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Mumbai-Ahmedabad Bullet Train Project: बुलेट ट्रेन परियोजना में आई तेजी, 100 मीटर लंबा 'मेक इन इंडिया' स्टील ब्रिज किया गया लॉन्च... जानें प्रोजेक्ट कब तक होगा पूरा

Mumbai-Ahmedabad Bullet Train Project: मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है. 2017 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा. इसी क्रम में नडियाद के पास 100 मीटर लंबाई का दूसरा स्टील ब्रिज लॉन्च किया गया.

Mumbai Ahmedabad Bullet Train Project (Photo-Atul Tiwari) Mumbai Ahmedabad Bullet Train Project (Photo-Atul Tiwari)

बुलेट ट्रेन का सपना जल्द ही पूरा होने वाला है. तेजी से इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है. इसी क्रम में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए गुजरात में नडियाद के पास भारतीय रेलवे की वडोदरा-अहमदाबाद मुख्य लाइन पर 100 मीटर लंबाई का स्टील ब्रिज लॉन्च किया गया. जापानी विशेषज्ञों के साथ, भारत मेक-इन-इंडिया विजन के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए अपनी स्वदेशी तकनीकी और भौतिक क्षमताओं का तेजी से उपयोग कर रहा है. बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए यह स्टील ब्रिज इन्हीं ही उदाहरणों में से एक है. 

जमीन से 15.5 मीटर की ऊंचाई पर बना पुल

1486 मीट्रिक टन के इस स्टील ब्रिज का निर्माण गुजरात के भुज जिले में स्थित कार्यशाला में किया गया है, जो ब्रिज लॉन्चिंग साइट से लगभग 310 कि.मी. दूर है. लॉन्चिंग के लिए ब्रिज को ट्रेलरों द्वारा साइट पर ले जाया गया. साइट पर, स्टील ब्रिज को अस्थायी ट्रेस्टल्स पर जमीन से 15.5 मीटर की ऊंचाई पर असेंबल किया गया. इसके बाद, 63 मीटर लंबाई और लगभग 430 मीट्रिक टन वजन की लॉन्चिंग नोज को मुख्य पुल असेंबली के साथ जोड़ा गया. स्टील ब्रिज को हाई टेंशन स्ट्रैंड्स का उपयोग करके 180 मीट्रिक टन की क्षमता वाले 2 जैक से इसे खींचा गया. 

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इस तरह किया जाता है निर्माण

स्टील के प्रत्येक उत्पादन बैच का मैन्युफैक्चरिंग परिसर में अल्ट्रासोनिक परीक्षण (Ultrasonic Testing) द्वारा परीक्षण किया गया. स्टील ब्रिज का निर्माण जापानी इंजीनियर द्वारा तैयार डिजाइन ड्राइंग के अनुसार कटिंग, ड्रिलिंग, वेल्डिंग और पेंटिंग के उच्च तकनीक और सटीक संचालन द्वारा किया जाता है. कॉन्ट्रैक्टर्स को अंतर्राष्ट्रीय वेल्डिंग विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित वेल्डर और पर्यवेक्षकों को नियुक्त करना अनिवार्य है. प्रत्येक कार्यशाला में, वेल्डिंग प्रक्रिया की मॉनिटरिंग, जापानी अंतर्राष्ट्रीय वेल्डिंग विशेषज्ञों (International Welding Experts) द्वारा भी की जाती है. निर्मित स्टील स्ट्रक्चर चेक असेंबली प्रक्रिया से गुजरने के बाद, पांच-परत तकनीक का उपयोग करके पेंट किया जाता है.

स्टील गर्डर के लिए अपनाई गई पेंटिंग तकनीक भारत में अपनी तरह की पहली तकनीक है. यह जापान रोड एसोसिएशन के "स्टील रोड ब्रिज के संरक्षण के लिए हैंडबुक" की सी-5 पेंटिंग प्रणाली के अनुरूप है. स्टील अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने का काम टोर शीयर टाइप हाई स्ट्रेंथ बोल्ट्स (टीटीएचएसबी) का उपयोग करके किया जाता है, जिसका उपयोग भारत में किसी भी रेलवे परियोजना के लिए पहली बार किया जा रहा है.

ब्रिज की लंबाई 60 से 130 मीटर तक

यह स्टील ब्रिज, बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए तैयार किए गए 28 स्टील पुलों में से दूसरा है. पहला स्टील ब्रिज गुजरात के सूरत में राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर लॉन्च किया गया था. इन स्टील ब्रिज को बनाने में लगभग 70,000 मीट्रिक टन निर्दिष्ट (specified) स्टील का उपयोग किया जाता है. स्पैन की लंबाई 60 मीटर 'सिंपली सपोर्टेड' से लेकर 130 + 100 मीटर 'कंटीन्यूअस स्पैन' तक होती है.

40 से 45 मीटर तक वाले प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट ब्रिज के विपरीत, स्टील ब्रिज राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और रेलवे लाइनों को पार करने के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं, जो नदी पुलों सहित अधिकांश वर्गों के लिए उपयुक्त होते हैं. भारत के पास 100 से 160 कि.मी. प्रति घंटे के बीच चलने वाली भारी ढुलाई और अर्ध उच्च गति वाली ट्रेनों के लिए स्टील ब्रिज बनाने की विशेषज्ञता है. अब, स्टील गर्डर्स के निर्माण में समान विशेषज्ञ एमएएचएसआर कॉरिडोर पर भी लागू की जाएगी, जिसमें 320 किमी.प्रति घंटे की परिचालन गति होगी.