
शास्त्री गायक पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा के बीते 2 अक्टूबर को हुए निधन के बाद अब उनके परिवार में मनमुटाव, कलह और विरासत की लड़ाई खुलकर सामने आ गई है. दिवंगत छन्नू लाल मिश्रा की बेटी नम्रता मिश्रा ने जहां एक ओर अपने बड़े भाई रामकुमार मिश्रा पर परंपराओं का निर्वहन न करने और बेटे का फर्ज अदा न करने का आरोप लगाया है तो वही पंडित छन्नूलाल मिश्र के बड़े बेटे रामकुमार मिश्रा ने अपनी बहन पर संपत्ति को धोखे से बचने सहित कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाया है. हद तो तब हो गई कि जब दोनों ही भाई बहन स्वर्गीय पंडित छन्नूलाल मिश्र की त्रयोदशी यानी तेरहवीं भी अलग-अलग स्थान पर करने वाले हैं और तो और इसको लेकर निमंत्रण बांटना भी शुरू कर दिया है.
दो जगह होगी पद्मविभूषण छन्नू लाल की तेरहवीं-
खेले मसाने में होली से विश्व विख्यात हुए राम और शिव भक्त वाराणसी के पद्मविभूषण शास्त्री गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनके जीते जी पारिवारिक कलह जो कभी सामने नहीं आ पाया था, वह अब उनके ना रहने पर खुलकर उनके बेटी बेटे की वजह से सामने आ जाएगा और उनकी प्रतिष्ठा पर बट्टा लगाएगा. लेकिन अब यह सब शुरू हो चुका है. क्योंकि न केवल पंडित छन्नू लाल मिश्रा की सबसे छोटी बेटी नम्रता मिश्रा अपने पिता की त्रयोदशी के लिए निमंत्रण बांटना शुरू कर चुकी है तो वही उनके भाई यानी पंडित छन्नूलाल मिश्र के सबसे बड़े बेटे रामकुमार मिश्र ने भी अलग से कार्ड छपवा लिया है. दोनों ही कार्यक्रम 14 अक्टूबर को होने हैं, लेकिन दोनों ही स्थान अलग-अलग तय किए गए हैं. रामकुमार मिश्र ने जहां एक ओर कार्यक्रम स्थल श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, अंध विद्यालय, दुर्गाकुण्ड, वाराणसी का रखा है तो उनकी बहन नम्रता मिश्रा ने त्रयोदशी ब्राह्मण भोज स्थल स्वास्तिक नगर कालोनी केशरीपुर, रोहनिया, लोहता मार्ग, वाराणसी पर रखा है. अब समस्या यह है कि पंडित छन्नू लाल मिश्रा को चाहने वाले उनके शिष्य से लेकर तमाम नामचीन लोग इस दुविधा में है कि किस कार्यक्रम में पहुंचा जाए?
छन्नूलाल के बेटे ने बेटी पर लगाए आरोप-
पंडित छन्नूलाल मिश्र के बड़े बेटे जो फिलहाल दिल्ली रह रहे हैं, वह वाराणसी 2 अक्टूबर को शमशान घाट मणिकर्णिका पर पहुचे थे और पंडित छन्नू लाल मिश्रा को मुखाग्नि राहुल यानी रामकुमार के बेटे यानी छन्नूलाल मिश्रा के पोते ने दी थी. गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने बताया कि बीते दिनों उनके पुराने मकान जो छोटी गोबी में है, उसे उनकी बहन नम्रता मिश्रा ने बिना पिताजी को बताए ही बेच दिया था और जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वहां परिवार से मिलने पहुंचे तो नम्रता ने नकली रिश्तेदारों को भी उनके सामने प्रस्तुत कर दिया था. जहां तक कर्मकांड की बात है तो उसे वह पूरी निष्ठा से कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि मैं अपनी बहन नम्रता मिश्रा का एक इंटरव्यू देखा और बहुत दुखी हुआ. क्योंकि अपने रवैया के अनुसार ही नम्रता मिश्रा ने ऐसा किया है. यह सब कुछ वे अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए कर रही है. यह सब कुछ शोभा नहीं देता है. अभी पूरा परिवार शोक में है. ऐसे में सामने आकर अपने फायदे के लिए अनर्गल बयान देना यह नम्रता को शोभा नहीं देता है. पिताजी का दसवां या 13वीं जो कुछ होगा, उसे करने के लिए नम्रता की राय की जरूरत नहीं है. पिताजी की इच्छा के अनुसार ही तीन दिनों में सभी कर्मकांड कर दिए गए, लेकिन जो सनातन पद्धति है उसी के अनुसार वाराणसी में दसवां और 13वीं भी होगा. यह मैं या मेरा पुत्र राहुल, जिसने पिताजी को मुखाग्नि दी है, हम लोग करेंगे ना कि नम्रता मिश्रा करेंगी. ऐसा करना ना तो स्वीकार है और ना ही मान्य है. उन्होंने नम्रता से अपील की कि कम से कम 13 दिन शांत रहें. क्योंकि जितना लाभ लेना था, उन्होंने पिताजी का ले लिया. 13 दिन बीत जाने के बाद मैं नम्रता मिश्रा के सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हूं. वे मेरे सामने आकर मुझसे मिल लेंगी.
बहन ने भाई के सवालों के दिए जवाब-
वहीं, इस मामले पर छन्नू लाल मिश्रा की सबसे छोटी बेटी नम्रता मिश्रा यानी रामकुमार मिश्रा की सगी छोटी बहन से जब खास बातचीत की गई तो उन्होंने अपने भाई पर आरोप लगाया कि पिताजी छन्नूलाल मिश्रा जी को न केवल संगीत बल्कि आध्यात्म और सनातन के लिए भी जाना जाता है. इसीलिए उन्हें संगीत संत की उपाधि दी गई थी. उन्होंने पूरा जीवन राम नाम करते हुए बिताया और उनके अंतिम शब्द जय श्री राम थे. क्या ऐसा धार्मिक व्यक्ति कभी कह सकता है कि मेरी अंतिम क्रिया के वक्त बाल भी मत बनवाना? और जींस के साथ लाल काले कपड़े पहन कर आ जाना? एक तरफ पिताजी की चिता जल रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ भैया चाय पानी कर रहे थे और हंसी मजाक में लगे हुए थे. भाई के इस आरोप कि जब सीएम योगी आदित्यनाथ परिवार से मिलने आए थे तो नकली रिश्तेदारों को खड़ा किया गया था? पर नम्रता मिश्रा ने कहा कि जब असली रिश्तेदार नहीं रहेंगे और अपने पिता को 13 दिन भी नहीं दे सकते हैं तो ऐसे में उस वक्त उनकी बुआ और बुआ के बेटे वहां मौजूद थे. भैया रामकुमार तो पिताजी का दाह संस्कार करके चले गए. उन्होंने सवाल उठाया कि भैया को आखिर हो क्या गया है? वह मानसिक रूप से दिवालिया हो गए हैं क्या? बजाए अपनी गलती मानने के. भाई के इस आरोप कि पिताजी के बड़ी गैबी वाले मकान को फर्जी तरीके से बेच दिया गया, के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि पिताजी ने आज से 3 साल पहले वह मकान उन्हें गिफ्ट डीड के तौर पर दिया था. उन्होंने बताया कि मकान बेचने की जरूरत इसलिए हुई, क्योंकि पिताजी की बीमारी और एक जमीन उन्होंने कर्ज पर ले रखी थी और इसके अलावा पिताजी के जीते जी जिस तरह से संपत्ति को लेकर विवाद हुआ था, जिसपर पिताजी ने ही कहा था कि जब मेरे रहते तुम्हारे भाई बहन तुम्हें परेशान कर रहे हैं तो तुम इस मकान को मेरे जीते जी बेच दो. उन्होंने बताया कि सनातन और धर्म को मानने वाला क्या कभी ऐसा कह सकता है कि उसके त्रीरात्रि में ही सारे कर्मकांड कर दिए जाएं, जब यह समाचार पता चला तो उनके सब्र का बांध टूट गया. तब वह बोलने को मजबूर हो गई. भाई रामकुमार की तरफ से मिली मानहानि की धमकी के जवाब में नम्रता मिश्रा ने बताया कि पिताजी नहीं है, नहीं तो वह अपने भाई पर मानहानि का मुकदमा करती. क्योंकि रामकुमार भैया ने पिताजी की सनातन की छवि खराब की है. सिर्फ मान रामकुमार भैया का नहीं है, उनका भी है. क्योंकि जिस तरह से उन्होंने आरोप लगाया है कि छोटी गैबी का मकान गलत तरीके से बेचा गया है, अगर वह साबित नहीं कर पाते हैं तो मानहानि का मुकदमा उनकी तरफ से किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि रामकुमार भैया ने सिर्फ इसलिए त्रीरात्रि में ही सारे कर्मकांड कर दिए क्योंकि उनके पास समय नहीं था. उन्होंने अपना मुंडन भी नहीं कराया और परंपराओं का निर्वहन नहीं किया और ऐसा करने से पंडित छन्नूलाल मिश्रा जी की सनातन की छवि धूमिल हुई है. अगर रामकुमार भैया माफी नहीं मांगेंगे तो मैं कभी उन्हें माफ नहीं करूंगी. मां भी अपने जीते जी रामकुमार भैया को नकार दिया था और उनका मुंह तक नहीं देखा था. उन्होंने बताया कि रामकुमार भैया भले ही अलग से पिताजी की त्रयोदशी करें, लेकिन वह भी त्रयोदशी कर रही हैं. उन्होंने विरासत की लड़ाई के सवाल के जवाब में बताया कि विरासत की लड़ाई कैसे कही जा सकती है, क्योंकि रामकुमार भैया तबला वादक है जो हमारे नाना स्वर्गीय अनोखेलाल मिश्रा की विरासत को लेकर आगे जा रहे हैं, वह गायन को कैसे लेकर जा सकते हैं? गायन की विरासत मेरे साथ है और मेरे साथ सैकड़ों छात्र भी हैं, जो गायन के है. उन्होंने बताया कि त्रयोदशी का उन्होंने कार्ड छपवाकर सबको निमंत्रण भी देना शुरू कर दिया है और आजमगढ़ के हरिहरपुर पुश्तैनी गांव जाकर भी सभी को निमंत्रण दिया है. जिसका लोगों ने स्वागत किया.
ये भी पढ़ें: