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National Food Security Act: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून क्या कहता है, किस राज्य में कितना सफल हुआ, गरीब जनता को इससे कितना फायदा?

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) लागू करने के मामले में ओडिशा पहले स्थान पर है. इसके बाद उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश का स्थान है. क्या कहता है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून, यह किन-किन राज्यों में लागू है, चलिए जानते हैं.

 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून
हाइलाइट्स
  • यह योजना भारत में भुखमरी जैसी समस्या को कम करती है.

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) लागू करने के मामले में गोवा 20वें स्थान पर है.

केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने 'एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक' 2022 जारी किया है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) को लागू करने के मामले में ओडिशा पहले स्थान पर जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है. इसे टीपीडीएस (लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत होने वाले संचालन और पहल के माध्यम से मापा जाता है.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून क्या है

एक व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए अच्छी गुणवत्ता का खाद्यान उपलब्ध हो. ये उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में हो, पोषणयुक्त हो और इतने मूल्य पर हो कि उसे प्राप्त करने में व्यक्ति को सोचना न पड़े, इन बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 10 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अधिसूचित किया. 

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून का उद्देश्य

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य मानव को पोषण की सुरक्षा प्रदान करना है. इसके तहत केंद्र लगभग 80 करोड़ लोगों को अत्यधिक सब्सिडी वाला खाद्यान्न उपलब्ध कराता है. सरकार प्रति व्यक्ति प्रति माह 1-3 रुपये प्रति किलोग्राम पर पांच किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करती है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) देश की कुल आबादी के 67 प्रतिशत हिस्से को कवर करता है.

आम लोगों को इससे कितना फायदा?

इस प्रावधान को सुचारू रूप से चलाने के लिए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के प्रावधान को शामिल किया गया. इसके तहत बेहद सस्ते दामों पर 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को और  50 प्रतिशत शहरी आबादी को अनाज वितरित किया जाता है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनिय में भी इसी प्रवाधान को शामिल किया गया है. इस अधिनियम के तहत व्यक्ति को चावल 3 रुपये, गेहूं 2 रुपये और मोटा अनाज 1 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलता है.


यह अधिनियम तीन तरह के अधिकारों की गारंटी देता है. इसके अंतर्गत बच्चों को पोषण आहार देना, मातृत्व लाभ देना तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सस्ते दर पर खाद्य पदार्थ देना शामिल है. जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र भी स्थापित किया गया है, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके. बिहार जैसे राज्यों में इस अधिनियम को लागू करने से आम लोगों को काफी लाभ मिला है.

कितना सफल है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 

यह योजना भारत में भुखमरी जैसी समस्या को कम करती है. जोकि भारत में एक गंभीर रही है. परिवार में सबसे वृद्ध महिला के नाम राशन कार्ड का जारी होना महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है. इस अधिनियम को अपने राज्य में लागू करना और खाद्यान सुनिश्चित करना राज्यों की जिम्मेदारी है. प्रत्येक राज्य में नियम अलग-अलग हैं. वितरण प्रणाली अलग है. कुछ राज्यों में खाद्य सुरक्षा अधिनियम उतना सफल नहीं हो पाया है. जैसे कि गोवा में. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) लागू करने के मामले में गोवा 20वें स्थान पर है. वहीं छत्तीसगढ़ को 19वां स्थान मिला है. विशेष श्रेणी के राज्यों (पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों और द्वीपीय राज्यों) में त्रिपुरा ने पहला स्थान प्राप्त किया है.