
पीएम मोदी ने आज देश के छात्र-छात्राओं से परीक्षा पर चर्चा की. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में इसका आयोजन किया गया. इस दौरान पीएम ने कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों के साथ संवाद किया. इस बार यह चर्चा इसलिए भी खास थी क्योंकि इसमें बच्चों के साथ अभिभावक भी शामिल थे. प्रधानमंत्री ने शिक्षा, नौकरी, समाज, राजनीति, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर छात्रों का मार्गदर्शन किया और उनके सवालों का जवाब दिया.
1. प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने नई 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' का जिक्र करते हुए कहा कि हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए. अगर हम अपनी नीतियों को समय के अनुसार बदलेंगे नहीं, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे. पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था. लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है. हम खेलेंगे तभी खिलेंगे.
2.उन्होंने कहा कि कंप्टीशन को जिंदगी की सबसे बड़ी सौगात मानना चाहिए. हमें खुद कंप्टीशन को इंवाइट करना चाहिए ताकि हम खुद को निखार सकें. कंप्टीशन जिंदगी को आगे बढ़ाने का एक अच्छा माध्यम होता है. जहां कंप्टीशन ज्यादा है वहां च्वाइस भी ज्यादा है. हमें रिस्क लेते रहना चाहिए, जो रिस्क लेता है प्रोवोक करता है वही आगे बढ़ता है नई चीजें सीखता है.
3.वर्तमान में जीने वाला भविष्य में परेशान नहीं होता. हमें हताशा से खुद निपटने की कोशिश करनी चाहिए. हर आदमी अपने कंफर्ट जोन में जीता है. लेकिन कंफर्ट की स्थिति में भी आप अपना ज्यादा से ज्यादा आउटपुट कैसे निकालते हैं, ये जरूरी होना चाहिए. आपका मन हमेशा आपको आराम करने वाले काम कहेगा, लेकिन आपको मन की धोखेबाजी से बचना जरूरी है.
4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निराशा को कैसे दूर करें, इस पर कहा, मोटिवेशन का कोई इंजेक्शन नहीं होता है. खुद को जानना, अपन मन: स्थिति का विश्लेषण करना बहुत जरूरी है. कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें पहचानिए और खुद से उनको अलग करिए. फिर आप यह जानने का प्रयास करें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं, उन्हें अपने पास रखें. लोगों कि सहानुभूति लेने से बचें, इससे कमजोरी आती है. आप 2 साल के बच्चे से भी प्रेरणा ले सकते हैं. दिव्यांगों से प्रेरणा ले सकते हैं, जिन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बनाया है.
5. तनाव को दूर करने पर पीएम मोदी ने कहा, मन में तय कर लीजिए कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है. हमारी विकास यात्रा के ये छोटे-छोटे पड़ाव हैं. सोचिए कि हम इस पड़ाव से पहले भी गुजर चुके हैं. अगर आपके मन में ये विचार आ गया तो आपका डर खुद ब खुद खत्म हो जाएगा.
6. एक छात्र ने पूछा कि हम कॉलेज एडमिशन पर ध्यान दें या परीक्षा के नए पैटर्न पर या फिर बोर्ड परीक्षा पर? इस सवाल का जवाब देते हुए पीएम ने कहा कि जो भी हम पढ़ रहे हैं उसे पूरी तरह से आत्मसात करना जरूरी है. अगर आपने अपनी शिक्षा पूरी तरह से आत्मसात की है तो परीक्षा का प्रारूप आपके लिए समस्या नहीं बनेगा.
7. पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रीप्ले करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी. अनुभव को आत्मसात करने वाले रीप्ले बड़ी आसानी से कर लेते हैं, जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती.