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पक्षियों के लिए स्वर्ग बना धौलपुर, जिले के जलाशयों में सैकड़ों देशी-विदेशी परिंदों का जमघट

धौलपुर जिले की चंबल नदी, हुसैनसागर और आंगई बांध सहित आठ जलाशयों पर पक्षियों की चहचाहट ओर कलरव की आवाज सुनाई दे रही है. पक्षी सर्दी का मौसम बिताने के बाद गर्मी शुरू होते ही अपने-अपने देश को लौट जाते हैं.

धौलपुर  में प्रवासी पक्षी धौलपुर में प्रवासी पक्षी
हाइलाइट्स
  • हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर धौलपुर पहुंचे प्रवासी पक्षी.

  • सर्दी का मौसम बिताने के बाद गर्मी शुरू होते ही ये प्रवासी पक्षी अपने देश लौट जाते हैं.

धौलपुर के जलाशय इन दिनों प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग बने हुए हैं. सात समंदर पार के माइग्रेटरी पक्षियों को राजस्थान के इस जिले की आबो-हवा इतनी रास आई है कि जिले के जलाशयों में बड़ी संख्या में देशी-विदेशी परिंदों का जमघट लगा हुआ है. धौलपुर की नदी और जलाशयों में लिटिल ग्रीव,ग्रेट व्हाइट पैलिकन,कॉर्मोनेंट,लिटिल कार्मोनेंट सहित हजारो की संख्या में प्रवासी परिंदो का जमघट बना हुआ हैं.

सात समंदर पार कर हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर प्रवासी पक्षी इन दिनों राजस्थान के धौलपुर में हजारों की संख्या में आये हुए हैं. जिले के जलाशय इन प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग बन गए हैं. धौलपुर में इन दिनों आठ जलाशयों के आस-पास हजारो की संख्या में लिटिल ग्रीव, ग्रेट व्हाइट पैलिकन, ग्रेट कॉर्मोनेंट, लिटिल कार्मोनेंट, इंडियन पोंड हेरोन, स्पॉट बिल्ड डक, कॉमन सेंडवाइपर, इंडियन रिवर टर्न, इंडियन स्कीमर, पोचार्ड, किंग फिशर जैसी अनेकों प्रजातियों के पक्षी डेरा डाले हुए हैं. स्थानीय पर्यटक भी इन्हें देखकर उत्साहित हैं और इन पक्षियों को देखने के लिए जलाशयों पर जा रहे हैं. 

धौलपुर में प्रवासी पक्षी
धौलपुर में प्रवासी पक्षी

दुर्लभ होता है सफेद और नीला किंगफिशर 

चंबल नदी पर इंडियन स्कीमर को भी देखा गया है. स्कीमर अपने कुनबे के साथ आये हैं. देशी भाषा में इसे पनचीरा के नाम से जाना जाता है. इंडियन स्कीमर की चोंच उसके शरीर का सबसे आकर्षक भाग होती है. इसकी चोंच लंबी, मोटी, गहरी नारंगी और सिरे से हल्के पीले रंग की होती है. जून महीने के बाद यह वापस श्रीलंका और उड़ीसा के समुद्री तट पर चले जाएंगे. अफ्रीका और एशिया का मशहूर पक्षी किंगफिशर भी धौलपुर आ चुका है. किंगफिशर पक्षी दिखने में बहुत सुंदर होता है. यह एक छोटे आकार का पक्षी है. आम भाषा मे इसे राम चिड़िया या किलकिला भी कहते हैं. इस चिड़िया को किंगफ़िशर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह फिशिंग करने में मास्टर होता है. दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर इसकी करीब 87 प्रजातियां पायी जाती हैं. जिनमें से सफेद और नीले रंग के किंगफिशर दुर्लभ माने जाते हैं.

गर्मी शुरू होते ही अपने देश लौट जाते हैं पक्षी 

वन्य जीव प्रतिपालक राजीव तोमर ने बताया कि हजारों की संख्या में स्थानीय और प्रवासी परिंदों की उपस्थिति यहां दर्ज की गई. धौलपुर जिले की चंबल नदी, हुसैनसागर और आंगई बांध सहित आठ जलाशयों पर पक्षियों की चहचाहट ओर कलरव की आवाज सुनाई दे रही है. प्रवासी पक्षी यहां प्रजनन के साथ ही विदेशों में पड़ रही कड़ाके की सर्दी और बर्फबारी से बचने, साथ ही भोजन की कमी के कारण हर साल आते हैं. परिस्थितियों से बचने के लिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं. सर्दी का मौसम बिताने के बाद गर्मी शुरू होते ही अपने-अपने देश को लौट जाते हैं. राजीव तोमर का कहना है कि सरकार पक्षियों के लिए धौलपुर को पर्यटन स्थल बना सकती हैं और विश्व के मानचित्र पर धौलपुर उभर सकता है. 

(उमेश मिश्रा की रिपोर्ट)