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शादी का वादा करके सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं : केरल हाईकोर्ट

हाईकोर्ट 29 वर्षीय याचिकाकर्ता नवनीत एन नाथ जोकि पेशे से एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. नवनीत पर आरोप था कि चार साल तक उन्होंने एक महिला वकील को शादी का झांसा देकर उसके साथ रेप किया और शादी किसी और से कर ली.

Kerala High court Kerala High court
हाइलाइट्स
  • सहमति से बने संबंध बालात्कार की श्रेणी में नहीं आएंगे

  • याचिकाकर्ता की सुनवाई के दौरान लिया फैसला

केरल हाइकोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दो लोगों के बीच सहमति से बने संबंध बालात्कार की कैटेगरी में नहीं आते. इसे आईपीसी की धारा 376 के तहत कवर नहीं किया जाएगा. अगर सहमति धोखे से या जबरदस्ती ली गई थी, तभी बलात्कार का अपराध गठित किया जा सकता है.

हाईकोर्ट 29 वर्षीय याचिकाकर्ता नवनीत एन नाथ जोकि पेशे से एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे 23 जून को आईपीसी की धारा 376 (2) (n) और 313 के तहत गिरफ्तार किया गया था. नवनीत पर आरोप था कि चार साल तक उन्होंने एक महिला वकील को शादी का झांसा देकर उसके साथ रेप किया और शादी किसी और से कर ली. जब महिला को इसकी जानकारी मिली तो वह नाथ की मंगेतर से होटल में मिलने पहुंची. कथित तौर पर महिला ने नस काटकर आत्महत्या करने की कोशिश की. 

नाथ को जमानत देते हुए, न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने कहा, "भले ही दो लोगों के बीच सहमति से बने यौन संबंध विवाह में परिवर्तित नहीं होते हैं, फिर भी यह बलात्कार के अंदर नहीं आएंगे. बाद में शादी करने से इनकार करना या रिश्ते को शादी में ले जाने में विफलता ऐसे कारक नहीं हैं जो बलात्कार का गठन करने के लिए पर्याप्त हैं, भले ही साथी शारीरिक संबंध में शामिल हो.”

कैसे होगा तय?
अदालत ने आगे कहा कि किसी की सहमति या इच्छा के बिना या बल प्रयोग से किया गया सेक्स बलात्कार की श्रेणी में आएगा. इस बारे में कि क्या सेक्स के बाद शादी करने से इनकार करना बलात्कार है, अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि "केवल जब वादा खराब विश्वास में दिया गया हो या धोखाधड़ी से किया गया है या इसे बनाते समय पालन करने का इरादा नहीं था. तभी ये बालात्कार की श्रेणी में आएगा."

न्यायाधीश ने कहा,"शादी के वादे का पालन करने में विफलता के कारण एक पुरुष और एक महिला के बीच शारीरिक संबंध को बलात्कार में बदलने के लिए यह आवश्यक है कि महिला का सेक्सुअल एक्ट में शामिल होने का निर्णय शादी के वादे पर आधारित हो. एक झूठा वादा स्थापित करने के लिए, वादा करने वाले को इसे बनाते समय अपनी बात को कायम रखने का कोई इरादा नहीं होना चाहिए था और उक्त वादे ने महिला को शारीरिक संबंध के लिए प्रेरित किया होगा. शारीरिक मिलन और शादी के वादे के बीच सीधा संबंध होना चाहिए.''