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 Representational Image  14 और 15 जनवरी को देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया गया. लेकिन इस खुशी के त्योहार पर अक्सर पतंग उड़ाने में इस्तेमाल होने वाला मांझा हमारे मासूम पक्षियों के लिए संकट बन जाता है. जैसे कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में हुआ.
दरअसल नगर के छोटा तालाब दुर्गा चौंक के पास एक उल्लू पेड़ पर लटके एक मांझे में फंस गया और काफी तड़प रहा था. लेकिन कहते है न कि इंसानियत अभी जिंदा है. इसलिए तो जैसे ही कुछ स्थानीय निवासियों की नजर सुबह-सुबह इस मासूम पर पड़ी तो उन्होंने तुंरत उल्लू की मदद की.
उल्लू को बचाकर ले गए डॉक्टर के पास:
उल्लू के इस तरह मांझे में फंसे होने की सूचना स्थानीय निवासी कुलदीप वैद एवं रूपेश चौरसिया ने अहिंसा प्रेमी दीपकराज जैन को दी. जिन्हें क्षेत्र में पशु-पक्षियों की मदद करने के लिए जाना जाता है. दीपकराज तुरंत घटना स्थल पर पहुंचेओर घायल ऊल्लु को लेकर वेटनरी सर्जन डॉक्टर अंकित मेश्राम और गौसेवक राम पवार के पास पहुंचे. जहां चिकित्सकों ने उल्लू का सफल उपचार किया गया और उसके पंखों में फंसे मांझे को निकालकर उसके घाव पर औषधि लगाई.
इसके बाद उल्लू को टॉनिक पिलाया और इंजेक्शन भी दिया ताकि घाव जल्द से जल्द भर जाए. इसके बाद उसे दीपकराज को सौंप दिया गया. कुछ देर बाद उल्लू को खुले आसमान में छोड़ दिया गया.
न करें चायनीज़ मांझे का इस्तेमाल:
दीपकराज ने उल्लू के इलाज के दौरान लोगों से अपील में कहा कि वे चाइनीज मांझे का उपयोग न करें. क्योंकि इसके दुष्परिणाम हमारे मासूम पक्षियों को भुगतने पड़ते हैं. संक्रांति के दूसरे दिन बहुत से पक्षी मांझों में अटककर अपनी जान गंवा देते हैं.
आपका एक दिन का शौक किसी बेजुबान की ज़िंदगी पर भारी पड़ता है. इसलिए त्योहार ऐसे मनाएं जिससे किसी को भी नुकसान न पहुंचे.
(छिंदवाड़ा से पवन शर्मा की रिपोर्ट)