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Shrikant Tyagi की कार पर लगा पास पाया गया फर्जी, जानें कैसे बनता है विधानसभा से गाड़ी का Pass और कितनी टाइट होती है सिक्योरिटी

श्रीकांत त्यागी की कार पर लगा पास फर्जी पाया गया है. ऐसे में विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने बताया है कि साल 2023 का पास अभी तक विधानसभा में इश्यू नहीं किया गया है.

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हाइलाइट्स
  • 2023 का पास अभी तक विधानसभा में इश्यू नहीं किया गया

  • हर गेट पर होती है सुरक्षा 

नोएडा की ओमेक्स सोसाइटी में महिला से बदसलूकी के चलते श्रीकांत त्यागी को गिफ्तार कर लिया गया है. ऐसे में उससे जुडी सभी जानकारियां निकाली जा रही हैं. अब इसी कड़ी में एक और बात सामने आई है कि श्रीकांत त्यागी की गाड़ी पर जो विधानसभा का पास लगा गया है वह पास फर्जी पाया गया है. विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के मुताबिक, 2023 का पास अभी तक विधानसभा में इश्यू नहीं किया गया है. ऐसे में उस पास पर लिखा साल 2023 में पूरी तरीके से फर्जी पास है.

कैसे बनता है विधानसभा और विधानसभा सचिवालय से गाड़ी का पास?

गाड़ी का पास बनवाने के लिए विधानसभा द्वारा जारी एक फॉर्म भरना होता है. जिसके साथ विधायक का लेटर हेड आधार कार्ड और गाड़ी की आरसी के साथ विधानसभा पटल पर जमा करना होता है. इसके बाद विधानसभा के मार्शल वेरीफाई करने के बाद उस पर साइन करते हैं और नंबर अलॉट करते हुए विधायक एमएलसी या मंत्री गण को पास निर्गत हो जाता है. बता दें, एक पास पर 2 गाड़ी ही निकाली जा सकती हैं. 

दूसरा, विधान सभा सचिवालय के गाड़ी का पास सचिवालय के प्रमुख सचिव हेमंत राव के निर्देशन में जारी किया जाता है. हालांकि सचिवालय पास कंप्यूटर निर्मित होता है और इसमें सभी डिटेल लिखी होती हैं, जोकि आईएएस और सचिवालय से जुड़े हुए लोगों के लिए होता है. सचिव लेवल पर अधिकारियों और सचिवालय कर्मियों के लिए पास  भी यहीं से निर्गत किए जाते हैं जो कम्प्यूटराइज्ड होते हैं.

कैसी होती है विधानसभा की सुरक्षा?
 
विधानसभा की सुरक्षा विधानसभा सुरक्षा अधिकारी के जिम्मे होती है. ये काम विधानसभा सुरक्षा दल करता है. ये दल गेट पर तैनात रहते हैं. एक और बात कि इस दल के सुरक्षकर्मियों का ट्रांसफर कहीं और नहीं होता है, ताकि वे मंत्रियों, नेताओं और विधायकों को आसानी से पहचान सकें. इसमें उनको भी मदद मिलती है.

विधानसभा सुरक्षा के सीईओ भगत सिंह के मुताबिक, विधानसभा की सुरक्षा विधानसभा सुरक्षा दल विधानसभा के 9 गेट पर तैनात रहता है. इन सभी दरवाजों पर जो गाड़ी पर पास लगे होते हैं उनके नंबर देखे जाते हैं, मैच किए जाते हैं और ये भी चेक होता है कि आखिर ये पास किस साल का है.उसके बाद गाड़ी के अंदर बैठे व्यक्ति का भी सचिवालय पास चेक किया जाता है. यह सब चीजें जब मैच हो जाती हैं तब उसको विधानसभा के अंदर जाने दिया जाता है. ऐसे में किसी भी तरीके का सिक्योरिटी लेप्स नहीं हो सकता है.

हर गेट पर होती है सुरक्षा 

एसपी विधानसभा के मुताबिक,  विधानसभा दल विधानसभा के अंदर रहता है लेकिन सिविल पुलिस के यह कॉन्स्टेबल बाहर रहते हैं जोकि किसी भी प्रकार की विवाद वाली स्थिति में उनकी मदद करते हैं. ऐसे में हर गेट पर पुलिस के सिपाही मौजूद रहते हैं. अगर कोई जबरदस्ती जाने की कोशिश करता है तो उसको रोकने में भी मदद करते हैं. 25 दिन के तौर पर इनकी तैनाती की जाती है फिर बदल दिया जाता है.