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महिलाओं-बच्चों पर जुल्म किया तो नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत, यूपी सरकार ने कड़े किए नियम, सीआरपीसी एक्ट में सरकार ने किया संशोधन

महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रति ज़ीरो टॉलरन्स की नीति अपनाते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी विधानसभा ने आज एक ऐतिहासिक संशोधन बिल पास कराया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर ये विधेयक यूपी विधानसभा में पेश किया गया.

महिलाओं-बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराध में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत महिलाओं-बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराध में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत
हाइलाइट्स
  • सीआरपीसी एक्ट में सरकार ने किया संशोधन

  • यूपी सरकार ने कड़े किए नियम

महिलाओं के खिलाफ अपराधों में जीरो टॉलरन्स की नीति अपनाते हुए योगी सरकार ने एक बड़ी पहल की है. महिला के खिलाफ गंभीर अपराधों में अग्रिम जमानत (anticipatory bail) नहीं हो इसके लिए यूपी सरकार ने ठोस पहल की है. मानसून सत्र के अंतिम दिन ‘दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक 2022 पारित किया गया. इस संशोधन के बाद महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकेगी.

गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी

योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी विधानसभा ने आज एक ऐतिहासिक संशोधन बिल पास कराया. CRPC में बदलाव के जरिए महिलाओं के खिलाफ होने वाले घृणित और गंभीर अपराध में अग्रिम जमानत को खत्म कर दिया जाएगा. हालांकि इसपर गेंद केंद्र सरकार के पाले में होगी क्योंकि गृह मंत्रालय की मंजूरी जरूरी हैं लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर ये विधेयक यूपी विधानसभा में पेश किया गया. ये बिल एक दिन पहले 22 सितंबर को पेश किया गया था, जब यूपी विधानसभा महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर चर्चा कर रही थी.

गंभीर अपराध में नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत 

जानकारी के अनुसार इस बिल में संशोधन के बाद ये प्रावधान होगा कि महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध रेप, गैंगरेप, यौन दुराचार में आरोपी को अग्रिम जमानत न मिले. इसके साथ ही बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए POCSO एक्ट लगने पर भी अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म कर दिया जाएगा. इसके लिए CRPC की धारा 438 में संशोधन इस बिल में प्रस्तावित किया गया है. इसके बाद महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले इन अपराधों में आरोपी की अग्रिम जमानत नहीं मिल पाएगी.

संशोधन विधेयक में Code of Criminal Procedure की धारा 438 में बदलाव के साथ ही POCSO ACT और 376, 376-A, 376 -AB, 376 -B, 376-C, 376-D,376-DA, 376-DB, 386-E की धाराओं में आरोपी को अग्रिम जमानत (anticipatory bail) नहीं मिल सकेगी. इससे साफ है कि इसमें न सिर्फ रेप बल्कि यौन अपराध, बदसलूकी और यौन अपशब्द को भी शामिल किया गया है. यानि अब महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराध होने पर इन धाराओं में मुकदमा दर्ज होने पर भी अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी.

सरकार की जीरो टॉलरेन्स पॉलिसी

संशोधन विधेयक को प्रस्तावित करते हुए सरकार ने कहा है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में जीरो टॉलरेन्स पॉलिसी के तहत ये किया गया है. साथ ही आरोपी किसी तरह साक्ष्यों को प्रभावित या नष्ट न करे इसके लिए ये किया गया है.

‘in order to pursuance of zero tolerance policy towards crimes against women and children , to ensure prompt collection of Biological evidence in sexual offences, to prevent such biological evidence from annihilated, to minimize the possibility of destruction of evidences and to restrain the accused from causing fear and coercion to the victim /witnesses, it has been decided to amend the section 438 of Code of Criminal Procedure 1973.’ 

जाहिर है गवाहों और पीड़ित को धमकाने और साक्ष्यों को प्रभावित करने से आरोपियों को रोकने के लिए ये संशोधन मील का पत्थर साबित हो सकता है. इस मामले पर कांग्रेस और सपा ने संशोधन प्रस्तुत किया था लेकिन ध्वनि मत से विधेयक पारित हो गया. अब उच्च सदन विधान परिषद में इस विधेयक को पारित करना होगा. इसके बाद केंद्र सरकार को भेजना होगा.