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Politics of Sharad Yadav: लोहिया के विचारों से प्रभावित थे शरद यादव, जानें समाजवादी नेता की सियासत कैसे किसी क्षेत्र विशेष तक नहीं रही सीमित ?

शरद यादव लोहिया के विचारों से प्रभावित थे. वह एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलकर चर्चा में आए थे. शरद की सियासत किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं रही. वह तीन राज्यों से लोकसभा के लिए चुने गए थे.

शरद यादव (फाइल फोटो) शरद यादव (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • भारतीय राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी थे शरद यादव

  • शरद यादव इन दिनों राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े थे

भारतीय राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी शरद यादव थे. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई नेताओं और हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है. शरद यादव लोहिया के विचारों से प्रभावित थे.वह एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलकर चर्चा में आए थे. शरद की सियासत किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं रही. वह तीन राज्यों से लोकसभा के लिए चुने गए थे.

दशकों तक राजनीति में दमदार मौजूदगी दर्ज कराई
शरद यादव मूलतः मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. उनका जन्म एक जुलाई 1947 को ग्रामीण किसान परिवार में हुआ था. युवावस्था में आते ही यादव को राजनीति में दिलचस्पी होने लगी. जबलपुर में छात्र राजनीति करने के बाद बिहार गए और वहीं से देश में अपनी विशेष पहचान बनाई. शरद यादव ने दशकों तक राजनीति में अपनी मुख्य भूमिका निभाई. संसद में सभी उनकी बातों को ध्यान से सुनते थे.

जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे
शरद यादव के राजनीतिक करियर की अगर बात करें तो वो 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. इस दौरान वो जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे. इसके बाद शरद यादव ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें 1977 में फिर से जबलपुर लोकसभा सीट से ही सांसद चुना गया. इस दौरान वो युवा जनता दल के अध्यक्ष भी थे. इसके बाद 1986 में पहली बार शरद यादव राज्यसभा पहुंचे. 1989 में यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव जीते. इसके बाद इसी साल उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद भी मिला.  साल 1991 से लेकर 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद चुने गए. यादव को 1997 में जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना गया. शरद यादव इन दिनों लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े थे. शरद यादव कुल सात बार लोकसभा सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुए.

मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते थे शरद यादव
शरद यादव मुद्दों पर गरही पकड़ रखते थे और मृदुभाषी स्वभाव के थे. इसके कारण वह विपक्षी नेताओं को भी प्रभावित करते थे. सियासी गलियारों में शरद की छवि एक मिलनसार नेता की रही. सत्ता के महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी उनका जुड़ाव लोगों से बराबर बना रहा.

जदयू से निकाले जाने के बाद बनाई थी नई पार्टी
राजनीतिक गठजोड़ के माहिर खिलाड़ी शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु माना जाता है. शरद यादव 2003 में जनता दल यूनाइटेड के गठन के बाद से 2016 तक इसके अध्यक्ष रहे. बाद में शरद को पार्टी से निकाल दिया गया. इसके बाद 2018 में शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी नई पार्टी बनाई थी. हालांकि मार्च 2022 में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय राजद में कर दिया था. शरद की सियासत किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित नहीं रही. गौरतलब है कि बीते कई दिनों के शरद यादव बीमार चल रहे थे. उन्हें इलाज के लिए गुरुग्राम के फोर्टिंस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने गुरुवार देररात अंतिम सांस ली. शरद यादव के निधन के बाद राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि उनके आपसी मतभेदों के कारण कभी भी किसी तरह की कड़वाहट नहीं हुई. लालू ने सिंगापुर में अस्पताल से एक वीडियो  बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने पूराने जुड़ाव को याद किया है.