वर्ग के कभी स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या स्टेट एवरेज से 25 फीसदी ज्यादा हो.
  2. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें 5-15 साल आयु वर्ग के बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर स्टेट एवरेज से 25 फीसदी अधिक है.
  3. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें गैर-मैट्रिकुलेट का अनुपात स्टेट एवरेज से कम से सम 25 फीसदी अधिक है.

इकोनॉमिक क्राइटेरिया-
मंडल कमीशन ने ओबीसी आरक्षण के लिए इकोनॉमिक क्राइटेरिया भी तय किया था. इसमें 4 प्वाइंट थे. चलिए उनके बारे में बताते हैं.

  1. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें फैमिली एसेट की एवरेज वैल्यू  स्टेट एवरेज से कम से कम 25 फीसदी कम है.
  2. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें कच्चे घरों में रहने वाले परिवारों की संख्या स्टेट एवरेज से कम से कम 25 फीसदी अधिक है.
  3. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें 50 फीसदी से अधिक परिवारों के लिए पेयजल का सोर्स आधा किलोमीटर से दूर है.
  4. ऐसी जातियां या वर्ग, जिसमें कर्ज लेने वाले परिवारों की संख्या स्टेट एवरेज से कम से कम 25 फीसदी अधिक है.

किस क्राइटेरिया के लिए कितने नंबर?
मंडल कमीशन ने हर क्राइटेरिया के लिए अलग-अलग नंबर तय किए थे. इसमें हर सोशल इंडिकेटर के लिए 3 नंबर तय किए गए थे. जबकि हर एजुकेशनल इंडिकेटर के लिए 2 नंबर और हर इकोनॉमिक इंडिकेटर के लिए एक नंबर तय किए गए थे.

इस तरह से सोशल क्राइटेरिया के 12 नंबर, एजुकेशनल क्राइटेरिया के लिए 6 नंबर और इकोनॉमिक क्राइटेरिया के लिए 4 नंबर तय किए गए थे.

किन जातियों को मिला आरक्षण?
मंडल कमीशन के मुताबिक ओबीसी आरक्षण के लिए कुल 22 नंबर का क्राइटेरिया तय किया गया था. जिस जाति या वर्ग ने 50 फीसदी अंक यानी 11 नंबर हासिल किए. उनको पिछड़ा घोषित किया गया.

मंडल कमीशन के मुताबिक अगर कोई जाति एकुजेशनल और इकोनॉमिक क्राइटेरिया के सारे अंक हासिल कर लेती है, लेकिन सोशल क्राइटेरिया से कोई अंक नहीं मिलता है तो उसे पिछड़ा घोषित नहीं किया जाएगा.

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