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Supreme Court New Judge: कौन हैं Prashant Kumar Mishra और KV Vishwanathan, सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती हैं जजों की नियुक्ति

Collegium System: सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम से जजों की नियुक्ति होती है. कॉलेजियम की सिफारिशों को सरकार मंजूरी देती है और सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए जाते हैं. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और सीनियर एडवोकेट विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है.

प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया प्रशांत कुमार मिश्रा और केवी विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट में दो जजों को नियुक्त किया है. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और सीनियर अधिवक्ता केवी विश्वनाथन आज शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह की लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी. नए कानून मंत्री अर्जुम राम मेघवाल ने इन नियुक्तियों की घोषणा ट्वीट करके की. दोनों जजों की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 34 हो जाएगी.

साल 2030 में CJI बनेंगे विश्वनाथन-
वरिष्ठ अधिवक्ता कल्पथी वेंकटरमण विश्वनाथन को भी सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया है. विश्वनाथन अगस्त 2030 में देश के मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं. उनका कार्यकाल 9 महीने का होगा. वो 24 मई 2031 तक सुप्रीम कोर्ट के CJI रह सकते हैं. अगर वो CJI बनते हैं तो बार एसोसिएशन से आने वाले ऐसे चौथे जस्टिस होंगे.

सीनियर एडवोकेट हैं केवी विश्वनाथन-
केवी विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट हैं. वो सुप्रीम कोर्ट बार के प्रतिष्ठित सदस्य हैं. केवी विश्वनाथन देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं. उनको साल 2009 में सीनियर एडवोकेट नियुक्त किया गया था. विश्वनाथन कई हाई प्रोफाइल केस लड़ चुके हैं.
विश्वनाथन का जन्म 26 मई 1966 को हुआ था. उनका परिवार भी कानून के पेश से जुड़ा रहा है. कोयंबटूर लॉ कॉलेज से इंटीग्रेटेड लॉ की डिग्री हासिल की और साल 1988 में तमिलनाडु बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया था और वकालत शुरू की. इसके बाद विश्वनाथन तमिलनाडु से दिल्ली आए और सुप्रीम कोर्ट मे वकालत करने लगे. उन्होंने सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन का चैंबर ज्वाइन किया था, जो देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे. साल 1990 में उन्होंने अटार्नी जनरल रहे केके वेणुगोपाल का भी चैंबर ज्वाइन किया था.

कौन हैं जस्टिस प्रशांत मिश्रा-
प्रशांत कुमार मिश्रा आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस हैं. वो छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने बीएससी के बाद गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की. उन्होंने पहले रायगढ़ जिला अदालत में प्रैक्टिस शुरू की. उन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट में भी वकालत की. साल 2005 में उनको छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का सीनियर वकील बनाया गया. वो 2 साल तक छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल के चेरयमैन भी रह चुके हैं. साल 2007 में एडवोकेट नियुक्ति होने के बाद 10 दिसंबर 2009 में उनको हाईकोर्ट का जज बना दिया गया.

कॉलेजियम सिस्टम से होती है जजों की नियुक्ति-
सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम के तहत जजों की नियुक्ति होती है. कॉलेजियम सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की एक कमेटी होती है. इसके अध्यक्ष चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होते हैं. कॉलेजियम जजों की नियुक्ति और प्रमोशन से जुड़े मामलों पर फैसला लेती है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति कॉलेजियम की सिफारिश पर होती है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे जजों की नियुक्ति होती है.

  • सबसे पहले 5 जजों वाला कॉलेजियम जजों का नाम तय करता है.
  • चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के उस सीनियर मोस्ट जज की राय जानेंगे, जो उस हाईकोर्ट से आते हैं, जहां से अनुशंसित व्यक्ति आता है.
  • अगर उस जज को उस व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं है तो अगले सीनियर मोस्ट सुप्रीम कोर्ट जज से सलाह लेनी होती है.
  • इसके बाद इन नामों को कॉलेजियम केंद्र सरकार को भेजती है. 
  • सरकार इन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजती है.
  • अगर सरकार कॉलेजियम की सिफारिश नहीं मानती है तो दोबारा विचार के लिए कह सकती है.
  • इसपर कॉलेजियम फिर से विचार करती है. अगर कॉलेजियम फिर से उसी नामों को सुझाती है तो सरकार इसे मानने के लिए बाध्य है.
  • राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद नोटिफिकेशन जारी होता है और जजों की नियुक्ति होती है.
  • जब नियुक्ति को मंजूरी मिलती है तो न्याय विभाग में भारत सरकार के सचिव की तरफ से चीफ जस्टिस को सूचित किया जाता है.
  • इसके बाद चुने गए जज से सिविल सर्जन या जिला चिकित्सा अधिकारी की तरफ से फिजिकल फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है.

जजों की नियुक्ति पर क्या कहता है संविधान-
संविधान का अनुच्छेद 124(2) सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति से जुड़ा है. आर्टिकल 124(2) के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति CJI की परामर्श पर राष्ट्रपति करेंगे. दरअसल परामर्श की अलग-अलग व्याख्याएं होने लगी. इसका आशय सहमति से है? अगर परामर्श में एक राय नहीं बनी तो किसकी राय मान्य होगी? ये बातें स्पष्ट नहीं हैं. 

कैसे पड़ी कॉलेजियम की नींव-
जजों की नियुक्ति को लेकर SC ने अलग-अलग समय पर 3 फैसलों में कार्यपालिका और न्यायपालिका में सहमति नहीं बनने के सवाल का जवाब दिया है. इसे थ्री जजेज केसेज कहा जाता है. इसी से कॉलेजियम सिस्टम की नींव पड़ी.
साल 1981 में एसपी गुप्ता बनाम भारत सरकार केस में सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 4-3 के बहुमत से तय किया कि सरकार सीजेआई की सिफारिश को ठुकरा सकती है. अगर सरकार और न्यायपालिका में सहमति नहीं बनती है तो सरकार का फैसला मान्य होगा. हालांकि 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसपर अपनी राय बदल दी.
साल 1993 में सुप्रीम कोर्ट एववोकेट्स ऑन रिकॉर्ड असोसिएशन बनाम भारत सरकार केस आया. 9 जजों की बेंच ने 7-2 के बहुमत से फैसला सुनाया और फर्स्ट जजेज केस को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 124(2) में लिखे कंसल्टेशन का मतलब सहमति ही है. सीजेआई की सिफारिश सरकार के लिए बाध्यकारी है. इस फैसले के बाद कॉलेजियम सिस्टम की शुरुआत हुई. जिसमें सीजेआई के अलावा सुप्रीम कोर्ट के दो सबसे वरिष्ठ जज होते थे.
साल 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सदस्यों की संख्या 5 कर दी. दरअसल तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी राय दी थी.

SC में जज बनने के लिए योग्यता-
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश की नियुक्ति कॉलेजियम सिस्टम के तहत की जाती है. लेकिन SC में जज बनने के लिए भी कुछ योग्यता की जरूरत पड़ती है. चलिए आपको बताते हैं कि क्या-क्या योग्यता होनी चाहिए.

  • सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है.
  • किसी मान्यता प्राप्त संस्थान या यूनिवर्सिटी से लॉ में ग्रेजुएशन होना चाहिए.
  • न्यायाधीश बनने के लिए वकालत में 10 का अनुभव होना भी जरूरी है.
  • हाईकोर्ट में कम से कम 5 साल तक जज हो या हाईकोर्ट में 7-10 तक वकालत की हो.
  • जाने-माने कानूनविद भी सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए जा सकते हैं.

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