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Agra: 3500 डॉलर एक युवक की कीमत, विदेश में नौकरी और अच्छा वेतन.. लेकिन तैयार होता साइबर ठग

भारत के आगरा से पुलिस ने कुछ ऐसे एजेंट को गिरफ्तार किया है जो लोगों को विदेश भेजते थे. वो भी नौकरी का लालच देकर. पर वहां उन्हें साइबर ठग बनाने का गौरख धंधा चालू था.

उत्तर प्रदेश के आगरा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. पुलिस ने ऐसे अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो भारत के बेरोजगार युवाओं को विदेश भेजने के नाम पर बेच देता था. गिरोह के सदस्य युवाओं को कंबोडिया और थाईलैंड में नौकरी का सपना दिखाकर अपने जाल में फंसा लेते थे. उन्हें कहा जाता था कि वहां दफ्तरों में काम मिलेगा, 45 से 50 हजार रुपये महीना वेतन और रहने की सुविधा भी होगी. लेकिन सच्चाई कुछ और थी. ये ऑफिस असल में साइबर ठगी के अड्डे निकले, जहां युवाओं को ऑनलाइन फ्रॉड की ट्रेनिंग दी जाती थी.

एक युवक की कीमत 3500 डॉलर
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि हर युवक को विदेश भेजने के बदले एजेंटों को 3500 डॉलर (करीब 3.5 लाख रुपये) मिलते थे. ये एजेंट भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और अफ्रीकी देशों से युवाओं को फुसलाकर विदेश भेजते थे. जैसे ही युवक विदेश पहुंचते, उनके पासपोर्ट और वीजा जब्त कर लिए जाते ताकि वे भाग न सकें. कंपनी में पहुंचने के बाद उन्हें आईडी कार्ड दिए जाते और अलग-अलग कमरों में बांटकर ‘साइबर ठगी की ट्रेनिंग’ दी जाती. प्रशिक्षकों द्वारा उन्हें सिखाया जाता था कि कैसे लोगों को फोन कॉल, चैट या वीडियो कॉल के जरिए “डिजिटल अरेस्ट”, बैंक फ्रॉड या फर्जी स्क्रिप्ट से फंसाया जाए.

‘डार्क रूम’ की सजा
पीड़ित युवकों के मुताबिक, वहां किसी को फोन से बात करने की अनुमति नहीं होती थी. मोबाइल फोन जब्त कर लिए जाते और केवल शाम को थोड़ी देर के लिए वापस दिए जाते. अगर कोई युवक काम करने से इनकार करता, तो उसे ‘डार्क रूम’ में बंद कर दिया जाता. बाहर निकलने के लिए उससे पैसे की मांग की जाती थी.

ये चीनी ठग भारत के एजेंटों से लोगों का पर्सनल डेटा खरीदते और फिर फर्जी कॉल्स के जरिए पीड़ितों को डराकर ठगते थे. कॉल करने वाले खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताते, और ऑफिस को असली सरकारी दफ्तर जैसा बनाया जाता ताकि वीडियो कॉल पर भरोसा हो जाए. पीड़ित की सारी जानकारी रिकॉर्ड की जाती और जैसे ही वह गलती करता, ठग उससे पैसों की मांग शुरू कर देते.

पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे
आगरा पुलिस ने इस रैकेट के कई एजेंटों को गिरफ्तार किया है. रत्नागिरी से पकड़े गए आरोपी आमिर और पंजाब के एक अन्य युवक से पूछताछ में पता चला कि ये लोग युवाओं को विदेश भेजने और उन्हें ‘ऑनलाइन ठग’ बनाने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते थे. एडीसीपी आदित्य सिंह के अनुसार, “विदेश में चीनी साइबर ठगों का पूरा नेटवर्क फैला हुआ है, जो भारत सहित कई देशों के युवाओं को अपना शिकार बना रहा है.”