scorecardresearch

Qutub Minar में 27 Temple होने का दावा, जानिए इतिहासकार Irfan Habib और याचिकाकर्ता Harishankar jain ने क्या कहा

Qutub Minar Case: कुतुब मीनार को लेकर एक याचिका दिल्ली के साकेत कोर्ट में दाखिल की गई है. जिसपर मंगलवार को सुनवाई होनी है. याचिकाकर्ता का दावा है कि कुतुब मीनार में 27 मंदिरों के अवशेष बिखरे हैं. याचिकाकर्ता ने कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने के अधिकार की मांग की है.

कुतुब मीनार कुतुब मीनार
हाइलाइट्स
  • कुतुब मीनार में 27 मंदिर होने का दावा

  • दिल्ली के साकेत कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई

  • मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद- हबीब

दिल्ली के कुतुब मीनार को लेकर एक बड़ा दावा किया जा रहा है. ये मामला कोर्ट पहुंच गया है. दिल्ली की साकेत कोर्ट में इस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है. कोर्ट में याचिका दायर की गई है और महरौली के कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली और पूजा के अधिकार की मांग की गई है. ये याचिका वकील हरिशंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री ने दायर की है. याचिका में दावा किया गया है कि आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी का कमांडर कुतुबदीन ऐबक ने 27 मंदिरों को तोड़ दिया था और कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनवाई थी.

27 मंदिरों के अवशेष- हरिशंकर जैन
याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन ने कुतुब मीनार को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि करीब 27 मंदिरों के 100 से ज्यादा अवशेष कुतुब मीनार में बिखरे पड़े हैं. उन्होंने कहा कि कुतुब मीनार को लेकर उनके पास इतने साक्ष्य हैं जिन्हें कोई नकार नहीं सकता. हरिशंकर जैन का कहना है कि कुतुब मीनार के दक्षिण में आयरन पिलर के आसपास जितने भी निर्माण हैं. वो सब मंदिरों के अवशेष हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि वो जो भी दावा कर रहे हैं. उसका उनके पास पुख्ता सबूत है. उनके पास जितने भी साक्ष्य हैं. उसका उल्लेख एएसआई की किताबों में हैं.

हिंदू-जैन दोनों पूजा करते थे- हरिशंकर
हरिशंकर जैन ने कहा कि इन मंदिरों में जैन और हिंदू दोनों पूजा करते थे. हिंदू और जैन को अलग ना समझें. उन्होंने कहा कि जैन मंदिरों में देवी-देवताओं की प्रतिमा होती थी और लोग पूजा अर्चना करते थे. हरिशंकर जैन ने कहा कि जहां जैन मंदिर होते थे, उसके आसपास उस समय हिंदू मंदिरों का निर्माण भी कराया जाता था और कुतुब मीनार उसका जीता-जागता उदाहरण है.

मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद-हबीब
इस पूरी बहस में इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है कि जो दावे किये जा रहे हैं. वो नए नहीं हैं. कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपने शिलालेख में खुद कबूला है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी और एएसआई ने भी इस बात की पुष्टि की है. हालांकि इतिहासकार इरफान हबीब का ये भी कहना है कि जो गलतियां इतिहास में दोहराई गईं. उसे फिर से नहीं दोहराया जाना चाहिये. ये ऐतिहासिक इमारतें हैं. जो दुनिया में शुमार है.
उधर, याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन का कहना है कि ऐतिहासिक इमारत को नुकसान पहुंचाने का उनका इरादा नहीं है. लेकिन पूजा का अधिकार मिलना चाहिए.

ये भी पढ़ें: