
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी कोई नई समस्या नहीं है लेकिन इसका नामकरण कर दिया गया है. जब रोजगार नहीं मिल पाया तो सरकार ने ‘बेरोजगार’ शब्द ही हटा दिया और इन लाखों नौजवानों को ‘आकांक्षी युवा’ कहना शुरू कर दिया. नीति नहीं बदली, हालात नहीं बदले, बस परिभाषा बदल दी गई लेकिन इन शब्दों के पीछे छिपी असल कहानी बहुत गहरी और गंभीर है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य में रोजगार के अवसरों की कमी का सबसे बड़ा बोझ किस वर्ग पर पड़ रहा है?
ओबीसी वर्ग पर सबसे भारी बेरोजगारी का बोझ
राज्य के रोजगार पोर्टल पर अब तक 25,68,321 युवाओं ने पंजीकरण कराया है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 10.46 लाख से ज़्यादा युवा केवल ओबीसी यानी कि अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. यह आंकड़ा किसी भी दूसरे वर्ग से कई गुना ज़्यादा है और साफ़ दर्शाता है कि बेरोजगारी का सबसे बड़ा भार आज भी सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के कंधों पर टिका है.
इनमें 5.73 लाख पुरुष और 4.72 लाख महिलाएं शामिल हैं. इसके मुकाबले सामान्य वर्ग से 3,44,440 पुरुष और 2,89,993 महिलाएं, कुल 6,34,433 युवा पंजीकृत हैं. अनुसूचित जाति वर्ग से 2,58,117 पुरुष और 2,11,357 महिलाएं, कुल 4,69,474 युवा रोजगार पोर्टल पर दर्ज हैं. अनुसूचित जनजाति से 2,16,269 पुरुष और 2,02,039 महिलाएं, कुल 4,18,308 युवा पंजीकृत हैं. साफ है कि आर्थिक और सामाजिक अवसरों की असमानता सबसे अधिक ओबीसी समुदाय को प्रभावित कर रही है.
बेरोजगारी दर में आई कमी
विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, कांग्रेस विधायक बाला बच्चन और आतिफ अकील के सवालों पर बेरोजगारी को लेकर ये मुद्दा उठा. सरकार की ओर से कौशल विकास एवं रोजगार विभाग राज्यमंत्री गौतम टेटवाल ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि रोजगार पोर्टल पर पंजीकृत युवाओं को बेरोजगार नहीं माना जा रहा, बल्कि उन्हें पंजीकृत आवेदक की श्रेणी में रखा गया है. चूंकि यह शब्द बेरोजगार जैसा नकारात्मक लगता है, इसलिए अब इन्हें आकांक्षी युवा कहा जा रहा है. मंत्री गौतम टेटवाल ने जवाब में एक बात और कही कि पिछले सात महीनों में बेरोजगारी में 0.56% की कमी आई है. आंकड़ों के हिसाब से 48624 युवा अब इस सूची से बाहर हुए हैं, यानी दिसंबर 2024 की तुलना में यह गिरावट दर्ज की गई है.
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति पर नजर डालें तो सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सागर जिला सबसे ऊपर है. यहां 95,835 युवाओं ने रोजगार के लिए पंजीकरण कराया है. इसके बाद भोपाल में 95,587, ग्वालियर में 94,159, रीवा में 89,326 और सीधी में 86,737 बेरोजगार युवा दर्ज हैं. इसके अलावा सतना में 84,024, छिंदवाड़ा में 83,741, बालाघाट में 82,916, जबलपुर में 81,611 और मुरैना में 77,907 बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं. ये आंकड़े प्रदेश के उन जिलों को दर्शाते हैं जहां बेरोजगारी का स्तर सबसे ज़्यादा है.
इन जिलों में बेरोजगारों की संख्या कम
जिन जिलों में बेरोजगारों की संख्या सबसे कम है, उनमें पांढुर्णा सबसे नीचे है, जहां सिर्फ 2,852 युवाओं ने रोजगार के लिए नाम दर्ज कराया है. इसके बाद मऊगंज में 5,695, मैहर में 6,675, बुरहानपुर में 13,072, आगर-मालवा में 14,319, निवाड़ी में 14,739, हरदा में 17,926, श्योपुर में 19,877, उमरिया में 23,972 और अशोकनगर में 24,927 बेरोजगार युवा रजिस्टर्ड हैं.
(अमृतांशी जोशी की रिपोर्ट)