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​MSP Increases: मोदी सरकार ने किसानों को दी बड़ी खुशखबरी, धान-मूंग सहित इन खरीफ फसलों की बढ़ाई MSP, जानें कैसे तय होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य

केंद्र सरकार ने मूंग, अरहर, धान, मक्का और उड़द की दाल की MSP को बढ़ा दिया है. इस ऐलान बाद किसान अपनी फसल बढ़ी हुई कीमतों पर बेच सकेंगे. मूंग दाल की MSP सबसे ज्यादा बढ़ाई गई है. 

केंद्र सरकार ने खरीफ फसल की तय की एमएसपी (प्रतीकात्मक फोटो) केंद्र सरकार ने खरीफ फसल की तय की एमएसपी (प्रतीकात्मक फोटो)
हाइलाइट्स
  • सरकार ने मूंग दाल का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा बढ़ाया 

  • ए ग्रेड का धान 2,203 रुपए प्रति क्विंटल बेच सकेंगे किसान

मोदी सरकार ने बुधवार को किसानों को बड़ी खुशखबरी दी है. जी हां, खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP) बढ़ाने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 2023-24 के फसल वर्ष के लिए खरीफ की 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने की मंजूरी दी गई. 

मूंग दाल का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा 
सरकार ने मूंग दाल का समर्थन मूल्य सबसे ज्यादा 10 प्रतिशत बढ़ाया है. धान का मिनिमम सपोर्ट प्राइस 143 रुपए बढ़ाकर 2,183 रुपए प्रति क्विंटल करने की गई है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस कदम का मकसद किसानों को धान की खेती के लिए प्रोत्साहन देना और उनकी आमदनी बढ़ाना है. 

किस फसल पर कितनी एमएसपी बढ़ी
गोयल ने बताया कि सामान्य ग्रेड के धान का एमएसपी 143 रुपए बढ़ाकर 2,040 रुपए से 2,183 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है. ए ग्रेड के धान का एमएसपी 163 रुपए बढ़ाकर 2,203 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है. मूंग का एमएसपी अब 8,558 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है. यह पिछले साल 7,755 रुपए प्रति क्विंटल था. ज्वार हाइब्रिड का एमएसपी 210 रुपए, बाजरा का 150 रुपए, रागी का 268 रुपए, मक्का का 128 रुपए, अरहर का 400 रुपए, मूग का 803 रुपए, उड़द का 350 रुपए, मूंगफली का 527 रुपए, सूरजमुखी बीज का 360 रुपए, सोयाबीन पीला का 300 रुपए और सनफ्लावर सीड का एमएसपी 360 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है.  

क्या है एमएसपी
किसानों की उगाई फसल के लिए सरकार एक दाम तय करती है, जिसे फसल तैयार होने के बाद जब किसान उस फसल को मंडी में बेचता है तो सरकार की ओर से उस फसल के लिए तय की हुई कीमत दी जाती है. एमएसपी सरकार की ओर से किसानों को दिया जाने वाला एक आर्थिक भरोसा है, जिससे किसानों को फसल उगाने से पहले उसकी कीमत का अंदाजा हो जाता है कि उसे इस फसल की कितनी कीमत मिलेगी. सरकार मांग और सप्लाई को आसान बनाने के लिए किसान के फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है ताकि कुछ भी हो उस किसान को उस फसल के लिए कम से कम इतनी रकम तो मिलेगी ही.

कानूनी रूप से बाध्य नहीं है सरकार
सरकार कानूनी रूप से किसानों को एमएसपी देने के लिए बाध्य नहीं है. यानी देश में एमएसपी को लेकर कोई कानून नहीं है. सरकार चाहें तो किसानों को एमएसपी दे सकती या नहीं. केंद्र सरकार की कृषि मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए एमएसपी तय करती है.

ये चीजें ध्यान में रखकर तय होती है एमएसपी
जब भी CACP न्यूनतम समर्थन मूल्य की अनुशंसा करता है, तो वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर ही इसे तय करता है.  इसके लिए उत्पाद की लागत क्या है, इनपुट मूल्यों में कितना परिवर्तन आया है, बाजार में मौजूदा कीमतों का क्या रुख है, मांग और आपूर्ति की स्थ‍िति क्या है, अंतरराष्ट्रीय मूल्य स्थ‍िति, इसके अलावा सीएसीपी स्थानी,‍ जिले और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्थ‍ितियों का जायजा लेने के बाद ही सब तय करता है.

इन फसलों का सरकार हर साल तय करती है एमएसपी
अनाज: धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी.
दाल: चना, अरहर/तूर, मूंग, उड़द और मसूर. 
तिलहन: मूंगफली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सुरजमुखी के बीज, सीसम, कुसुम्भी और खुरसाणी, खोपरा, कच्चा कपास, कच्चा जूट, गन्ना,  वर्जीनिया फ्लू उपचारित (BFC) तम्बाकू , नारियल शामिल है.