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नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे के रिपोर्ट, देश में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है महिलाओं की संख्या

भारत में अक्सर लिंग अनुपात चिंता का विषय बना रहता है. क्योंकि ज्यादातर राज्यों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से काफी कम होती है. और वहीं दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या भी एक चिंता है. लेकिन इस साल के नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के आंकड़े कुछ अलग बता रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 24 नवंबर को जारी किए गए एनएफएचएस सर्वे के मुताबिक भारत में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं.

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हाइलाइट्स
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (NFHS-5) की रिपोर्ट

  • दो चरणों में पूरा हुआ है सर्वे

भारत में अक्सर लिंग अनुपात चिंता का विषय बना रहता है. क्योंकि ज्यादातर राज्यों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से काफी कम होती है. और वहीं दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या भी एक चिंता है. लेकिन इस साल के नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के आंकड़े कुछ अलग बता रहे हैं. 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 24 नवंबर को जारी किए गए एनएफएचएस सर्वे के मुताबिक भारत में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1,020 महिलाएं हैं. साथ ही, अब भारत को जनसंख्या विस्फोट का खतरा नहीं है. 

भारत अब नहीं है 'मिसिंग वीमेन' देश: 

हालांकि, NFHS-5 सिर्फ एक सैंपल है. इसलिए अगली राष्ट्रीय जनगणना के बाद ही कुछ सुनिश्चित कहा जा सकता है. लेकिन संभावनाएं हैं कि सर्वे का यह दावा सही साबित हो. इस तरह से भारत को अब "मिसिंग वीमेन" (लापता महिलाओं) का देश नहीं कहा जा सकता है.  

इस फ्रेज (वाक्यांश) को पहली बार नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने 1990 में न्यूयॉर्क रिव्यू ऑफ बुक्स में एक निबंध में इस्तेमाल किया था. उस समय, भारत में प्रति 1,000 पुरुषों पर 927 महिलाएं थीं. 2005-06 में आयोजित एनएफएचएस-3 के अनुसार महिलाओं और पुरुषों का अनुपात बराबर था. 2015-16 में एनएफएचएस-4 में यह घटकर 991:1000 हो गया. 

यह पहली बार है कि किसी भी NFHS या जनगणना में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है.

दो चरणों में आयोजित हुआ NFHS-5: 

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक विकाश शील ने कहा है कि भले ही वास्तविक तस्वीर जनगणना से सामने आएगी. लेकिन हम अभी के परिणामों को देखते हुए कह सकते हैं कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के कदम सही दिशा में रहे हैं. 

हालांकि, जन्म के समय का लिंगानुपात अभी भी 929:1000 है. अभी भी लोग लड़के के जन्म को महत्व देते हैं और इसके लिए सरकार को जल्द ही ठोस कदम उठाने पड़ेंगे ताकि समाज में बराबरी रहे. 

15 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या का हिस्सा, जो 2005-06 में 34.9% था, 2019-21 में घटकर 26.5% हो गया है. भारत अभी भी एक युवा देश है - जनगणना के आंकड़ों के अनुसार 2011 में 24 वर्ष औसत आयु है. लेकिन अब यह बूढ़ा हो रहा है और इसलिए सरकार को इस बात को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाने की जरूरत है. 

NFHS-5 को 2019 से 2021 के बीच दो चरणों में आयोजित किया गया था. और इसमें देश के 707 जिलों के 650,000 परिवारों को शामिल किया गया था.

चरण- II में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का सर्वेक्षण किया गया उनमें अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली के एनसीटी, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हैं. पहले चरण में शामिल 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में NFHS-5 के निष्कर्ष दिसंबर 2020 में जारी किए गए थे.