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ओडिशा का गंजाम बना प्रथम बाल विवाह मुक्त जिला, इनाम राशि 5,000 रुपये से बढ़कर हुआ 50,000 रुपया

ओडिशा में गंजाम जिला राज्य का प्रथम बाल विवाह मुक्त जिला बन चुका है. इस मुहिम पर पिछले दो सालों से काम किया जा रहा था. जिला कलेक्टर विजय अमृता कुलांगे का कहना ही कि उन्होंने जिले के प्रत्येक गांव में बड़े पैमाने पर “निर्भय कड़ी” नामक अभियान चलाया है. 

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हाइलाइट्स
  • जिला कलेक्टर ने शुरू किया अभियान

  • रोके 450 बाल विवाह

ओडिशा में गंजाम जिला राज्य का प्रथम बाल विवाह मुक्त जिला बन चुका है. इस मुहिम पर पिछले दो सालों से काम किया जा रहा था. जिला कलेक्टर विजय अमृता कुलांगे का कहना ही कि उन्होंने जिले के प्रत्येक गांव में बड़े पैमाने पर “निर्भय कड़ी” नामक अभियान चलाया है. 

जिले में इस अभियान को सफल बनाने के लिए बाल विवाह की जानकारी देने वाले लोगों को 5,000 रुपये की राशि का इनाम दिया जाता था. और अब इनाम की राशि 5,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है. जिले में पिछले दो सालों में करीब 450 बाल विवाह को सफलतापूर्वक रोका गया है. 

शुरू किया निर्भया कड़ी अभियान: 
   
कुलांगे ने बताया कि बाल विवाह हमारे बीच एक असभ्य समाज को जन्म देता है. इसी के साथ बाल विवाह बच्चियों के विकास में बाधा उत्पन्न करता है. इसलिए जिले में बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए 2019 में मिशन मॉडल आधारित “निर्भय कड़ी” नामक अभियान शुरु किया था. 

साथ ही गांवों के सरपंच एवं अन्य लोगों के साथ मिलकर एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया था. जिसके बाद जिले के हर एक गांव में बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया. इसी के साथ जिले में बाल विवाह की जानकारी देने वाले को 5,000 रुपये की राशि इनाम देने का प्रावधान रखा गया था. हालांकि अब 5,000 रुपये की राशि को बढ़ाकर 50,000 रुपये इनाम किया गया है. 

रोके गए 450 बाल विवाह: 

उन्होंने आगे बताया कि जिले के करीब 3309 गांव, 280 वार्ड और 503 पांचयात को बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है. अभियान के शुरू होने के बाद 2019 में 45 बाल विवाह को सफलतापूर्वक रोका गया. वहीं वर्ष 2020 में 228 और वर्ष 2021 में 201 बाल विवाह पर अंकुश लगाया गया. इस दौरान पिछले दो सालों में बाल विवाह पर अंकुश लगाने के क्रम में करीब 14,422 मीटिंग का आयोजन किया गया है. 

हालांकि यह सफर काफी मुश्किल रहा है. इस अभियान के दौरान जिले के शैक्षणिक संस्थानों की मदद से ड्रॉपआउट छात्रों की पहचान कर उनकी काउंसलिंग की गई. साथ ही जिले के सभी स्कूलों में 12-18 वर्ष की बच्चियों को लगातार पांच दिनों की अनुपस्थिति होने पर जिलापाल दफ्तर को सूचित करने का निर्देश दिया गया. 

गांवों में सरपंच, शिक्षकों एवं टास्ट फोर्स की मदद से बच्चियों की पहचान की गई है. बाल विवाह को रोकने के लिए पिछले दो सालों के क्रम में करीब 1 लाख बच्चों की काउंसलिंग की गई है. 

(मोहम्मद सूफियान की रिपोर्ट)